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अमेरिका का दोहरा चेहरा

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम
अमेरिका अपने धन और सैन्य बल से दुनिया में दादागिरी करके अपना रुआब दिखने की कोशिश करता है.दुसरो के यहाँ हर बात में हस्तक्षेप करके गलतियां निकालता रहता परन्तु अपनी बुराई खुद नहीं देखता.आये दिन वहां अश्वेतों पर गोरे पुलिस द्वारा हमले होते जिनमे बहुत लोग मारे जाते दंगे होते रहते इस साल ३०० अश्वेत माँरे जा चुके है.आजकल बाल्टीमोर में करफूयु लगा है और् दंगे हो रहे क्योंकि एक अश्वेत को गोरे पुलिस ने मार दिया.मंदिरों मस्जिदों में तोड़ फोड़ की गयी और गंदे नारे लिखे गए.कई भारतीय मरे गए परन्तु वहां का मीडिया चुप रहा परन्तु जब सोशल साइट्स पर विरोध हुआ तब कुछ कार्यवाही हुयी.२६ जनवरी को गणतंत्र दिवस में भारत सरकार ने राष्ट्रपति ओबामा को मुख्य अथित के रूप में बुलाया और दौरा बहुत सफलतापूर्वक ख़तम हो रहा था की एक जगह उन्होंने देश में अल्प्संख्यको में असुरक्षा की भावना उठा कर कूटनीति मर्यादा का उल्लंघन किया क्योंकि किसी विदेशीको देश के आतंरिक मामले को उठाना शिष्टाचार के खिलाफ है.ये विचार उन्होंने सोनिया गांधी से मिलकर किये और लगता है सोनिया ने ओबामा के समक्ष मामला उठाया और उसके बाद उन्होंने अपने विचार प्रगट किये और दोनों ने कूटनीतिक मर्यादा का उलंघन किया.इसके बाद अमेरिका में एक इतवार को उन्होंने फिर भारत के खिलाफ ज़हर उगला और चर्च पर होने वाली तोड़फोड़ पर चिंता जताई .ये बिलकुल स्पस्ट था की ईसाई पादरियों और धर्मगुरूओ के दवाब में उन्होंने ये बयान दिया होगा.जो शायद सोनिया गाँधी को समर्थन देने के लिये दिया होगा.उस वक़्त करीब २२८ मंदिरों,गुरुद्वारों और कुछ चर्चो में चोरो और असामाजिक तत्वों ने चो री की नियत से हमले किये थे.पच्छमी बंगाल में ७० साल की नन के साथ जो बलात्कार किया गया था वह एक बंगलादेशी अपराधी मुसलमान द्वारा किया गया था,कही में भी बीजेपी/विहिप/आरएसएस के लोग संलिप्त नहीं थे परन्तु गलत आरोप लगाये.और कुछ ईसाई नेताओ ने जो देश के उच्च पद पर आशीन थे ओबामा के समर्थन में व्यान दिए और टीवी डिबेट में कई पादरिओ ने मोदी सरकार के खिलाफ ज़हर उगला.
कल अमेरीकी कांग्रेस के एक पैनल ने जो रिपोर्ट दी है वो इस तरह है.”भारत में धार्मिक अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं है .उनके खिलाफ लगातार तीसरे साल हमलो में इजाफा हुआ है.अमेरिका की अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने इस मामले में राष्ट्रपति बराक ओबामा से भारत पर दवाब बढ़ने को कहा हैगुरूवार को जारी अपनी सालाना रिपोर्ट में आयोग ने हिंसा और नेताओ के भड़काऊ भाषणों को लेकर बीजेपी सरकार की आलोचना की है .रिपोर्ट में कहा गया है की सरकार बनने के बाद से बीजेपी नेताओ ने धार्मिक अल्पसंख्यको पर अपमानजनक टिप्पणी की.हिन्दू राष्ट्रवादी समूहों ने जबरन धर्मान्तरण और हमले जैसी कार्यवाही को अंजाम दिया.रिपोर्ट में विहिप के घर वापसी कार्यक्रम का भी हवाला दिया गया.आयोग ने ओबामा से भड़काऊ ब्यान देने वाले नेताओ को सार्वजनिक तौर पर फटकार लगाने और धार्मिक स्वंतन्त्रता को बढ़ावा देने के लिए भारत पर दवाब बढ़ाने को कहा.इससे पहले दिसम्बर में आयोग ने घर वापसी की आलोचना करते हुए कहा था कि अल्पसंख्यको का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है.ऐसा करने वाले हिन्दुओ को आर्थिक सहायता दिए जाने की भी बात आयोग ने की थीब्यान में कहा की अमित शाह धर्मांतरण के खिलाफ जो विधेयक ला रहे वे अभिभिक्त की आज़ादी के खिलाफ है और उन प्रदेशो में जहाँ ऐसे कानून है उन्हें सरल किया जाये जिससे धर्मान्तरण सरल हो जाये.आयोग ने ये भी कहा की मोदी सरकार आने के बाद पच्छमी बंगाल,उत्तर प्रदेश,केरल,हैदराबाद,आसाम में कर्नाटक में अल्पसंयको पर आक्रमण तेज हुए है( कोई इनमेसे राज बीजेपी शाशित नहीं है.) .व्यान में नरेन्द्र मोदी के वयांन को सकरात्मक कदम बताया गया है जिसमे उन्होंने अल्पसंख्यको के अधिकार के रक्षा की बात कही थी.फरवरी में प्रधान मंत्री ने चर्चो पर हमले की निंदा की थी और अल्पसंख्यको को हर संभव मदद देने का भरोसा दिया था.हालाँकि रिपोर्ट में गुजरात में २००२ के दंगो से जोड़ते हुए कहा था की मोदी उस वक़्त राज्य के मुख्यमंत्री थे और उन पर दंगे भड़काने का आरोप लगा था.आयोग ने इस साल भारत को फिर टियर २ देशो में रखा जिसमे वह २००९ से है.इन देशो में अफगानिस्तान ,रूस ,क्यूबा,मलेशिया और तुर्की सहित १० देश है.ये रिपोर्ट धर्मगुरूओ और गैर सरकारी संगठनो से बातचीत पर आधारित है”
इस रिपोर्ट को बीजेपी और सरकार ने खारिज कर दिया ये कहते की भारत के बारे में उनको सही जानकारी नहीं है.जागरण, जी न्यूज़, इंडिया टीवी ने भी इसको मानने से इनकार कर दिया परन्तु बीजेपी विरोधी कांग्रेस और दुसरे नेताओं ने इसका समर्थन कर देश विरोध का कार्य किया क्योंकि उन्हें उनके वोट की परवाह है और देश की कोई महत्व नहीं.चूंकि इस ग्रुप में भारत २००९ से है इसके माने कांग्रेस के राज में भी हालात ऐसे थे.आयोग ने मिशनरीज़ द्वारा धर्मपरिवर्तन पर कोई टिप्पणी क्यों नहीं की जबकि हिन्दुओ ने धर्मान्तरण कभी नहीं किया अमेरिका भारत को अपनी एक कॉलोनी की तरह देखता है उसे हमारे आतंरिक मामले में दखल नहीं देना चाइये.भारत सरकार ने राष्ट्र विरोधी कार्यो के लिए फोर्ड फाउंडेशन और ९ ००० गैर सरकारी संगठनो को प्रतिबंदित कर उनके खाते बंद कर उनसे विदेशो से आये धन पर व्योरा माँगा था जिसको न मानने पर उपर्युक्त कार्यवाही हुयी जिसका भी अमेरिका ने विरोध किया था..चूंकि ये रिपोर्ट धर्मगुरूओ (पादरिओ) और NGO के परामर्श से तैयार की गयी इसकी वैधता का पता इसी से चलता है.मिशनरीज भारत में धर्मान्तरण करने के लिए ऐसा दवाब डाल रहे और दुर्भाग्य से कुछ मोदी विरोधी नेता इसका समर्थन करके राष्ट्र विरोधी कार्य कर रहे.भारत विस्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है इसलिए उसकी जनता की आवाज़ सरोपरी है.हमें अपनी नीतियाँ बनाने का अधिकार है और उसपर कोई आदेश नहीं दे सकता. अमेरिका को आपसी सहयोग और अच्छे संबंधो के लिए सोच समझ कर बाते करना चाइये और उम्मीद है सरकार इस पर भारत पर दवाब नहीं डालेगी.लेकिन कुछ बीजेपी विरोधी पत्रकार और मीडिया मोदीजी को बदनाम करने के लिए टीवी पर इस रिपोर्ट का समर्थन करते जबकि उनको मालूम होना चाइये की इसका देश में क्या असर होगा और अल्पसंख्यंक और आक्रम्रांक हो जाये.तुच्छ राजनीती के साथ देश हित का वलिदान नहीं करना चाइये आज हमने टीवी डिबेट में देखा की किस तरह विनोद शर्मा हिंदुस्तान टाइम्स के और एक मुसलमान राज्य सभा सांसद खुले आम ऐसी बात कर रहे है जैसे अल्पसंख्यक यह बहुत डरा है और असुरक्षित हैजबकि मुसलमानों और इसाईओ द्वारा राष्ट्र विरोधी और ज़हरीले व्यान की चरचा नहीं है.आज़म खान,ओवैसी भाई, कमल फारुकी कुछ है और केरला, उत्तर प्रदेश,पच्छमी बंगाल ,आसाम में हिन्दुओ के साथ बहुत अन्याय होता है.हमारा देश ही ऐसा है जहाँ सस्ती लोकप्रियता के लिए राष्ट्रीय हितो से खिलबाड़ किया जाता जो शर्म नाक है.
रमेश अग्रवाल,कानपुर , .

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