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सेवा की मिसाल गुरुद्वारा

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम
सिखधर्म में सेवा कार्य की भावना शुरू से ही सरोपरी रही है.एक ऐसी सेवा जो जात पात,उंच नीच,और गरीब अमीर के अंतर से दूर सभी के लिए समान है.वह गुरुद्वारों में स्प्रष्ट तौर पर दिखाई देती है.!इन सेवा के तहत लगभग सभी गुरुद्वारों में कही साप्ताहिक तो कही प्रतिदिन निशुल्क भोजन कराया जाता है जिसे लंगर कहते है.इसके अलावा वहां निशुल्क आवास की भी व्यवस्था होती है.देश में करीब एक लाख गुरूद्वारो में ये सुविधा प्रधान की जाती है.सिख समाज के लोगो के प्रति उनके वलिदानो और सेवाओ के लिए कृतज्ञ है.इन गुरुद्वारों में सबलोग खुद ही सेवा करते है.इस धर्म के संस्थपक पहले गुरु नानक जी थे और लंगर की शुरुहात भी उनके द्वारा हुयी.एक बार उनके पिताजी ने उनको २० रु देकर व्यापार के लिए भेजा.रस्ते में उन्हें कुछ साधू आते दिखाई दिए उन्होंने उस रुपये से उनके लिए भोजन के व्यवस्था कर दी.पिताजी के कहने पर उन्होंने सब बता दिया पिताजी खुश हुए की और नानकजी की प्रशंसा करते कहा की भूखो को खिलाना बहुत अच्छी आदत है तबसे लंगर की प्रथा शुरू हुयी.मुंबई में १२० गुरूद्वारे हैं.लंगर खाने के पहले सर में रुमाल रख लेना चैये और कोई नियम नहीं है.एक ही साथ सब लोग खाते है.दादर में स्थित गुरुद्वारा टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल है जहां सैकड़ो मरीज़ आते और उनके साथ उनके परिजन भी आते है.यहाँ ३०० कमरे है जिनमे ७५% से ८०% में मरीज़ या उनके परिजन रहते है सिख संदाय के लोग तो केवल ५% होते है.कमरे का किराया १०० से २०० रु प्रति माह होता है और हर कमरे में चार से पांच लोग रह सकते हैं.यहाँ मरीजों के लिए डाक्टर के बताये अनुसार विशेष व्यवस्था होती है दवाई रखने के लिए फ्रीज़ का इंतजाम है और मरीजों के रहने से खास सफाई का इंतजाम करा जाता है.सुबह शाम चाये नाश्ता का भी इंतजाम होता है.इससे गरीब मरेजो और परिज़नो को बहुत सुविधा के साथ आर्थिक बोझ नहीं पड़ता .इसी तरह का एक गुरुद्वारा मनमाड में है जहां शिर्डी के साईं बाबा और शनि भगवान् के दर्शन जाने वाले लोग मनमाड में रहते है.यहाँ २४ घंटे व्यवस्था रहती है.शिर्डी २-२१/२ घंटे का रास्ता है और शिरडी से शनि देव के लिए १ १/२ घंटे का राष्ट है इस तरह इस द्वारे से तीर्थयात्रियो को बहुत आराम मिलता है.जत्थेदार लोगो को शिर्डी और शनी देव के बारे में बताते है.और कोई मलाल नहीं की वहां के दर्शन जाने वाले यहाँ क्यों ठहरे !सर्वधर्म सम्भाव का इससे बड़ा उदहारण कहाँ मिलेगा.यहाँ परिवार के लिए बड़े कमरे भी उपलब्ध है.लंगर के वर्तन खुद धोने पड़ते है.किसी बात की तकलीफ नहीं होती.चांदनी चौक दिल्ली का और चार बंगला दिल्ली के गुरुद्वारों में विदेशी लोग भी आते है और बहुत से लोग रसोई में स्वयं रोटियां बनाते है.वर्तन धोने के लिए आधुनिक सुविधाए का इंतजाम होता है.विदेशो में भी गुरद्वारो में यही सेवा होती है कहीं कहीं लंगर का एक खास दिन होता है.अमेरिका,इंग्लैंड ,फ्रांस,चीन ,रूस, अर्जेंटीना समेत पुरे विश्व में गुरूद्वारे है जहाँ सब सेवा प्रदान की जाते है.साउथ हॉल लन्दन से स्कॉटलैंड तक करीब ४५० गुरूद्वारे है लंगर वाले दिन कही कही एक लाख लोग तक लंगर करते है.कुछ गुरुद्वारों में लंगर रोज़ होते है.जिन दिनों इंग्लैंड में मंदी का दौर था लंगर में जाने वाले लोगो की संख्या बढ़ गयी थी परन्तु बिना परवाह किये सेवा प्रदान की गयी.जरूरत पर आवास भी उपलब्ध करवाए जाते है.
सचखंड एक्सप्रेस:- यह ट्रेन अमृतसर से नादेंड (महाराष्ट्र)के लिए भारतीय रेलवे द्वारा चलाई जाती है जो दिल्ली,मनमाड,औरंगाबाद के रस्ते नादेंड पहुचती है.अमृतसर,दिल्ली,मनमाड और नादेंड के गुरुद्वारों ली विशेष मान्यता है की याह आने वाले भक्तो की मन्नते पूरी हो जाती है.इस ट्रेन में सफ़र करने वाले यात्रिओ को पुरे रस्ते मुफ्त गरमागरम भोजन करवाया जाता है.ये सभी धर्मो के लोगो को दिया जाता है और लंगर के अलावा हलवा,चाय और शरबत भी दिया जाता है.ये भोजन स्टेशनों के करीं के गुरुद्वारों की और से भेजा जाता है.इस तरह इन गुरुद्वारों का देश और विदेश में होने वालो का प्रभंधन बहुत अच्छा है.
सिह्को के पहले गुरु नानकजी और दसवे गुरु गोविन्द सिंघजी थे और उनके बाद गुरुग्रंथ साहिब को मन जाता है जो नादेड में है.सीखो के गुरुओ ने देश के रक्षा में बहुत बलिदान किया और बहुत कुर्बानी दी जिसे देश नहीं भूल सकता.
रमेश अग्रवाल कानपुर
सौजन्य:-संस्कार पत्रिका अप्रैल २०१५ .

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