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संसद पर हंगामा लोकतंत्र शर्मशार

भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम

लोकतंत्र में संसद सरकार और विरोधियो के बीच देश की समस्यों को संवाद करके उनका हल निकलने का माध्यम है.परन्तु पिछले लोकसभा में अप्रत्याशित हार के बाद इतनी बौखला गयी की संसद के दोनों सदनों में अमर्यतित आचरण करके पुरे सभ्य समाज को शर्मशार कर दिया.पिछले ११ दिनों से राज्य सभा में कोई कार्य नहीं हुआ और संसद में बहुत कम कार्य हो रहा.कांग्रेसी सांसदों ने संसद की मर्यादा को तोड़ते अध्यक्ष तक की अवलेहना की.वे हाथ में काली पट्ठी बाँध कर तख्तियो में नारे ले कर लहरा रहे थे.संसद की मर्यादा के अनुसार ऐसा करना मन है लेकिन बार कहने के बाद भी नहीं मने जिससे ११वे दिन कांग्रेस के २५ सांसदों को ५ दिन के लिए निलंबित कर दिया गया जिसके बाद आज लोकसभा में काम हुआ लेकिन राज्य सभा में आज बी हो हल्ला और शोर शराबे के बीच कोई कार्य न हो सका.!संसद में एक दिन कार्यवाही का खर्च २ करोड़ आता है जो जनता की कमी का होता है ऐसे में क्या ये अनैतिक नहीं की सांसद अपनी राजनातिक रोटियाँ सीखने के लिए देश का धन बर्बाद करे इसके अलावा देश की  बहुत सी समस्यों जैसे आज कल कई प्रदेशो में भयंकर बाढ़ आई जिसमे लाखो रु की सम्पति नष्ट होने के साथै हजारो लोग मौत के मुह में समां गए.क्या सांसदों का ये फ़र्ज़ नहीं होता की उन लोगो की समसयाओ को उठाए जिहोने उन्हें वोट दिया ये बहुत ही गैरजिम्मेदारी का कार्य है उनके ऐसा करने से लोकतंत्र कलंकित हो रहा.इंग्लैंड की संसद एक दिन के लिए भी बिना कार्य स्थगित नहीं हुई फिर हमारे देश में क्यों?क्या बिना कार्य किये सांसदों को भत्ते ,तनख्वाह मिलना चाइये?क्या इस तरह शोर मचाने, हल्ला मचने और अध्यक्ष का कहना न मन्ना अनुशासनहीनता नहीं है और इसका बच्चो और युवको पर क्या असर पड़ेगा?असर में कांग्रेस वाले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जी,राजस्थान के मुख्य मंत्री वसुन्द्र राजे जी और मध्य प्रदेश के  मुख्य मंत्री  का इस्तीफ़ा मांग रहे है जिनपर ललित मोदी को मदद देने और भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे है.!ललित मोदी कांग्रेस की सरकार के सामने देश छोड़ कर गया था और उसको देश में वापस लेन का काम पिछली सरकार पर था,और उसके ऊपर किसी भी अडकत ने आरोप नही  लगाये आरोप तो किसी पर लगे जा सकते और फिर तो सरकार चल नहीं पाएगी.पिछले बार सब अदालत और cag ने आरोप तय कर दिए थे तब उनके इस्तीफे की मांग की गयी थी.ये सरकार बहस को तैयार है और सुष्माजी व्यान देने को तैयार थी तब भी उन्हें बोलने नहीं दिया.जब एक आतंकवादी को अपने बचाव का मौका दिया जाता तो फिर इन नेताओ को क्यों नहीं?प्रधानमंत्री देश की जनता के द्वारा चुने सैवाधनिक व्यक्ति है उनके लिए मोदी है है के नारे संसद के अन्दर लगाना बहुत निम्न तरह का बर्ताव है जिसकी सांसदों से उम्मीद नहीं !असर में अध्यक्ष ने सर्व दल मीटिंग बुलाई थी संसद को सुचारू रूप से चलने के लिए परन्तु कांग्रेस की हठधर्मिता से बेकार हुई क्योंकि कांग्रेस वाले इस्तीफे चाहते थे जबकि ज्यातर दल संसद चलना चाहते थे.निलम्बन के बाद कांग्रेस के सांसदों ने सोनिया गांधी के न्रेतत्व में संसद के बाहर प्रदर्श किया और मोदीजी के खिलाफ खूब ज़हर उगला.सोनिया, डॉ सिंह ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया जबकि कांग्रेस ने आपातकाल लगा कर लोकतंत्र की हत्या की थी.लिलंबन पहले भी हुआ तो इस बार क्यों हल्ला?असर में कांग्रेस गूंदागार्दी पर उतर आई और देश के विकास को रोक कर सरकार को बदनाम करना चाहती है.इसके अलावा बहुत से महत्वपूर्ण विधेयक जिसमे gst भी है रुका पड़ा है.जिस तरह की बयान बाज़ी आज राहुल गाँधी ने की वह उनकी हताशा को दर्शाता है.संसद में अब कार्य हो सकता है.कांग्रेस के साथ नितीश और केजरीवाल के दल तो हमेश रहते है वाण्डल भी मिल जाते.यदि ये सांसद अपने व्यवहार के लिए माफी मांग लेते और फिर ऐसी हरकते न करने का आश्वाशन देते तो निलंबन वापस हो सकता परन्तु राज्य सभा के अध्यक्ष कज्मोर लगते इसलिए वाह सुधार की गुन्जहिस कम है.टीवी चैनेल्स में इसपर डिबेट होती लेकिन सब अपनी अपनी धपरी अपना अपना राग कर के समाप्त हो जाती.सांसद अपनी राजनातिक गोटियाँ सेक रहे और जनता मजबूर है लेकिन चुनाव में सबक सिखाएगी जब कांग्रेस ४४ से हो सकता है दस से कम में भी आ जाए.दवाब बनाने के लिए कांग्रेस ने देश के कई प्रदेशो में प्रदर्शन करवाए परन्तु इसका कोई ज्यादा फरक पड़ेगा.राहुल कहता है की वे जनता की आवाज़ है इसमें कितना सत्य है सब जानते है.देश हित में शायद कांग्रेस को बुद्धी आ जाये और वह नौटंकी बंद कर सुचारू रूप से काम चलने दे येही देशवाशियो की इच्छा है.

रमेश अग्रवाल,कानपुर

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