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भानुमती का कुनबा

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम
आजादी के बाद देश में जाती,धर्म,क्षेत की राजनीती शुरू हो गयी और सत्ता पाना ही एक सिधांत रह गया इसीलिये उत्तर प्रदेश,बिहार विकास नहीं कर सके.देश की दौलत लूटने का चलन हो गया.समय समय पर विभिन्न तरह के गटबंधन बनते रहे परन्तु निजी महत्वाकांक्षा की वाजस से ज्यादा नहीं चल सके और अस्थिर सरकार के होते देश के विकास को धक्का लगा.२०१४ में बीजेपी ने नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विकास,भ्रष्टाचार मुक्त देश के नाम पर प्रचार कर सत्ता पर पहुंचे जिसमे क्षेत्रीय नेताओ के साथ कांग्रेस को भी बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा. फिर ४ विधान सभाऔ में भी जीत के बाद इन नेताओं की नीद उड़ गयी और सत्ता के लिए उनमे बेचैनी बदने लगी और अब विभिन्न दल जो जाती,तुस्टीकरण की राजनीती करते परिवारवाद राजनीती के साथ देश को लूटने में लगे थे और एक दुसरे के घोर विरोधी थे एक छत के नीचे आने को राजी हो गए जिनका एक मात्र एजेंडा है बीजेपी और मोदी के विजय रथ को रोकना.६ दल जो एक साथ मिलने को तैयार थे है समाजवादी पार्टी (मुलायमसिंह),राष्ट्रीय जनता दल (लालू यादव),जनता दल(यू)(शरद यादव एंड नितीश कुमार ) जनता दो (एस)(देवेगोड़ा )
समाजवादी जनता दल (कमल मोरारिका) इंडियन नेशनल लोकदल(इनेलो)(ओम प्रकाश चौटाला) लालू चारा घोटाला में सजा पा चुके और जमानत पर है,चौटाला और उनका लड़का घोटाले में जेल में बंद है.कमल मोरारका के दल का कोई अस्तित्व नहीं है.देवेगोड़ा का कर्नाटक में थोडा प्रभाव है.नितीश और लालू एक दुसरे के घोर विरोधी और लालू के जंगल राज के नाम पर सत्ता पर आये थे बीजेपी के साथ अच्छा कार्य कर रहे थे परन्तु प्रधान मंत्री पद के लालच में बीजेपी से छोड़ कर अलग हो कर लालू की गोद में बैठ गए.मुलायम सिंह के ऊपर घोटाले के आरोप है मुकदमा भी चला था लेकिन पिचली सरकार को समर्थन देने की वजह से सीबीआई ने केस वापस ले लिया.नितीश,लालू,मुलायम तुष्टीकरण की राजनीती करते और आतंकवाद में नम्र है.लालू,मुलायम परिवारवाद की और जाती की राजनीती करते .पटना में गाँधी मैदान में हुए बम विस्फोट में नितीश का हाथ था.ऐसे लोग जब एक साथ आयेंगे तो कितने दिन साथ रहेंगे सबको मालूम है मुलायम नितीश दो बनना चाहेंगे फिर लडाई होगी और कुनबा बिखर जायेगा.बिहार में लालू और नितीश में मुख्या मंत्री और सरकार बनाने में एक मत नहीं होगा.और फिर एक दुसरे के खिलाफ काम करेंगे.बिहार में जीतिन मांझी इस परिवार का बहुत नुक्सान करेंगे और उन्होंने तो इसे “महाप्रलय”का नाम भी दे दिया है. समाजवादी दल में अभी से विरोध शुरू हो गया जब मुख्या मंत्री अखिलेश और प्रोफेसर राम गोपाल यादव ने विलय का विरोध किया.राम्गोपल्जी को इस मीटिंग की ज़िम्मेदारी दी गयी परन्तु उन्होंने मन कर दिया तब शिव गोपाल यादव को दी गयी.अभी तो विलय हुआ नाम,झंडा,अभी तय नहीं इसपर भी विरोध होगा.अभी दल के अध्यक्ष और संसदीय दल के अध्यक्ष होंगे लेकिन पिछले इतिहास को देखते काम मुस्किल है क्योंकि ये दल क्षेत्रीय मानसिकता छोड़ राष्ट्रीयता को नहीं छोड़ सकते.दो बार पहले हो चूका है पहली पर १९८९ में शुरू हो कर १९९१ ख़तम हुआ और दूसरी बार १९९६ में शुरू हो कर १९९८ में ख़तम हो गया.आपस में लडाई,पद लोलुपता और कांग्रेस के समर्थन से चलना और फिर कांग्रेस द्वारा गिरा देना नाटक देश देखता रहा और भुगत्ता रहा.फेसबुक में कुछ प्रतिक्रियाये आयी उनमेसे कुछ बहुत अच्छी है किसी ने लिखा की इस परिवार में जनता गायब है सिर्फ परिवार है.दुसरे ने लिखा की ये भ्रष्टाचारियो और तुष्टिकरण का दल है.एक ने लिखा की की जहाँ जर्मनी,फ्रांस,कनाडा में लोग मोदी के लिए पागल है वही भारत में मोदी की वजह से.!दुसरे ने कहा न्यूक्लीअर फॅमिली अधिक दिनों तक संयुक्त फॅमिली में नहीं रह सकते.”एक ने कहा की “जुवानी शासन,हवाई विकास, और जंगलराज के नाम पर बीजेपी से मुकाबला करेगा नया दल.”जनता परिवार “हम आये है बिहार यू पी लूटने.
मीडिया क्यों नहीं इन नेताओ का सच सामने लाता .वैसे ये परिवार बिहार चुनाव के लिए पहला टेस्ट होगा और उसकी तैयारी में लगा है परन्तु कितनी सफलता मिलेगी भविष्य तय करेगा.ज्यादा उम्मीद करना जल्दावाज़ी होगी.

रमेश अग्रवाल, कानपूर

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