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जय श्री राम
तुलसीदासजी ने हनुमान चालीसा लिखी जिसे लाखों लोग पढते हैं .यह बहुत ही प्रचलित और पवित्र चालीसा है परन्तु बहुतों को शायद यह न मालूम हो की इसमें एक पंक्ति में विज्ञान का घूर रहस्य छिपा है.यह पंक्ति है”युग सहस्त्र योजन कर भानु, लील्यो तही मधुर फल जानु”इस सूत्र से प्रथ्वी से सूर्य तक की दूरी जो नापी गयी वोह नासा द्वारा नापी दूरी से बिलकुल मेल खाती है.अब किस तरह इसे नापते हैं यह देखिये.पुरानो के हिसाब से कलयुग ४३२००० साल का, द्वापर ८६४०००,त्रेता १२९६००० और सतयुग १७२८००० साल का होता है चारो (महायुग) को जोड़ कर ४३२००००साल आते हैं.एक दिव्य(देवताओं) साल =३६० पृथ्वी साल के बराबर होता है इस तरह महायुग ४३२००००/३६०= १२००० दिव्युग जिसे एक युग कहते हैं.अब गरना करे.युग. सहस्त्र.योजन.=12000X1000X8 MILES = 12000X10000X8X1.6KM=153600000KM (१ योजन = ८ मील ,1 मील =-१.६ किलो म. )नासा ने जो नापा है वोह १४९६०००००किलो म. है क्यों प्रथ्वी अंडाकार होती है इसलिये फर्क थोडा हो जाता है.. देखा आपने की कैसे हमारा आध्यात्म और आज के विज्ञान का घहरा नाता है.
सकल्नकर्ता :- रमेश अग्रवाल ,कानपुर
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