Menu
blogid : 18237 postid : 784959

सेकुलरिज्म का दुर्प्रयोग (भाग १)

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
  • 366 Posts
  • 488 Comments

जय श्री राम

आज़ादी के पहले अंग्रेजों ने हिन्दू मुसलमानों के बीच फूट डाल कर राज करने की जो नीति अपनाई थी ,हमारे सत्ता के लालची नेताओं ने आज़ादी के बाद सेकुलरिज्म के नाम पर राज्य किया जिसमे भारतीय जनता पार्टी को छोड़ सबी दल शामिल हैं.इसके अलावा इस शब्द का मीडिया और बुद्ध्जीविओं ने इस्तेमाल कर हिन्दू, मुसलमानों के बीच झगडा ,तनाव और दर पैदा कर देश का सामाजिक सौहार्द बिगाड़ा .इसके लिए कांग्रेस पार्टी सबसे ज्यादा जिम्मेदार है.जिसने इस शब्द का गलत दुर्प्र्योग करके ५६वर्षों तक राज्य करने में सफलता प्राप्त की.इस शब्द को १९७६ में इंदिराजी ने सविधान में जोड़ा था.इस शब्द का वास्तविक अर्थ है की किसी भी राज्य को किसी भी धर्म के साथ कोई भेदभाव कारन चैये न किसी को खास सुविधाए प्रधान करनी चाइये, परन्तु इस शब्द को मुस्लिमो का तुस्टीकरण और हिन्दुओ को अपमानित करने के लिए इस्तेमाल किया गया .इससे मुसलमानों की आर्थिक,बौधिक और शैक्षिक अवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ परन्तु दोनों समुदाय के बीच विरोध,अविश्वास और नफरत बढीऔर देश को दंगो की आग में झोंक दिया गया जिससे दोनों समुदायों का नुक्सान हुआ.मीडिया का भी एक वर्ग राजनेताओ के साथ दे कर हिन्दुओ को अपमानित करने की मानसिकता में संलंग है.कुछ स्वम्भू बुधजीवियोने बिना किसी तर्क के हिन्दू विरोध का झंडा ऊंचा करते रहे जिससे सामजिक व्यवस्था को बहुत नुक्सान हुआ .देश को सेकुलरिज्म के नाम पर सरकार का मुस्लिम तुस्टीकरण के बहुत उदहारण है.देश के पूर्व प्रधान मंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने कहा था की देश के संसाधनों में मुसलमानों का पहला अधिकार है .उत्तर प्रदेश सरकार ने ३० विभागों में ८५ योजनाओ में २०% मुसलमानों को आरक्षण दिया.हज यात्रा पर सरकारी अनुदान ,देश के विभिन्न भागो में हज हाउस की स्थापना जो मुस्लिम देशो में भी नहीं होता, परन्तु अमरनाथ यात्रा और मानसरोवर यात्रा पर टैक्स.वन्देमातरम और सूर्यनमस्कार का विरोध पर सेक्युलरिस्ट चुप क्यों?सेना में जय हिन्द की जगह अब गुड मोर्निंग और गुड इवनिंग से अभिवादन किया जाने लगा.

सेकुलरिज्म का अर्थ भारतीय संस्कृत को नस्त करने और विरोध के लिए करा जाता है.मीडिया में हिन्दू  संतो और धरम्गुरुओ के खिलाफ दुष्प्रचार किया जाता परन्तु मुस्लिम धरम्गुरुओ और पादरिओ के खिलाफ कोई नहीं बोलता .दिल्ली और पच्छिम बंगाल सर्कार मुस्जिदो के इमामो को सरकारी खजाने से प्रतेक माह अनुदान देती है.यू.पी.सर्कार केवल मुस्लिम्स लडकियों को ३००००रु के छात्रिवृत और शादी में ५००००र देती है फिर गरीब हिन्दू लड़कियो को क्यों नहीं?नवरात्री पर डी.जे .पर प्रतिबन्ध परन्तु नवाज़ के लिए मस्जिदों में लाउडस्पीकर की छूट क्यों? इसी तरह गोवाध्सालाओ को सरकारी अनुदान और गौशालाओ पर टैक्स क्यों?मुस्लिम त्योहारों पर २४x७ घंटे बिजली परन्तु हिन्दू त्योहारों में क्यों नहीं?यू.पी.ए सरकार ने पिचले चुनाव में मुसलमानों के लिए विशेष सरकारी बैंक्स से कर्क्स की व्यवस्था  और अरबो रुपये बाँट दिए.मुस्लिम बहुल इलाको में अवैद रूप से मकान,दूकान और मस्जी बनाये जाते हैं परन्तु प्राधिकरण के अधिकारी बवाल की वज़ह से उन्हें गिराने नहीं जाते.अफज़ल गुरु, कसब और अबू सालेम ऐसे खतरनाक अपराधियों  को जेल में उच्च कोटि की सुविधाए देने में करोरो रुपये खर्च किये गए परन्तु  साध्वी परिज्ञ ठाकुर और स्वामी असीमानंद के साथ अमान्सुई व्यवाहर पर चुप्पी क्यों?गुजरात दंगो से प्रभवित लोगो और अवैद रूप से रहने वाले बेन्ग्लदेशिओन पर अरबो खर्च परन्तु कश्मीर पंडितो ,पाकिस्तान से अत्याचार और धर्म परिवर्तन के दर से आने वाले हिन्दुओ पर चुप्पी क्यों? सेकुलरिसतो के दवब मे सरकारेए उतसवो मे सरसवति वनदन बनद कर दी गयी१९९० मे “चानकय सेरिअल “मे अखनद भारत के एक दरस (scene)से भगवाझंडा हटवाने का आदेश दे दिया गया.दूरदर्शन में :सत्यम ,शिवम्, सुन्दरम “को हटा दिया गया था जिसे बाद में विरोध के बाद वापस ले लिया गया,अन्ना हजारे के आन्दोलन मंच पर भारतमाता का चित्र लगने से सेकुलरिस्ट का विरोध था.लैंप जलाने  की प्रथा से कार्यक्रम की शुरआत को साम्प्रदिक कहा जाता था .गुजरात हाई कोर्ट में एक वाद दायर किया गया की नारियल फोड़ कर उद्घाटन हिन्दू प्रथा है जो सेकुलरिस्म के खिलाफ है.चेन्नई हाई कोर्ट में एक वाद दायर किया गया की त्योहारों को ऑफिस में मनाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाये क्योंकि यह हिन्दुओं की रीति है.ओवेसी के आई.एम्.और मुस्लिम लीग नको सेकुलर मानने वाले ओवेसी के रास्त्र विरोधी भाषण पर चुप्पी क्यों?म्यांमार के मुसलमानों को हैदराबाद में बसने की कोशिश और मुंबई के आजाद मैदान पर कट्टरपंथियोमुसलमानों द्वारा उपद्रव मचने और पोलिस ऑफिसर्स को मारने पर भी चुप्पी क्यों?मुलायम,आज़म  खान और अबू आज़मी के साम्प्रदिक भाषणों पर चुप्पी क्यों?केंद्रीय सरकार ने १४ अनिवार्य छुट्टियाँ रक्खी हैं जिसमे सब धर्मो के महपुरशो के जन्मदिन पर छुट्टी शामिल है परन्तु राम नवमी और जन्मास्त्मी के छुट्टी नहीं है.मुसलमानों को ४ और हिन्दुओ को केवल २ छुट्टिय है.यह देश की करोडो हिन्दुओं का अपमान है.सरकार हिन्दू मंदिरों का अधिग्रहण कर अपना प्रतिनिधि नियुक्त कर सकती औत सम्पति पर अधिकार कर सकती परन्तु मस्जिदों और गिरजाघरो को छु नहीं सकती जबकि उनके पास भी अरबो की सम्पति है.अलपसंख्यक विधालयो में शिक्षा का अधिकार कानून लागू नहीं हो सकता ,उन पर दखल नहीं दे सकती यदपि उन्हें सहायता मिलती है.देश में सामान आचार सहिंता लागू नहीं है .मुसलमान ३ बार तलाक कह कर तलाक ले सकते हैं जबकि अन्य समुदायों को अदालत से लम्बी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है.शाहबानो के फैसले को मुसलमानों को खुश करने के लिए संसद से क़ानून बना कर निरस्त कर दिया गया, परन्तु महिला संगटन चुप रहे परतु लड़किओं को शराब पीकर जाने और उर्डंगामचाने से रोकने पर यह कितना हल्ला मचाते हैं.इलाहाबाद का नाम बदल कर प्रयागराज नहीं रखा गया.अयोध्या, वरानाशी में हमारे मंदिरों के बगल में मस्जिद बनी हैं इन मंदिरों को सोमनाथ की तर्ज़ पर क्यों नहीं बनाये गए?दिल्ली में औरंगजेब के नाम का साइनबोर्ड अभी भी लगा है .औरंगजेब हिन्दुओ का सबसे बड़ा कातिल था जिसने तलवार के बल पर लाखो का धर्म परिवर्तन करवाया और सिक्खों के गुरु तेग बहादुर सिंह का कत्लइसलिए करवा दिया था की उन्होंने इस्लाम कबूल नहीं किया.२००७ में करीब एक लाख मुसलमान औरंगजेब ने ३००वे जन्मदिन पर उसके मक्बले में जाकर श्रधांजलि दी थी .अभी हॉल में पवार के दल ने औरंगजेब को सूफी संत की पदवी दी थी.१९७८ में एन.सी.आर.टी.ने अपने इतिहास की पुस्तकों  में हिन्दू मुसलमानों की ऐहत्सिक युद्ध की गाथा  को कम करके पड़ना शुरू किया अकबर से औरग्ज़ेब पर एक अध्याय पढाया जाता है जबकि रना प्रताप और वीर शिवाजी पर एक पैराग्राफ जब्को मुग़ल बहार से आकर आक्रमण कर के राज इस्थापित किया था परन्तु महाभारत पर बिलकुल नहीं पढाया जाता क्योंकि हिन्दुओ के घोर विरोधी वाम पंथीओं पर कांग्रेस ने इतिहास लिखने की ज़िम्मेदारी दी थी. पुरातत्व विभाग ने १९२४-२५ में मुसलमानों द्वारा तोड़े गए मंदिरों की पुरी सूची प्रकाशित की गई  थी जिसमे सीताराम गोपाल,अरुण शोरी और अन्य लोगो ने शोध करके ६४ पन्नो में प्रकाशित किया था जिसे  पुरे देश के जिला स्तर के तोड़े गए मंदिरों की विस्तृत नक़्शे सहित वर्णन   था जिस पर मुसलमानों ने अपनी मस्जिदे बना ली हैं.कश्मीर में ९० के दशक में हिन्दुओ सैकड़ो मंदिर तोड़े गए परन्तु सेक्युलरिस्ट चुप रहे.राम सेतु,भगवन राम ,श्री  मद भगवत गीता और राम मंदिर को अदालत में घसीटा गया और भगवन राम को काल्पनिक बताया गया जिससे करोडो हिन्दुओ की भावनाओं को चोट पहुँची .क्या मुस्लिम/ईसाई बहुल देशो कुरान,मुहम्मद .ईशा मसीह और बाइबिल को अदालत में घसीटा जा सकता है, और उनको काल्पनिक कहने की कोई हिम्मत कर सकता है.?यू.पी.ए की सर्कार ने सर्वोच्च न्यायालय में एक शपथ पत्र दिया जिसमे कहा गया की भगवन राम और राम सेतु के अस्तितिव का कोई प्रमार्ण नहीं है.देश में इशई मिशिनरीखुले आम हिन्दुओं के भगवान् और देविओं का मजाक उठाते हैं जिसमे ज़कीर नायर ऐसा मुस्लिम मिशनरी भी शामिल है परन्तु सेकुलरिस्ट अनु न्यूज़ ट्रेडर्स चुप क्यों?भगवन राम के नाम से सेकुलर भड़क जाते हैं.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh