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आर्य संस्कृति का प्रचार और प्रसार

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम
आर्य संस्कृति परम्पराओ,मर्यादाओ ,मूल्यों ,समानता,विश्व बंधुत्व पर आधारित विश्व की सबसे प्राचीन अरबो वर्ष पुरानी है.यदपि अंग्रेजो ने इसका पूरा इतिहास गलत पढ़ा कर यह बताने की कोशिश की की आर्य लोग बाहर से .आये थे और यहाँ के द्रविड़ो को भगा दिया.क्या करोडो वर्ष पूर्व भगवन राम भी बाहर से आये थे ?अंग्रेजो के आने से पहले हमारा राष्ट्र एक विकसित देश था नहीं तो बाहर के लोग यहाँ आक्रमण करके राज्य न करते.हमारे यहा गुरुकुल की शिक्षा होती थी.औरतों का पूरा सम्मान दिया जाता पुरी स्वंतंत्रता थी परन्तु उनकी शालीनता और मर्यादा का ध्यान रखा जाता था.सनातन धर्म इसका अटूट अंग है.ये किसी एक ग्रन्थ या मनुष्य के नाम पर नहीं परन्तु असंख्य ऋषी मुनिओ द्वारा तपस्या और योग साधना से इस संस्कृति के उत्थान में योगदान किया.इसकी पहचान वेदों,१८ महापुरानो ,रामायण,महाभारत,गीता,,गंगा,गायत्री,गौ माता,भगवन राम और कृष्णाजी और अनेक पवित्र ग्रंथो से है जो संस्कृत में लिखे हैं इसीलिए विदेशो के बहुत से विश्व विधालय में संस्कृत में पदाई और रिसर्च होती है हमारे ऋषिओं ने हमारे त्योहारों को सामाजिक समरसता के लिए आयोजित किये और कुम्भ मेले तो सबसे बड़ी उदहारणहै.इतना बड़ा मेला विश्व में कही नहीं होता,.समय समय पर संस्कृति और धर्म के खिलाफ कार्य करने वाले दुष्ट पैदा होते रहे और उनको ख़तम करने और रक्षा के लिए महापुरुष जन्मा लेते रहे और कही बार भगवानजी खुद ही अवतरित हो आर पृथ्वी में आते है.हमने समसे मिलकर रहने और मानवता से प्रेम और विश्व बंध्त्व का आचरण अपनाया.न तो हमने किसी देश पर आक्रमण किया न धर्म परिवर्तन का दवाब बनाया.हम बहुत ही स्वंतंत्र तरह की मान्यता रखते इसीलिए कोई एक भगवन को ही नहीं मानते.शादी में दहेज़ के लिए कोई दवाब नहीं था न ही जबरदस्ती सती की परंपरा थी या लडकियो को अपमानित या माँरने की. .
देश में मुस्लिम आक्रमणकारी आये उन्होंने लूटा ,बहुतो को मारा या धरम परिवर्तन करवाया और राज्य भी किया परन्तु हमारी संस्कृति पर ज्यादा असर नहीं पड़ा परंटी पर्दा प्रथा जरूर आ गयी.हमारे बहुत से मंदिरों को तोड़ डाला गया और उसकी जगह मस्जिदे बना ली गयी और अमूल्य धन सम्पदा लूट ले गए.उनके प्रभाव से कुछ रहन सहन के साथ उर्दू की शुरुहात हुई.सबसे ज्यादा नुक्सान अंग्रेजो ने किया जिन्होंने हमारी शिक्षा निति को समाप्त करके अपनी शिक्षा हम लोगो पर ठोकी और हमारे इतिहास को गलत पढ़ा कर हमारे मानसिक सोच को बदल दिया.हमको बताया गुआ की हमारे पूर्वज बन्दर थे और बाहर से आये थे.हम लोग अनपढ़ और गंवार थे और अंग्रेजो ने हमें शिक्षित किया.इसके अलावा उन्होंने अपने स्कूल खोले और अपनी अंग्रेजी सभ्यता में रंग दिया.इसके अलावा ईसाई मिशनरीयो ने धर्म परिवर्तन का कार्य पैसे के लालच दे कर गरीबो,गाँव के लोगो और आदिवाशी क्षेत्रो में करते रहे .हमारे राजाओं,देशवाशियो और सोख गुरुओ ने इनके खिलाफ युद्ध करके बहुत बलिदान समय समय पर किया.
जहाँ मुसलमानों ने हिंसा के बल पर कार्य किया अंग्रेजो ने चालाकी,और आपस में लड़वाने की नीति अपनाई जिससे वे ज्यादा सफल हुए.उन्होंने हमारे इतिहास को बदल कर हमारे महापुरषों के बारे में गालर पढ़ा कर हमारे दिमाग को दूषित कर दिया.
आजादी के बाद उम्मीद थी की हमारे नेता गुलामी के सारे निशान ख़तम कर देंगे परन्तु आज भी सडको,भवनों ,शहरो के नाम नहीं बदले गए,न ही नहीं शिक्षा नीति बनाई गयी न यी इतिहास को बदल कर टीक रक्खा गया.हमारे उन मंदिरों की जगह की मस्जिदों हटाया नहीं गया न ही तोड़े गए मंदिरों को बनाया गया केवल सोमनाथजी मंदिर को.छोड़ कर.नेहरूजी की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति से ऐसा हुआ यान तक की देश को अपना नाम और भाषा भी मिल सकी.
कांग्रेस के सेकुलरिज्म ने आर्य संस्कृति का सबसे बढ़ा नुक्सान किया,हमारी संस्कृत पर समय समय पर आक्रमण होते रहे परन्तु महापुरशो का समाया समाया पर आकर रक्षा का सिलसिला चलता रहा.आज ईसाई मिशनरी बहुत बड़ी संख्या में आदिवासी ,गरीबो और गाँव में रह कर धर्मान्तरण करने में लगे हैं इसके लिए पैसा विदेशो से आता है.ओडिशा,,और नार्थ ईस्ट प्रदेशो में इनकी बहुताहत है.इसके अलावा यह लोग हमारे धर्म ग्रन्थ और भगवन और देवी देवताओं के बारे में अनर्गल बाते कर के लोगो को भड़काते हैं.आजादी के बाद अब व्यक्ति की स्वंतत्रता के नाम पर बहुत से बुद्धिजीवी और कुछ संस्थाए केवल हिन्दुओ के धर्म ग्रंथो,देवी देवताओ और भगवानजी के बारे में उल्टी सीधी बाते करते रहते हैं.परन्तु इसकी रक्षा करने के लिए रास्ट्रीय स्वयंसेवक संघ,विश्व हिब्दु परिषद् और कई संगठन और हमारे आध्यात्मिक गुरु लगे रहते हैं.कांग्रेस ने देश के इतिहास के लिखने की ज़िम्मेदारी घोर हिदु विरोधी वाम पंथी लेखों को देकर इतिहास को गलत ढंग से पढने के लिए मजबूर कर दिया.सेकुलरिज्म और लोकतंत्र के नाम से हिन्दुओ के साथ अन्याय हो रहा है..हमारे देश के साधू संतो ने बहुत से संगठन बना कर आर्य संस्कृत में अपने योगदान करना शुरू कर दिया.हमारे ये धर्मगुरु देश और विदेशो में जा कर सनातन धर्म और आर्य संस्कृति के प्रचार में लगे हैं और विभिन्न पत्रिकाओ द्वारा इसाईओ के गलत कार्यो को उगागर करते है और अपने धर्म के बारे में प्रवचन करते हैं.जबसे टीवी केबल शुरू हो गए कई अध्यात्मिक चैनल्स केवल धरम और संस्कृत का प्रचार २४ घंटे देश विधेशो में कर रहे हैं जिनसे लोगो में जागृत पैदा हो गयी है.आधुनिक तकनीकी का भी पूरा फ़ायदा उठा रहे हैं.सबसे पहले आस्था चैनल ने १४ साल पहले शुरुहात की थी परन्तु अब तो बहुत हो गए हैं.इधर १४ सालो से स्वामी रामदेवजी और बल्क्रिश्नाजी ने योग और आयुर्वेद की क्रांति करके पुरे विश्व में डंका बजा रखा है.और लाखो लोगो को इसका फ़ायदा मिल रहा है.गायत्री परिवार भी अपना कार्य कर रहा है.देश विधेशो में सनातन धर्म और आर्य संस्कृत की अलख जग रही और लोगो को इसके बारे में पता चल रहा है.यदपि कुछ लोग इसके नाम पर गलत कार्य कर रहे को जिसको रोक पाना बहुत मुस्द्किल है.इसके अलावा ये गुरु और संस्थाएं आदि वासी और पिछड़े क्षेत्रो में शिक्षा, स्वास्थ्य,और दूसरी तरह की सेवाओ में बहुत कार्य कर रहे हैं.प्राकर्तिक आपदाओं में भी ये लोग और संस्थाए बहुत उच्च कोटि का कार्य कर रहे हैं.ईसाई मिशनरीबहुत नाराज़ है और इसकी कीमत कभी कभी हमारे गुरुओ को देनी पड़ती है.पहले कृपालुजी महाराज, फिर जयंती सरस्वती के खिलाफ विभिन्न आरोप लगे और फिर लाखो लोगो का जीवन परिवर्तन करने वाले बापू आसारामजी को बलात्कार के झोटे केस में फंसा कर पिछले १५ महीने से जेल में बंद कर दिया है.क्योंकि वे ईसाई मिशनरी के साजिश में फ़साये गए क्योंकि वे उनके गलत कार्यो को उगागर कर रहे थे.सनसनी खबर के लालच में टीवी चैनल्स और मीडिया हिनदु विरोधी खबरों को खीब उचलता है.कभी भी मौल्वियो, उलेमाओ या ईसाई फादर के खिलाफ कुछ नहीं दिखया या लिखा जाता.कोई में मुहम्मद या इस्लाम के खिलाफ या बाइबिल और क्राइस्ट के खिलाफ क्यों नहीं लिखता ?अब समय आ गया है की हिन्दुओ को एक हो कर गलत कार्यो के खिलाफ एकजुट हो कर विरोध करना चैये.सोनिया गाँधी ने हमरे धर्म और संस्कृति का बहुत नुक्सान किया,याद होगा की पिछली सरकार ने ही सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा देकर कहा था की भगवन राम या राम सेतु के कोई प्रमाण नहीं हैं यह करोडो हिन्दुओ की भावना का अनादर है जिसका फल मिल गया.
विदेशों में इस्कान (ISCKON )ने विश्व के बहुत देशो में मंदिरों द्वारा गीता और धर्म का खूब प्रचार किया.इसके अलावा स्वामी नाथजी के भी मंदिर हैं.स्वामी विवेकानंदजी ने विदेशों में हमारी कीर्ती फैलाई .बहुत से भारतीय गुरों ने बहुत योगदान दिया और बहुत से विदेशीओ को इस धर्म और संस्कृति की तरफ आकर्षित किया.
सनातन धर्म और आर्य संस्कृति एक समुद्र के सामान है और जितनी भी नदिया गिरे या पानी लिया जाये कोई फर्क नहीं होता.इसकी रक्षा करना और प्रसारित करना हर एक सच्चे हिन्दू का कर्त्तव्य है.!

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