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भारतीय नववर्ष

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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रा चित्र नक्षत्र में होकर शुक्ल प्रतिपदा की शुरुहात मणी गयी है.फसल काटने वाली होती है.भारतीय नववर्ष (विक्रमी संवत andh जय श्री राम
अंग्रेज़ी कैलेण्डर के अनुसार नववर्ष १ही जनुवरी से शुरू होता है जबकि भारतीय नववर्ष चैत्रीय नवरात्र से शुरू होता है.इन दिनों वसंत ऋतू रहती सर्दी ख़तम हो कर गर्मी की शुरुहात होती है.मौसम बहुत सुहावना रहता है.पतझर ख़तम हो कर नए पत्ते बौर आने शुरू हो जाते हैं.किसान फसल काटने को तैयार रहते हैं.चंद्रमा चित्रा नक्षत्र में होकर शुक्ल प्रतिपद के दिन से बढना शुरू हो जाता है.भारतीय नववर्ष (विक्रमी संवत)को नव संवत्सर भी कहते है.इस संवत्सर का नाम क्रोधी और इसका रजा चन्द्र और मंत्री ब्रहस्पति है.विक्रमी संवत का सम्बन्ध पुरे विश्व की प्रकर्ति ,खगोल सिधांत व् ब्रहांड के ग्रहों व नक्षत्रो से है.इसलिए भारतीय काल गणना धर्मनिरपेक्ष होने के साथ श्रृष्टि की रचना व् सनातन राष्ट्र भारत की गौरवशाली परम्पराओ को दर्शाती है.
चैत्र मॉस के प्रथम दिन प्रथम सूर्योदय पर भगवन ब्रह्मा ने १ अरब ९७ करोड़ ३९ लाख ४९ हज़ार ११० साल पहले इसी दिन विक्रम संवत से की थी.५११३ साल पहले युधिस्ठिर जी का राज्य भिषेक भी इसी दिन हुआ था.रजा शालिवाहन ने इसी दिन हुर्नो को पराजित करके दक्षिण भारत को श्रेषथम राज्य इस्थापिथ किया था.इसी दिन दयानंद सरस्वती जी ने आर्य समाज की स्तापना की थी.
देश के विभिन्न हिस्से में अलग अलग तरह से इसे अलग अलग नाम से मनाया जाता है.ज्यातर तिथियाँ मार्च अप्रैल में होती है. पंजाब में १३ अप्रैल को बैशाखी से शरू होता है.सिख धर्म के लोग नानकशाही पंचांग के अंनुसार १४ मार्च को होला मोहल्ला के नाम से मानते है.इसी के आस पास तमिल और बंगाली लोग मानते है.तेलगु मार्च अप्रैल के बीच मानते है.आंध्रप्रदेश में इसे उगादी के रूप में मनाया जाता है.ये चैत्र माह का पहला दिन होता है.महाराष्ट्र में गुडी पाडवा के नाम से इसी दिन मनाया जाता है.कर्नाटक में चैत्र के पहले दिन को नववर्ष मनाया जाता है.मदुरै में चित्राय तिरुविजा नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है.मारवारी समाज बही खता दीवाली के दिन से और गुजराती देवली के दुस्रेदीन मानते है.बंगाली नव वर्ष पोहेला बैशाखी (१४ या १५ अप्रैल)के आस पास मानते है,

सौजन्य:- संस्कार पत्रिका मार्च २०१५

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