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सलमान खान की जमानत और तीखे सवाल

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम
हमारे देश में न्यायपालिका पर जनता का विश्वाश है खास कर उच्च न्यायालयों पर और उनको देवता की तरह माना जाता है लेकिन कुछ मामले में जो फैसले आये उससे लोगो की मान्यता धूमिल हो गयी और अब लगने लगा की इन्साफ के लिए पैसे और रसुक जरूरी है पहले कुछ मामले में बड़े घर के बिगड़े लड़के आरोपी थे परन्तु कुछ मामले में लोगो को लगा की पैसे के बल पर ऐसा हुआ की सजा कम मिली परन्तु जेसिका लाल हत्या मामले में माँ की मेहनत रंग लाई और रासुक वाले अपराधी मनु शर्मा को जेल हुयी जो अबभी है.लालू यादव, जैयेललिता को जमानत के पहले जेल जाना पड़ा ओम प्रकाश चौटाला अभी भी जेल में है BMW केस में उचित न्याय नहीं दिखा.न्याय ऐसा हो जो किया गया हो परन्तु दिखे भी.तीस्ता केस में जिस तरह कपिल सिबल के मुख्य न्यायाधीश को फ़ोन पर गिरफ्तारी पर रोक लगी वे समझ से पड़े था.राहुल गाँधी को ठाणे की अदालत में ८ मई को जाना था SC एक दिन पहले स्टे आर्डर दे दिया जिससे ठाणे में कार्यवाही नहीं हो सकी.सलमान ने २८ सितम्बर २००२ को बांद्रा के पास रात में तेज गार्डी नशे की हालत में फूटपाथ में सोने वाले लोगो के उपर चढ़ा दी जिसमे एक की मौत हो गयी और ४ बुरी तरह घयल हुए.सलमान के सुरक्षाकर्मी रविन्द्र पाटनी सलमान के साथ था उसके मन करने पर भी रफ़्तार कम नहीं की और दुर्घटना हुयी.इसी सुरक्षा कर्मी ने पुलिस को सूचित किया और अदालत में सही गवाही दी, उसपर गवाही बदलने का दवाब पड़ा परन्तु उसने हिम्मत दिखाई और २००७ में मृत्यु हो गयी.सलमान ने उसे खरीदने की हर कोशिश की परन्तु सफल नहीं हुआ. ऐसे ईमानदार लोगो को सरकार से पुरूस्कार मिलना चाइये अब जब १३ साल बाद सत्र न्यायालय ने ५ साल की सजा सुनायी तो सबको अच्चम्भित करने वाले मामले में हाई कोर्ट ने २ दिन की जमानत दे दी और फिर सत्र न्यायालय के फैसले को रोक कर जमानत दे दी और ३०००० र की बांड में जमानत मिल गयी जबकि पूरा फैसले की कॉपी हाई कोर्ट नहीं मिली थी.इस निर्णय ने पुरे देश में अदालत की प्रक्रिया पर एक प्रश्न चिन्ह लगा दिया और पुरे दिन टीवी और मीडिया में यही मुद्दा छाया रहा. सलमान बिना लाइसेंस के नशे की हालत में और तेज रफ़्तार से कार चलने के साथ शपथ लेकर झूट बोलने का अपराध सिद्ध हुआ.एक हत्यारे और अपराधी को जिस तरह बॉलीवुड ने एकता दिखा कर सलमान को समर्थन दिया,खुशी मनाई और मिठाईयां बांटी शर्मनाक और मानवता को कलंकित करने वाला कृत्य था.किसी ने भी उन गरीब परिवार वाले लोगो के बारे में नहीं सोचा जिनके लोग मरे गए या पुरी तरह विकलांग हो गए मुस्लिम लोग तो खास कर बहुत खुश थे..सलमान तो घटनास्थल से भाग गया था.यदि उसमे इंसानियत होती तो उन सबको इलाज़ के लिए अस्पताल भेज कर उनका इलाज़ करवाता,उनको मुआवजा देकर खुद अपनी गलती मान लेता.जिस तरह अभिजीत ने उन गरीब लोगो को कुत्ता कहा और कुछ लोगो ने समर्थन किया शर्मनाक है.
इस मामले में जो सवाल उठते वे है :-
१.जिस केस में सजा मिलने में १३ साल लगे उसे उच्च न्यालय ने कैसे कुछ घंटी में जमानत दे दी.
२.जनता को इस जमानत में न्याय नहीं पैसे और रासुक ज्यादा कारन दिखा.इसने देश में बहस शुरू कर दी की यदि पैसा के साथ नाम भी है तो क्या न्याय मिलना आसन नहीं ?
३.बहुत से गरीब जेलो में बंद है उनको जमानत क्यों नहीं मिलती क्योंकि उनके पास न तो पैसा हा न बड़े वकीलो को देने की फीस.
४.ऐसा कोई रूल नहीं की जबतक पूरा केस न सुना जाये जमानत दे दी जाये वर्ना लालू,चौटाला,जयेललिता जेल न जाते.जनता को लगा की इसमें इन्साफ होता नहीं दिखा.
५.भारतीय जिलो में करीब २.७८ लाख जेल में बंद है और बहुतो के अपराध अभी साबित नहीं हुए जबकि सलमान के केस में दोष सिद्ध हो गया ऐसे में उसे बैल देना न्याय के साथ उन बंद कैदियो के साथ भी अन्याय है.
६.हाई कोर्ट के जज ने २५० पन्नो का फैसला बिना पूरा पड़े जमानत मंज़ूर हर दी.
७.किसी ने गरीबो के बारे में क्यों नहीं मुवावज़े दिलाने को सलमान से कहा.
आने वाले दिनों में शयद ये मामला शांत हो जाये परन्तु जनता को बहुत बड़ा धक्का जरूर लगा है.और सर्वोच्च न्यालय इस बारे में सोचेगा ज़रूर,

रमेश अग्रवाल कानपुर

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