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गांधी परिवार के संसदीय क्षेत्र अमेठी का इतिहास

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम
बात अंग्रेजो के ज़माने की है जब देश में ५५० से ज्यादा रियासते थी और हर एक का रजा द्वारा होता था,उत्तर प्रदेश भी कई रियासतों थी जिसमे एक आज कल के इटावा कहलाती थी.राजा के मरने के बाद रयासत जाने का खतरा मंडरा रहा था क्योंकि रानी के कोई संतान नहीं थी और गोद लिए संतान को अँगरेज़ मान्यता नहीं देते थे.इलाहाबाद में मोबारक अली बहुत प्रसिद्ध वकील थे जिनके नीचे मोती लाल नेहरु भी कार्यरत थे.रानी ने मोतीलालजी और मोबारक अली को अदालत में केस लड़ने के लिए दिया जिसके लिए उन्होंने ५ लाख रूपए लिए जो उस वक़्त के ईसाब से बहुत ज्यादा थे !ये मुक़दमा वे हार गए ऊंची अदालत में लड़ने के लिए फिर ५ लाख रूपए लिए परन्तु यहाँ पर भी हार गए.उस वक़्त सर्वोच्च न्यायालय देश में नहीं थी और आखिर अपील लन्दन के प्रिवी काउंसिल में होती थी.रानी को समझाने पर दोनों तरफ का २ लोगो का हवाई खर्च,मोटी फीस और एक अँगरेज़ वकील के लिए ऊंची फीस रानी से ली.अँगरेज़ वकील ने सुझाव दिया की रानी एक लड़के को गोद ले और उसको अपना बताये की जब राजा मरे थे तो रानी गर्भवती थी और यही ट्रिक काम आ गयी और रानी मुकदमा जीत गई और उसकी रियासत बच गयी.रानी समझी की उसके वकीलो मुबारक अली और मोती लाल नेहरु की वजह से रियासत बची जिससे खुश हो कर उसने बहुत सा धन दिया और अमेठी जो उसके रियासत में थी दे दिया तबसे गांधी परिवार अमेठी को अपनी जागीर समझने लगे और यही से लोक सभा का चुनाव कोई न कोई गाँधी परिवार का सदस्य चुनाव लड़ता यदपि अमेठी उत्तर प्रदेश राज का हिस्सा है जो रियासतों के विलय के बाद बने थे.!इससे ये पता चलता की कैसे वकील लोग मौके का फायदा उठा कर लोगो को लूटते थे.रानी को रियासत बचने में कितना खर्च करना पड़ा परन्तु रियासतों की वैभव का भी पता चलता है.
रमेश अग्रवाल कानपुर

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