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जय श्री राम
प्राचीन काल से भारत विश्व को कुछ न कुछ देता आ रहा है.ज्ञान विज्ञानं की तमाम विधावो के बीच योग विश्व को समर्पित सबसे अनमोल विधा है.इसी लिए देश को विश्व गुरु के नाम से सम्मानित किया गया.योग को विश्वव्यापी बनाने में प्राचीन यात्रिओ का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा.देश की यात्रा करने वाले चीनी,यूनानी,अरबी और अन्य यात्रीयो ने अपनी यात्रा वृतांत में भारतीय योग की महत्ता का विस्तार से वर्णन किया था .चीनी यात्री ह्वेनसांग जब यात्रा पुरी करके चीन वापस लौटा तो उसने भारतीय योग और बौध धर्म से जुडी आलेखों का चीनी भाषा में अनुवाद कराया जिसकी वजह से संपूर्ण चीन ही नहीं बल्कि अन्य दुसरे देश भी योग की महता से परिचित हुए.भागमभाग और मशीनीकरण के इस दौर में स्वस्थ्य्सा और मानसिक शक्ति को स्थापित करने का एक मात्र विकल्प योग बन गया है.और इसीलिये योग को विश्व के युवाओ में भी काफी लोकप्रिय बना दिया. एलोपैथी चिकत्सा के भारी -भरकम खर्च समय और शरीर पर पड़ने वाले नकरात्मक प्रभाव की वजह से पच्छमी जगत में इसे अपनाने की होड़ मच गयी है.योग के माध्यम से भारतीय संस्कृत की खुशबू सुदूर देशो तक जायेगी और इसकी वजह से पर्यर्तन और रोज़गार में भी असर पड़ेगा.
योग अनादी काल से प्रचलित है भगवन शंकर पहले योगी कहलाते है.योग के मायने जोड़ना होता है.हमारे ऋषी मुनियी ने योग साधना से अटूट ज्ञान अर्जित करके विश्व को दिया.इसमें शारीरिक वोक्स के साथ मानसिक विकास के लिए किया जाता है.इससे निरोगता के साथ, खुशी,शांति प्रदान करता और आत्मा विश्वास बढाता है.मन को एकाग्रता भी प्रदान करता है.योग ऋषि मुनिओ के आश्रम में या गुरुकुल में सिखया जाता था.बीच में जब ये लुप्त होने लगा तो महर्षि पतांजलि ने ३०० साल ईसापूर्व योग को फिर से प्रचलित किया.उन्होंने ही अस्ठांग योग बताया जिसके भाग होते है, यम,नियम,आसन,प्राणायाम प्रत्याहार ,धारणा,ध्यान और समाधी !योग शरीर आत्मा का परमात्मा से मिलन है.योग स्वस्थ रहने की प्राकर्तिक कला है तो ध्यान,साधना,एकाग्रता और जीने का संपूर्ण विज्ञान है.शरीर और संसार ५ तत्वों क्षिति,जल,पावक,गगन और समीर से बना है और मानव स्त्री और पुरुष के योग का परिणाम है.,भागवं कृष्णा जी ने भी गीता में ज्ञान योग,कर्म योग और भक्ति योग का वर्णन किया था और कहा था “जो व्यक्ति अपने कर्तव्यों का निर्वाह पुरी तरह करता है वह ही योगी कहलाता है.”
अंग्रेजो से आने के पहले भारत में गुरकुलो में योग पढ़ाया जाता था और पुरे देश में फैला था.अंग्रेजो ने यहाँ की हर ज्ञान को अपने देश में पप्रसारित किया परन्तु हमरे लोगो ओ इंग्लिश शिक्षा दे कर धर्म,इतिहास,ज्ञान,संस्कृति को इस तरह पढ़ाया की देशवासी असभ्य थे और सारा ज्ञान अंग्रेजो ने दिया इसी लिए हमारे बहुत से आविष्कार अंग्रेजो ने अपने नाम करा लिए इससे तरह योग हमारे यहाँ पिछड गया जबकि यूरोप और अमेरिका में खूब प्रसिद्ध है.बहुत से स्कुलो के पाठ्यक्रम में योग पढ़ाया जाता है.अमेरिका में बहुतो ने योग को अपने नाम से पेटेंट करा कर एक बड़े उद्योग में बदल दिया.यूरोप मेंयोग बहुत प्रचलित है और शहरो से लेकर गावो तक फैला है.योग हर धर्म में पाया जाता है.भारत में पुरे देशो में प्रसिद्ध आश्रम योग को सिखाने और प्रसारित करने का कार्य करते है. उत्तर में हरिद्वार में बहुत से आश्रम है,ऋषिकेश योग की राजधानी कहा जाता है और हर साल फरबरी में अंतर्राष्ट्रीय योग कांफ्रेंस होती है मुंबई में योग इंस्टिट्यूट के अलावा और बहुत से,हैं.बॉलीवुड में योग के प्रति बहुत जागुरकता है.बिहार में परम हंस सत्यानन्द सरस्वती का आश्रम है.दक्षिण में बंगलोरे में श्री श्री रवि शंकरजी,केरला में माता अमृतानंदमयी ,चेन्नई में ईशा योग केंद्र सद्गुरु जग्गी वासुदेवजी के अलवा और बहुत से केंद्र है.बौध धर्म का “विपास्याना “के भारत में ५ केन्द्रों के अलावा विदेशो में भी है.जैन धर्म में भी योग के आशन सिखाये जाते और कारयोसर्ग प्रमुख है.
लेकिन योग को पुरे विश्व में घर घर तक पहुचने का कार्य स्वामी रामदेवजी ने किया जिन्होंने हरिद्वार में पतंजलि योग पीठ ट्रस्ट स्थापित किया जो विश्व का सबसे बड़ा है.आस्था चैनल के माध्यम से रोज़ सुबह ५ बजे से ७.३० तक लोगो को सिखाते है जिससे करोडो लो लाभावंतित होते है.इसके अलावा देश विदेशो में घूम घूम कर शिविर लगा कर लोगो को सिखाते है.योग से बहुत से खतरनाक रोगों को टीक किया जाता या बचा जा सकता जैसे “मधुमेह,रक्तचाप,तनाव,मोटापा,हमोग्लोबिं की कमी,हृदय की धड़कन के साथ बाईपास सर्जरी और एजियोप्लास्टी के बाद भी काम में आता है.हृदय की धमियो के रूकवात को भी कम किया जा सकता है.इससे नशा,ध्रूमपान ,व्यसन,ज़हरीले पदार्थो की लत छूट जाती और शाकाहारी की प्रवति को बढ़ता है.इस योग से बेमरियो में होने वाला अधाधुंध खर्च बच जाता और शारीरिक तकलीफ भी क्योंकि देश में सरकारी इलाज सबको मिलता नहीं और प्राइवेट इलाज़ बहुत खर्चीला होता है.सबसे पहले स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका में योग के बारे में लोगो को बताया था और महर्षि अरविन्द और अनेको ऋषियो ने इसपर लोगो का ध्यान आकर्षित किया था.स्वामी रामदेवजी ने हरिद्वार में २०११.२०१३ में योग में अंतर्राष्ट्रीय कोन्फेरेस बुलाई थी जिसमे २००० विदेशी मेहमान आये थे.योग से रोज़गार के भी अवसर मिलते है योग टीचर स्कुलो में नियुक्त किये जा सकते है इसके अलावा प्राइवेट लोगो को भी सिखया जा सकता.ये देश रामदेवजी का आभारी है जिन्होंने करोडो लोगो को लाभान्वित करते हुए दवाइयों पर होने वाला खर्च बचाया साथ में लोगो के स्वस्थ्य के प्रति जागुरकता पैदा की.
रमेश अग्रवाल ,कानपुर
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