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मोदीजी के सूट पर इतना हो हल्ला क्यों ?

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम
२६ जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा से एक मुलाक़ात में हमारे प्रधान मंत्री ने नीले रंग का धारी धार बंद गले का सूट पहना था जिसपर उनका पूरा नाम नरेन्द्र दामोदर मोदी लिखा था किसपर वे बहुत अच्छे लग रहे थे !वास्तव में उनके ४० साल पुराने एक व्यापारी मित्र रमेश भीखाभाई ने अपने सुपुत्र की शादी के निमंत्रण के साथ एक अनुरोध के साथ दिया था की वे लड़के की शादी में इसे पहन कर आये. .मोदीजी ने उनसे साफ़ बता दिया की ओबामा के साथ कार्यक्रम के चलते वे शादी में नहीं आ सकते परन्तु उसदिन इस सूट को वे जरूर पहनेगे और उसके बाद इसकी नीलामी को दे देंगे.मोदीजी पिछले १३ वर्षो से गुजरात के मुख्या मंत्री रहते अपनी मिली हर उपहारों की नीलामी कराकर लडकियो की शिक्षा के लिए ट्रस्ट को दे देते थे और मुख्य मंत्री पद छोड़ दिल्ली आते वक़्त अपने निजी खाते से ३५ लाख रु अपने स्टाफ के लोगो के लडकियों को शिक्षा के लिए ट्रस्ट में दे आये थे..परन्तु चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद विपक्षी दलों ने इस सूट को लेकर हल्ला मचाया और इसकी कीमत को १० लाख बता दिया और इसे विदेश में सिलवाने की बात का प्रचार कर दिया.हमारे मीडिया प्रिंट और टीवी वालो ने बिना सत्य का पता लगाये इसका प्रचार शुरू कर दिया और जैसे हिन्दुस्तानियो की आदत होती है बिना सोचे समझे झूट की आंधी में बह गए.जिससे मोदीजी की छवि थोड़ी बहुत ख़राब हुयी और दिल्ली में राहुल गाँधी और केजरीवाल ने इसका खूब प्रचार कर मोदीजी को गरीब विरोधी नेता बता कर खूब तालियाँ और सहानभूति बटोरी और बीजेपी की हार और केजरीवाल के दल की जीत में अहम् योगदान दिया हालाँकि बीजेपी की हार के अन्य भी कारण थे. सेक्युलर ब्रिगेड, अंग्रेज़ी अखबार बुद्धिजीवी और कुछ टीवी चैनल्स बीजेपी/मोदी/आर.एस.एस. के खिलाफ आग उगलने में हमेश आगे रहते और उनके अच्छे कामो को नहीं दिखाते.
जैसा मोदीजी ने कहा था उन्होंने सूरत में अपने सूट के साथ अन्य ४५५ चीजे जो उन्हें प्रधान मंत्री बनने के बाद में उपहार में मिल्ली थी ,नीलामी के लिए दे दी और जिसका मिले धन को वाराणसी में गंगा स्वच्छता अभियान में देने की घोषणा की .३ दिन की नीलामी के बाद उनका सूट एक हीरा व्यापारी लालजी भाई पटेल ने ४.३१ करोड में खरीद लिया और पुरे उपहारों की नीलामी से ८.३३ करोड़ रुपये मिले .ये नीलामी तीन दिन चली थी और समय के बाद बोली ५ करोड़ तक बोली गयी थी जिसे मंजूर नहीं किया गया.विरोधी दलों कांग्रेस ,तृणमूल कांग्रेस और अरविन्द केजरीवाल ने नीलामी की भी आलोचना की की ये आलोचना और क्षेप बचने के लिए नीलामी की गयी परन्तु इन गिरे लोगो को कौन समझाए?ये तो हर चीज में विरोध ही करना चाहते हैं..देश की जनता अब सत्य समझ गयी परन्तु मोदीजी के विरोधी मैकाले की मानसिकता से ग्रस्त है उनको मोदीजी का विरोध ही राज्न्नेती है परन्तु मीडिया/टीवी चैनल्स को कम से कम सच दिखा कर वैसी व्याख्या करना चाइये.देश के विकास में विरोधियो की भी उतनी ज़िम्मेदारी है जितनी सरकार की.देश के विपक्ष को अमेरिका और पच्छिम से सीखना चैये की सरकार के अच्छे कार्यो की तारीफ कैसे करनी चाइये.अभी हमारे राजनेता पुरी तरह परिपक्य नहीं हैं जो लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है.

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