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नेताओ का न्यूज़ में आने का सस्ता रास्ता

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम
जब किसी नेता को कोई पद या सम्मान नहीं मिलता या कोई नाराजगी होती है न्यूज़ में आने के लिए या तो किसी को इंटरव्यू दे देता या फिर मीडिया में विरोध दर्शा देता और बहुत जल्दी उसको टीवी और समाचारों में खूब जगह मिल जाती खास कर यदि मोदी सरकार/बीजेपी के खिलाफ होती.शत्रुघ्न सिन्हा और उद्धव ठाकरे इस कई बार अजमा चुके है लेकिन सबसे ताज़ा मामला वाजपेयीजी की कैबिनेट में रहे मंत्री अरुण शोरी का है जिनकी सरकार में कोई पद न मिलने से नाराजगी चल रही थी और अंत में उन्होंने अपनी भडास मोदी के कट्टर विरोधी जाने मने पत्रकार करन थापर को हेडलाइंस टुडे में इंटरव्यू देकर निकाल ली जिसमे मोदी सरकार पर हमला बोला और इसको टीवी चैनल्स में लागतात २ दिन तक खूब जोर शोर से दिखया गया.शोरी ने जो कहा उसकी कुछ मुख्य बिदु है.
१.दिशाहीन है सरकार की आर्थिक नीतियां. २.पार्टी को ३ लोग मोदी,अरुण जेटली और अमित शाह चला रहे. ३.मौजूदा सामाजिक आवोहवा से अल्पसंख्यको में चिंता बड़ी है चर्चो पर हमले, घर वापसी, लव जिहाद से अल्प्संय्खको की चिंता बढीं है दक्षीणी पंथी संगठनो और पार्टी नेताओ के बेतुके व्यानो पर मोदी कोई कार्यवाही नहीं करते .४.मोदी के एक साल के कार्यकाल का कुछ हिस्सा अच्छा है विदेशी नीति अच्छी है.५.सरकार नीतिया बनाने की जगह सुर्खीयां में बने रहने के प्रति अधिक सक्रिय रहती है.६.विदेशी निवेशको को आकर्षित करने के लिए पूरी व्यवस्था बदली नहीं गयी ७.मोदी के विवादित सूट की भी आलोचना की.
ये सब मुद्दे कांग्रेस और विरोधी दल उठाते आ रहे है और कोई नहीं बात नहीं .लगता है ये शोरी का दर्द है जो पद न मिलने से झलक रहा.शोरी ने मंदिरों पर होने वाली तोड़फोड़ पर और मुस्लिम और ईसाई नेताओ पर उंगली क्यों नई उठाई यदि मंदिर से मूर्तिया चोरी हो कर यूरोप में बेची जाती है तो क्या हम पोप को ज़िम्मेदार ठहारेंगे ?अल्पसंख्यक वोटो की वजह से वैसी ही आक्रामक होते है और खास कर जहाँ विरोधीओ की सरकार होती उत्तर प्रदेश बंगाल,केरल ,आसाम इसके उद्हारण है.जहाँ दंगे और बम बनाना या हिन्दुओ के साथ अन्याय आम बात है.शोरी को ओवैसी का व्यान पर निंदा नहीं करते जो उन्होंने कहा था की नेपाल का भूकंप अल्लाह का काफिरों पर कहर है केवल जागरण छोड़ कर किस्सी ने इसकी निंदा नहीं की न टीवी पर दिखया.इस इंटरव्यू को देश के टीवी पर २ दिन चलन तुच्छ मोदी विरोध की मानसिकता दर्शाती है.कारन थापर जिसने ये इंटरव्यू लिया था १२ साल तक गुजरात दंगे पर ही मोदी और बीजेपी पर हमला करता रहा और ये विरोध अभी भी चालू है जबकि अन्य सैकड़ो दंगो पर क्यों चुप्पी?विरोधी दलों के साथ आप की प्रतिक्रिया से अच्चर्य नहीं होता क्योंकि विरोधियो का यही कार्य है परन्तु मीडिया की सक्रियता चिंतनीय है.बीजेपी के नेताओ ने शोरी को माकूल जवाब दे दिया.ये तो लोकतंत्र के अंग है लेकिन एक तरफ बात नहीं होनी चाइये ईसाई और मुसलमान यहाँ धर्मान्तरण करते शोरी उस पर चुप क्यों ममता के राज्य में बम फैक्ट्रीज है और असम में बंगलादेशी हिन्दुओ पर अत्याचार करते शोरी क्यों चुप?हमारे देश में अल्पसंख्यांक विरोधियो के दामादों की तरह रहते परन्तु उनको मालूम है की उनको मोदी विरोधियो का समर्थन मिलेगा.मुसलमानों और ईसाई नेताओ के ज़हर उगलने वाले भाषणों पर शोरी क्यों मौन ?ये सस्ती राजनीती है.लगता है हमने अपनी पुरानी गलतियों से सबक नहीं सीखा?

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