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जय श्री राम
देश में आराजकता दिनों दिन बढती जा रही है .हॉल में कुछ ऐसी घटनाये हुयी जिससे हर राष्ट्रवादी को शर्मशार कर दिया और देश के बहार एक गलत सन्देश गया.कश्मीर में मुस्लिम समुदाय द्वारा जुम्मे की नवाज़ के बाद पाकिस्तानी और आई एस के झंडे फहराहे गए राष्ट्र विरोधी नारे लगाये और जब रोका गया तो सुरक्षा बल पर पत्थरो से सुरक्षा बल पर हमला किया गया.जब आई एस के झंडे जलाये गए तो विरोध और हिंसा की गयी और प्रचार किया गया की मुसलमानों की धार्मिक वाक्य झंडे में लिखे थे जिसे जलने से मुस्लिमो की भावना आहात हुई .ये कैसी बचकानी हरकत है.आई एस के झंडे में जो देश में प्रत्बन्धित है उसको फहराने और उस पर धार्मिक वाक्य क्यों लिखे गए.जिस तरह इस तरह की घटनाएं घटी में आये दिन होती उससे हमारी कमजोरी का अंदेश जाता है.केंद्रीय सरकार को सेना को कढाई के साथ निपटने के लिए कहना पड़ेगा साथ ही प्रदेश सरकार नम्र होने का सन्देश न दे.इसके बाद जिस तरह हमारी संसद में कोई काम नहीं हो रहा और सांसद बहस को तैयार नहीं केवल सुष्माजी और राजे जी के इस्तीफे के लिए हडे है लोकतंत्र के लिए बहुत ही ख़राब है.जिस तरह संसद के अन्दर नारे लगाए जाते,तख्तियो पर लिख कर विरोध किया जाता और स्पीकर के साथ कुछ सदस्य व्यावार करते उससे बच्चो और युवको पर क्या सन्देश जायेगा क्या वे नहीं कह सकते की जब हमारे चुने सांसद ऐसी गंदी हरकते करती है तो फिर हमें क्यों डांट क्यों जाता.संसद की कार्याही बाधित होने से जनता का करोडो रुपए की हानि हिने के साथ महत्पूर्ण बिल लंबित रहते है.असल में कांग्रेस और कुछ दल देश के विकास में बाधा दाल कर मोदीजी की सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रही है.ये देश के हित में नहीं.हमें लगता है की देश की प्रगति को रोकनी की कोई विदेशी साजिस है.उत्तर प्रदेश में हर रोज़ बलात्कार, महिलाओ से दुर्व्यवार और अहिंसा की खब्रर आती और कोई कार्यवाही नहीं होती क्योंकि समाजवादी दल के लोग शामिल होते है.जब प्रदेश के राज्यपाल इस पर सवाल उठाते तो उनको चेतावनी दी जाती की आप इस्तीफ़ा दो नहीं तो हमारे लोग आपके विरुद्ध मोर्च खोल देंगे.यहाँ तक की गुरुदासपुर में आतंकी हमले पर भी सदन में कोई बहस नहीं हुयी जिससे पाकिस्तान को सन्देश जाता है की देश में आतकवाद पर राजनातिक दल एकता नहीं है.यान तक की कल एक सदस्य को स्पीकर के साथ दुर्व्यवार करने पर एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया तो विरोधी सदस्यों ने खूब हुरदंगा मचाया. क्या कभी किसी ने इंग्लिश संसद, या अमेरिकन संसद में इस तरह का शोर शराब और कार्यवाही को वदित होते सुना गया.याकूब मेनन की फांसी में जिस तरह की राजनीती हो रही और खुले आम ये कहा जा रहा की उसको मुस्लमान होने के लिए फांसी दी जा रही है जबकी उसको २२ साल के बाद सजा सुनाई गयी .सेक्युलर ब्रिगेड, राजनैतिक लोग बुध्जीवियो के ५०० लोगो ने बिना सुप्रीम कोर्ट के फैसले सुनाये राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेज कर एक तरह का दवाब बनाने की कोशिश की.शयद हमारा देश ही ऐसा देश है जहाँ आतंकवाद मी राजनीती होती अमेरिका और वेस्ट में कभी इस तरह की राजनीती होती वहां आतंकवादियो को ऐसा सबक सिखाया जाता है की किसी घटना को करने के पहले १०० बार सोचते होंगे .लोकतंत्र में हार जीत होती है और कांग्रेस का सत्ता में कोई अधिकार नहीं की एक बार हरने में संसद की कार्यवाही वाधित करे.इस तरह हम लोकतंत्र को कमज़ोर कर रहे और देश का नुक्सान होगा.हमारे मीडिया भी इस तरह के मामले में दिनों दिन इस पर बहस कर मामले की गंभीरता ख़तम हो जाती है.स्वंतंत्रता के ६८ साल बाद भी हम लोग जाती की राजनीती कर रहे जिससे गलत लोगो को दाखिला या नौकरी मिल जाती है या फिर जाती के नाम पर नौकरी दी जाती जैसा उत्तर प्रदेश और बिहार में तो ये बीमारी ज्यादा है.ये सब देश के विकास के साथ और लोकतंत्र को नुक्सान पहचानता है देश की जनता को जाती धर्म के नाम पर वोट न देकर मुद्दों पर वोट देना चाइये तब ही देश का हित होगा.मोदीजी की विचार धरा से विभिन्नता हो सकती है परन्तु ये देश के विकास में बाधा नहीं होना चाइये.
रमेश अग्रवाल,कानपूर
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