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अंग्रेजो और नेताओ की साजिस से मिली आधी अधूरी स्वतंत्रता

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम
जब गांधीजी के नेतृत्व में होने वाली सवतंत्रता आन्दोलन के चलते अग्रेजो ने देश को आजादी देने की सोची तो भारत लो एक शक्तिशाली राष्ट्र न बनामे के लिए कुतिल्चाल चलने के लिए उन्होंने मुसलमानों को भड़का कर देश को दो भाग में बाटने के लिए पकिस्तान को अलग राष्ट्र बनाने के लिए लार्ड माउंटबेटन को वाईसराय बनाकर भेजा क्योंकि उनका मानना था के उनकी धर्मपत्नी एडविन कांग्रेस के कई नेताओ को मैनेज कर सकती है.एडविन लन्दन में नेहरूजी और जिन्ना के साथ एक ही कॉलेज में पढ़ते थे और उनकी वजह से दोनों में लडाई भी होती थी.याहन आकर दोनों ने जिन्ना को पकिस्तान मांगने के लिए दवाब बनाना शुरू किया कांग्रेस और बहुत से नेता विभाजन के खिलाफ थे परन्तु नेहरूजी की जिद की वजह से पकिस्तान बना.गांधीजी ने यह कहा था की स्वतंत्र भारत में नेहरूजी प्रधानमंत्री होंगे और जिन्ना उप प्रधान मंत्री लेकिन नेहरूजी ने गांधीजी से कहा की उओप्रधन्मन्त्री की तो बात छोड़ए हम जिन्ना को अपनी कैबिनेट में चपरासी भी नहीं बना सकते.बस जैसे ही जिन्ना को ये बात पता चला उन्होंने पकिस्तान की मांग शुरू कर दी और अँगरेज़ तो यही चाहते थे उन्होंने बिना पकिस्तान स्वतंत्रता देने से मन कर दिया और हार के नेहरूजी के दवाब में इस पर सहमती बन गयी .फिर गांधीजी ने कांग्रेस के प्रांतीय १५ अध्यक्षों की मीटिंग अध्यक्ष चुनने के लिए बनाई जिसके हिसाब से अध्यक्ष की आजाद भारत का प्रधान मंत्री बनेग.इस सभा में १५ में से १३ ने पटेलजी के पक्ष में और केवल एक ने नेहरूजी के लिए वोट दोय इसके हिसाब से पटेलजी ही प्रधान मंत्री बनते लेकिन नेहरूजी ने गांधीजी से कहा की यदि वे प्रधान मंत्री बनते तो वे अलग कांग्रेस बना लेगे जिससे अँगरेज़ या तो आजादी देंगे नहीं या फिर हमारी कांग्रेस को देंगे.गांधीजी ने पटेल को नेहरूजी के पक्ष में राजी कर लिया .१८ जुलाई १९४६ को ब्रिटिश संसद ने “इंडियन इंडिपेंडेंट एक्ट” प्रस्ताव पास करके भारत को २ उपनिवेश (domin) इंडिया और पाकिस्तान में बात कर स्वंतंत्रता देने का प्रस्ताव पास किया.इसके इसाब से दोनों भाग ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत बनाये गए.गांधीजी और दुसरे नेता इसके खिलाफ थे परन्तु नेहरूजी की जिद की वजह से स्वंत्रता ली गयी जो सत्ता का हस्तारण था क्योंक अंग्रेजो के समय के सभी ३४४४४ कानून ले लिए गए थे.उनके ही बनाए गए नियम अभी भी लागू है इसके अलावा महारानी देश में बिना वीसा आ सकती उनका नाम हमारे राष्ट्रपति से पहले और राष्ट्र कुल खेल में राष्ट्रपति को महारानी को बेटन देने जाना पड़ता था,.३० जून १९४७ को माउंट बेटन ने रेड्क्लिफ्फ़(redcliff)की अध्यक्षता में दोनों भागो के लिए सीमा निर्धारण के लिए आयोग बनाया जिसने १ अगस्त को अपनी रिपोर्ट दे दी जिसमे वे भाग खास कर सिंध और बिलौचिस्तान के हिस्स्से जिसे जिन्ना ने माँगा नही था दे दिए.इसके बाद जो खून ख़राब हुआ उससे सब वंचित है.रेड्क्लिफ्फ़ इस खून खराबे से इतना द्रवित और दुखी हुआ की उसने अपनी उस वक़्त की रु ४०००० फीस भी नहीं ली.उस वक़्त के ज्योतिशो ने १५ अगस्त को आजादी न लेने के लिए कहा था क्योंकि ये मूह्रत बहुत खराब था और चूंकि जापान ने १५ अगस्त १९४५ में बसमर्पण किया था अँगरेज़ इससे विजय दिवस के रूप में मानते थे .नहीं तो रात को १२ बजे आजादी लेने का कोई तुक नहीं था.गांधीजी इस तरह की आजादी के इतने खिलाफ थे की वे दिल्ली से बहुत दूर नोहाखली चले गए.उन्होंने प्रस्ताव रक्खा था की चूंकि आजादी मिलगी इसलिए अब कांग्रेस को ख़तम कर देना चाइये क्योंकि वे कांग्रेस के नेताओ को जानते थे और कहते थे की ये लोग भी देश को अंग्रेजो से ज्यादा लूटेंगे.!चूंकि दोनों भाग माउंट बैटन की शिरकश्त चाहते थे इसलिए २ दिन रक्खे गए.इस तरह १५ अगस्त को आधी अधूरी स्वतंत्रता मिली .और नेहरूजी ने लालकिले में तिरंगा ध्वज फहरा कर देश ने आजादी का जसं मनाया .ये प्रथा लाल किले की अभी तक चालू है.!गांधीजी सुभाषजी और दुसरे नेता चाहते थे की आजादी के बाद राज्य का पुनार्निर्वान अपनी संस्कृति और ज़रूरतों के आधार पर हो.परन्तु ऐसा न हो सका.विदे शो में सबसे पहले राष्ट्रीय ध्वज २२ अगस्त १९०७ को जर्मनी में भीका राम रुस्तमजी ने फहराया था लेकिन उसमे सबसे ऊपर हरा रंग,मध्य में सुनहरा भगवा और नीचे लाल रंग था और वन्दे मातरम लिखा था.सविधान के ड्राफ्ट के लिए २९ अगस्त ४७ को एक कमेटी को सौपा जिसके अध्यक्ष भीम राव आंबेडकर जी थे जिसे २६ जनवरी १९५० से लागू किया गया जिसमे ज्यादातर अंग्रेजो वाले कानून ऐसे ही रक्खे गए.~अम्बेडकरजी ने इसपर कहा था की यदि कभी कुछ गलत होता है इसके लिए सविधान नहीं बल्कि उपयोग करने वाले ज़िम्मेदार होंगे..
अंग्रेजो ने १८५८ में इंडियन एजुकेशन एक्ट (indian education act),.बनया.१८५७ की क्रांति के बाद १९६० में जनता को त्रसित और अत्तायाचार करने के लिए इंडियन पुलिस एक्ट बनाया जिसमे पुलिस को अधाधुंध अधिकार दे दिए गए.इसी साल इंडियन सिविल सर्विस एक्ट बनाया जिसमे जनता को लूटने का पूरा इंतजम था.इसमें कलेक्टर ,कमिश्नर और दुसरे अधिकारी जनता से टैक्स वसूलने और व्यवस्था देखने की ज़िम्मेदारी थी ये जनता की इतना लूटा की सम्पन्नता ख़तम हो गयी.१८९४ में भूमि अधिग्रहण एक्ट लागू हुआ इसमें किसानो की ज़मीन लेने के अधिकार के साथ उनपर ९२%लगान वसूली जाती थी जिससे गावो की सम्पन्नता ख़तम हो गयी.
अंग्रेजो के समय २३ तरह के टैक्स थे अब ६४ हो गए .१८६० एक्साइज ३५०% ,केंद्रीय व्यापार कर १८०%आयकर ९७%के अलावा ग्रेह कर,टोल कर,भवन कर,लगा ९० साल तक लूटते रहे और उत्पादन ५ % रह गया.गावो में ९२% लगन ज़मीन का मालिकाना हक ख़तम कर दिया गया था और लगान न देने में गाँव वालो को सबके सामने मारा जाता था,इस तरह के अत्याचार करके देश की आर्थिक दशा ख़तम हो गयी.इसीलिये गावो का कत्लेआम शुरू किया गया.अंग्रेजो के समाया ३५० कतलखाने थे अब ३०००० से ज्यादा है.अँगरेज़ करीब ३०० लाख करोड़ लूट ले गए और देश वाशियो ने पहले ६३ वर्ष में २५८ लाख करोड़ लूट ले गए और असली कितनी लूट हुई कोई नहीं कह सकता.
कांग्रेस में नेहरूजी को कोइ नहीं चाहता था क्योंकि वे शराब पीते,सिगरेट पीते उनके रहन सहन् और एडविन से नजदीकियों के कारण.परन्तु अँगरेज़ बहुत चाहते थे क्योंकि वे उनके कहे अनुसार चलते थे.स्वंतंत्र के वक़्त देश में १२७ ब्रिटिश कंपनीज थी नेहरूजी ने ईस्ट इंडिया कंपनी को छोड़ सबको रक्खे रहा और वे देश को लूटती रही जैसे ब्रूक बांड, लिप्टन !मैकाले ने कहा था की ब्रिटिश शिक्षा से ऐसी देश वाशी पैदा होंगे जो हमारी नीतियाँ लागू करेंगी हमारे हित में कार्य करेगे और हमारे गुण गेट रहेंगे हमारे जाने के बाद भी और ये बिलकुल सही साबित हो रहा.स्वतंत्रता के बाद गाँव की दश ख़राब हो गयी शिक्षा वैसी रही और कानून भी वैसे,गरीबी कम नहीं हुई बल्कि बढ़ गयी.पहले एक डालर एक रु के बराबर अब ६४रु का.सोना १९४७ में ८८/ पैर १० गम जो अब २५००० हो गया स्वतंत्रता के बाद हालत में सुधार नहीं परन्तु बेरोजगारी ,गरीबी,और बदती गयी.जो सपना देशवाशियो ने देखा सच नहीं हुआ.आज हमारा देश भ्रस्ताचारी देश में ९४/१७५ है,आर्थिक हिसाब से ६०/१४८ से है और राजनातिक परिस्थित बहुत अच्छी नहीं ये ज़रूर है की आज़ादी में हम लोगो ने (१८५७-१९४७) में ७२५००० भारतीय शहीद हुए और ३३४००० अँगरेज़ मरे गए थे.मोदी सरकार ने बहुत से कानूनों को ख़तम कर दिया और उम्मीद है कुछ अच्छे दिन देखने को मिलेगे
(राजीव दीक्षित जी के भाषणों से भी सामग्री ली गयी है )
रमेश अग्रवाल,कानपुर

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