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नेहरूजी पर राजनीती क्यों ?

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम
महापुरुष देश के होते है उन्हें एक दल में बाटना उनकी बेईज्ज़ती करनी है परन्तु ऐसा लगता है कि देश के सबसे पुराने दल कांग्रेस को इसका भान नहीं इसीलिए वह केवल नेहरु गाँधी परिवार में पैदा हुये लोगो की ही जयंती मना कर खुश हो जाती थी इसीलिए पटेलजी,राजेंद्र बाबु,तिलकजी,मालवीयजी और अनेक महापुरषों को कांग्रेस ने भुला दिया था.इस वक़्त मोदीजी ने पहले पटेलजी की गुजरात में विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा स्थापित करने के साथ उनके जन्मदिन ३१ अक्टूबर को रास्ट्रीय एकता के रूप में मनाया और १४ नवम्बर को नेहरूजी के १७५ वे जन्मदिन में बच्चो को स्कूल में स्वछता अभियान मानाने के साथ और भी कही आयोजन किये परन्तु गाँधी परिवार और कांग्रेस ने सरकार द्वारा गठित समिति से न रहने की इच्छा जताने के साथ दिल्ली में अंतररास्ट्रीय आयोजन किया जिसमे चाइना की कम्युनिस्ट पार्टी और कुछ पूर्व शासनाध्यक्सो को आमंत्रित किया और देश से उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री और मुलायम के साथ ममता बनर्जी और वाम दलो को भी बुलाया ये सब कार्य सेकुलरिज्म के नाम पर और नेहरूजी की नीतिओं के समर्थन का हवाला दिया.ममता ने जिहादियो को वोट के लालच में पुरे प्रदेश में बम्ब बनाने की फैक्ट्री लगवा दी और जिनमे मदरसे भी शामिल है.इसका खुलासा रास्ट्रीय जांच दल (N .I .A ) ने किया.उत्तर प्रदेश की सरकार ने आतंकवादियो को छोड़ने के लिए अदालत से सिफारिश की और वाम दल तो नेहरु के घोर विरोधी थे. चाइना ने नेहरु को सबसे बड़ा झटका १९६२ में हमला कर दिया था.ऐसे लोगो को बुला कर कांग्रेस देश को क्या सन्देश देना चाहती थी.?सही मायेने में कोई दल बीजेपी को छोड़ कर धर्म निरपेक्ष नहीं है.इस अधिवेशन में उम्मीद की जाती थी की नेहरूजी के उनके किये हुए बलिदानों ,स्वतंत्रता के लिए आन्दोलनों और भारत को आधुनिक बनाने के बारे में ही केन्द्रित होगा परन्त वहां मोदीजी के ऊपर आरोप लगते हुए नेहरु के खिलाफ चलने का इलज़ाम लगाया.इस अधिवेशन में ज्यादा लोग भी नहीं आये, सीटें खाली पडी थी प्रधान मंत्री मोदीजी के ऑस्ट्रेलिया के आधिकारिक यात्रा की वजह से टीवी चैनल्स का पूरा ध्यान वही लगा था इसलिए इस का कोई असर जनता पर नहीं पड़ा.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने कहा की सेकुलरिज्म के बिना भारत रह नहीं सकता और मोदी ने छल-कपट से और गलत तरीके से देश में सत्ता हासिल कर ली क्या वे देशवाशियो को बेवकूफ समझती है और क्या ये उनका अपमान नहीं और क्या कोई इसपर विस्वास करेगा?इसी तरह उनके सुपुत्र और उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने कहा की देश नेहरु की विचार धारा,विचारो को भूल रहा है और? मोदीजी देश को स्वच्छ करने के लिए झाड़ू चला रहे वही दुसरी तरफ जहर उगलते है.कोई भी समझदार समझ सकता है की ये बचपना व्यान है और कोई इसको गंभीरता से नहीं लेगा.असल में पहले लोक सभा और अब महारास्त्र और हरियाणा में सरकारे खोने के बाद कांग्रेस और उनके नेताओं का मानसिक संतुलन बिगड़ गया और उनकी समझ में नहीं आता की क्या करे देश और विदेशों में मोदीजी की सफलता और लोकप्रियता से ये लोग इतने ज़ल रहे.की बौखला गए हैं .जिस सेकुलरिज्म की ये बात करते हैं वो १९७६ में श्रीमती इंदिरा गाँधी ने संविधान में लिखा था. और क्या कांग्रेस सही मायने में सेक्युलर है?क्या मोदी की एन .डी.ए.सरकार विकास नहीं कर रही.सईं मायने में यही सरकार सेक्युलर है जो धर्म के नाम पर भेद भाव नहीं करती .नेहरूजी ने कहा था की वोह शिक्षा और रहन से इंग्लिश है, संस्कृति(कल्चर) से मुसल्मान और जन्मा से हिनदु है.उनमे स्वाभीमान और रस्त्रियता की कमी थी इसीलिए आक्र्मंकरियो और गुलामी के स्मारकों और निशानियो को नष्ट नहीं किया या बदला नहीं.वाम डालो को इतिहास लिखने की इजाज़त देकर पुरे इतिहास को हिनदु और राष्ट्र विरोधी करवा दिया.उनमे दूरदर्शिता की कमी थी इसीलिए कश्मीर समस्या हल न हो पाई और चीन से धोखा खा गए वे .राष्ट्रवादी नेताओ जैसे पटेल,राजेंद्र बाबु,टंडनजी मालवीयजी ,तिलकजी से अच्छे सम्बन्ध नहीं थे.सोमनाथ मंदिर के पुनार्निर्वान से पटेलजी और राजेंद्र बाबूजी से नाराज़ हो गए और उनके अन्तेष्ट कर्म में शामिल नहीं हुए.नेहरूजी को उनके अंग्रेज़ी रीती रिवाज़ के वजह से कांग्रेस के ज्यातर लोग उन्हें नहीं चाहते थे परन्तु गांधीजी की नेहरूजी के जिद्द के कारन उन्हें प्रधान मंत्री बनवाया गया.उनके औधिदिकरण की नीति अच्छी थी और उसे बढाया जा रा हा परतु गांवो के विका पर दयां न देना राष्ट्र को कितना महंगा पड़ा.नई सरकार सब लोगो का ख्याल रखते हुए नीतियां बनाएगी सो राष्ट्र का पूर्ण विकास कर सके.
नेहरूजी की राष्ट्रीय नीतिओं को अपनाया जायेगा गलत नीतिओं को नहीं.ये सरकार सभी महान्पुरुशो का सम्मान करती है क्योंकि वे राष्ट्र के लिए कार्यरत थे कांग्रेस की तरह एक परिवार तक सीईट नहीं रहेगे.

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