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सर्वे से देश के शहरी की असली तस्बीर उजागर हुई

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम
केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने २०१४-१५ में देश भर के एक लाख से ज्यादा जन्संख्या वाले अ श्रेणी के ४७६ शहरो का सर्वे करवाया था जिसमे देश के दो बड़े प्रदेशो उत्तर प्रदेश और बिहार में १०० स्थानों में कोई शहर न आ सका.इस सर्वे का पैमाना था स्वच्छ भारत मिशन के क्रियान्वयन के तहत हर घर ,व्यक्तिगत और मोहल्ले में सामुदायिक शौचालय ,खुले में शौच नहीं कूड़ा इकट्टा करने का तरीका ,कूड़े का निस्तारण ,नाली के पानी का ट्रीटमेंट ,पीने के पानी और अन्य स्रोतों के पानी की गुणवत्ता ,पानी की बीमारियाँ से मौतों को रक्खा गया था.!इसमें सबसे ख़राब शहरो में उत्तर भारत के ७४,पूर्वी भारत के २१,पच्छिम के ३ और दक्षिण के २ शहर है !प्रदेश और केंद्रीय शाशित प्रदेशो की राजधानी में बंगलूर ७वे स्थान में है, पटना (४२९),लखनऊ(२२०) में है !१०० सर्व श्रेष्ट शहरो में पच्छिम बंगाल के २५ शहर है.!दक्षिण क्षेत्र के ३९,उत्तर भारत के १२,पूर्वी भारत के २७,पच्छिम भारत के १५ और पूर्वोतर भारत के ७ शहर शामिल है.मैसूर को पहला स्थान मिला जबकि दामोह (मध्य प्रदेश को सबसे नीचा स्थान मिला.कानपूर (२४१),रायबरेली (२४०),बनारस (४२२),इलाहाबाद (३८३) और आगरा को (१४५) स्थान पर है!कुछ पिछड़े शहर है भिंड (म.प्र),पलवल ,भिवानी,रेवाड़ी (हरियाणा ),चितूरगढ़,हिजेन(राज),संभलपुर (ओड़िसा) और बुलंदशहर ,नीमच (उ.प्र).राजधानी दिल्ली का कैंटोनमेंट(१५),NDMC (१६)नगर निगम (३९८)में है.
हमारे शहरो में कूड़ा दिन व् दिन बड़ी समस्या बनता जा रहा है.शहरी जीवन में प्रति व्यक्ति कूड़े की मात्र बढ़ती जा रही है उत्तर प्रदेश और बिहार में अक्सर सडको पर पसरे कूड़े के ढेर दिखाई देते है.लोग घर की सफाई कर कूड़ा एक जगह दाल देते जहां कई दिनों ताल पड़ा रहता जिससे हवा में दुर्गन्ध फैलती है.प्लास्टिक उड़ कर नालिओ तक पहुँचती ,पर्यावरण भी प्रदूषित होता है.विशेज्ञ बताते की भूगर्व जल भी प्रदूषित हो रहा है.शहर में तरह तरह के तनाव के साथ यदि प्रदुषण की समस्या तो बड़ा संकट है.सरकार गंभीर नहीं है.राजधानी लखनऊ में २०११ से कूड़ा निस्तारण प्लांट बन कर तैयार है जिससे रोज़ ११० टन खाद बन सकता था लेकिन अभी तक चालू नहीं हुआ.सरकार और जनता को अपनी मानसिकता बदलनी होगी ऐसी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट जैसी सामजिक परियोजनाओ के लिए एक चाट के नीचे सभी औपचारिकताय पूरी करने की व्यवस्था करनी पड़ेगी तभी शायद स्वच्छ भारत अभियान सफल हो सके.
स्प्रस्ट है की इस सर्वे से राज्य सरकारों को चेतना होगा.ये उनकी ज़िम्मेदारी है की स्थानीय निकायों को इसके लिए प्रेरित करे करे की वे स्वच्छता अभियान को गंभीरता से ले.और ज़रुरत पड़े तो सख्ती का भी परिच्ग्य दे.क्योंकि संसाधनों से ज्यादा कमी इच्छा शक्ति की है.सफलता तभी मिल सकती है जब रह्य सरकारे निकायों की दो टूक ढंग से बताये की हीला हवाली बर्दास्त नहीं होगी.कुछ विपक्षी दल केंद्रीय सरकार और मोदी को कठघरे में खड़ा करे.लेकिन उन्हें ये समझना होगा की देश को साफ़ स्वच्छ रखना किसी राजनैतिक दल विशेष या सरकार का काम नहीं है.ये ऐसा अभियान है जिसमे सभी को अपना योगदान देना चाइये.यदि अभियान सफल नहीं होता तो ये देश की विफलता होगी सरकारों और निकायों को चैये की वे मैसूर ,तिरुचिरापल्ली ,हासन,मांड्या,गंगटोक शहरो से सबक सीखे.जनता को भी सजग होना पड़ेगा और दूसरो को गंदगी करने से रोकना पड़ेगा.कचरे के निस्तारण के उपाय करने के बाद गंदगी फ़ैलाने वालो पर आर्थिक जुर्माना भी लगाया जान चाइये! .कुछ देशो में दंड के साथ आरोपिओ को सफाई भी खुद करनी पड़ती है.इस अभियान में स्थानीय निकायों की ज़िम्मेदारी है हमारे यान बिना दर के कोई काम नहीं करता.इस मामले में नेताओ को राजनीती से ऊपर उठ कर काम करना होगा तभी देश साफ़ रह सकेगा.
रमेश अग्रवाल ,कानपुर

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