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हिंदी दिवस की सार्थकता

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम

१४ सितम्बर को पुरे देश में हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है.इस दिन हिंदी को देश की भाषा बनाने के लिए जगह जगह गोष्टी होती,कुछ भाषण वगैर हो जाते हिंदी के लिए बड़ी बड़ी कसमे और प्रस्ताव पारित करने की खाना पूरी की जाती परन्तु हिंदी को आज वोह स्थान नहीं प्राप्त हो सके जिसकी वह हक़दार है,भारत ऐसे देश में भी आजादी के ६७ साल भी उसे रास्त्र भाषा का दर्ज़ा नहीं मिल सक और यदि ऐसा करने का प्रयत्न किया जाता थो तमिलनाड से करुणानिधी और दुश्रे नेता विरोध कर स्वर उठाते और फिर सब कुछ शांत हो जाता.सविधान में यदि इसे देश की रास्त्र भाषा घोषित कर देते तो फिर टीक होता परन्तु ३४३ अनुछेद के अनुसार हिंदी के साथ अंग्रेज़ी को भी सभी कार्यो के किये इस्तेमाल   की इज़ाज़त  के साथ 1५ साल बाद फिर समीक्षा की बात रख दी गयी की अंग्रेज़ी को राखी जाये या ख़तम कर दिया जाये बस इससे बात का फायदा उताकर तमिलनाद के नेता विरोध कर अंग्रेज़ी को रखवाने और हिंदी को पीछे धकेलने में सफल हो सके.सविधान में हिंदी को संपर्क की भाषा न देने पर आज हिंदी इतनी ऐसी दशा में है जब्को आंकड़े उसके पक्ष में है.कुछ यहाँ प्रस्तुत किये जा रहे हैं.

१.हिंदी भाषी प्रदेशों की आबादी ४६ करोड़ है. २.पुरी विश्व में ८० करोड़ लोग हिंदी बोल और समझ सकते हैं. ३. चीनी भाषा के बाद हिंदी विश्व की दूसरी सबसे ज्यादा बोली जानी वाली भाषा ही.  ४.विदेशों के १५० विश्वविधालयो में हिंदी पढाई जाती है जिसमे ९१ में इसकी विशेष पीठ है. ५.पुरे दक्षिण भारत के फिल्मो की कमाई से हिंदी भाषा फिल्मो की आमदनी चारगुनी है. ६.अंग्रेज़ी के मुकाबले हिंदी भाषा समाचारों की संख्या दो गुनी है. ७.अमेरिका में ६.५ लाख लोग हिंदी बोल और समझ सकते हैं. ८.हमारे देश में ७५% लोग हिंदी बोल और समझ सकते हैं.

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