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माता ने बुलाया है नवरात्र आये है उनका महत्व और स्वागत

भारत के अतीत की उप्
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जय  श्री  राम

सबसे पहले सबलोगो लो नवरात्रों  और दशेहरा के पावन पर्व  की शुभकामनाये

आज कल देश में महिला शक्तीकरण  पर बहुत चर्चा हो रही और ज्यादा अधिकारों की बात की जा रही  परन्तु सनातन धर्म में हमारे ऋषी मुनियों ने महिलाओ को  बहुत आदर और सम्मानित स्थान की व्यवस्था की और इसीलिये उनको अर्धांग्नी से संबोधित किया जाता  और किसी भी धार्मिक सामाजिक कार्यक्रम में उनके बिना पूर्ण नहीं माना  जाता.उनको घर में संस्कार माँता पिता से दिया जाता और ससुराल में सास उन्हें अपनी बेटी की तरह रखती थी.दहेज़ मागने की प्रथा नहीं थी और स्वेच्छा से दी जाती थी.विवाह अग्नि के सामने सात फेरे ले कर किया जाता जिसमें दोनों के बीच में जीवन भर का बंधन हो जाता था और एक दूजे के लिए सुख दुःख में साथ रहते थे,स्त्री को शक्ति मानी जाती इसीलिये हमारे यहाँ भगवान के नाम के पहले उनकी शक्ति के रूप में धर्मपत्नी का नाम लिख जाता है जैसे सीता राम,राधा  कृष्णा,भवानी शंकर लक्ष्मी नारायाण आदि आदि.! नवरात्रों के त्योहारों  के पीछे भी यही मान्यता है कि हम लोग देवी के रूप में माताओं की पूजा कर  सुख सम्भ्रधी और आशीर्वाद प्राप्त करे.नवरात्री संस्कृत शब्द है जिसके माने  ९ रात्रो वाला होता है इसमें ९ रात्र और १० दिन का हिन्दू त्यौहार मनाया जाता है,वैसे ४ नव रात्रों का वर्णन है जो हिन्दू चैत्र ,आषाढ़ ,आश्विन और पौष महा में प्रतिपदा से नवमी तक मनाये जाते परन्तु केवल चैत्र और आश्विन के की धूम धाम से मनाये जाते है..इसके मनाने का उद्धेश्य है की इन महीनो में बसंत और शरद की शुरुहात होती जिसमे जलवायु और सूरज के प्रभाव का महत्वपूर्ण समय माना और बीमारीयों की ज्यादा संभावना होती इसीलिये भी बचने के लिए साधना,आराधना की जाती और इसीलिये चैत्र और शारदीय नवरात्र कहते है.ये आदि काल से मनाये  जाते है.जब भगवन राम लंका पर आक्रमण करने जा रहे थे तो भगवान् ब्रह्मा ने उन्हें माता चंडी पूजा करके विजय के लिए वरदान मागने को कहा रामजी ने १०८ नीलकमल रक्खे उधर रावण ने भी पूजा का आयोजन किया.रावण की मायावी शक्ति से रामजी का एक फूल कम हो गया तो भगवान तीर से अपनी एक आँख निकलने को तैयार हुए तो माता चंडी ने हाथ पकड़ के रोका और विजय का वरदान दिया ९ दिन की पूजा करने के बाद १०वे दिन युद्ध के लिए प्रस्थान किया था!.उधर हनुमानजी बालक का रूप रख रावण के यज्ञ में गए और ब्राह्णों  की सेवा में लग कर उन्हें खुश कर लिया जब वरदान मागने को कहा तो उन्होंने एक मंत्र में “मूर्तिहारिणी “जिसका मतलब होता है पीड़ा हरने वाले की जगह “मूर्तिकारिणी “जिसका अर्थ होता है पीड़ा देने वाली बदलने को कहा  ,जिससे माता रुष्ट हो गयी और रावण का सर्वनाश हो गया.!दुसरी कथा के अनुसार भैसे के रूप वाला असुर महिषासुर ने तपस्या करके देवताओ से अमर होने का वरदान प्राप्त कर उनको सताने लगा,नरक को स्वर्ग तक ले गया और देवताओ की शक्तिहीन करस्वर्ग में कब्ज़ा कर लिया. .तब उन्होंने माँ दुर्गा की रचना कर उन्हें अपनी समस्त अस्त्र माँ को दे दिए ९ दिनों तक माँ का महिषासुर से संग्राम हुआ जिसमे मारा गया,इसीलिये ९ दिनों का त्यौहार होता है.इसमें माता के ९ रूपों की पूजा की जाती पहलेदिन प्रतिपदा को कलश स्थापना करके शैल् पुत्री के रूप में पूजा की जाती इस तरह ब्रह्मचरणी,चन्द्र घंटा,कूषमांडा ,स्कंदमाता,कात्यायनी ,कालरात्री,महागौरी और सिधिदात्री के रूप में पूजा होती है.इसमें माता पार्वती,माता लक्ष्मी और माता सरस्वती  के रूप में इन ९ दिन पूजा होती पहले ३ दिन माता पार्वती,अगले ३ दिन माता लक्ष्मीजी की और आखिर ३   दिन माँ सरस्वती ले रूप  में पूजा होती है.पार्वतीजी उर्जा और शक्ति  ,लक्ष्मीजी की धन और सम्पन्नता और सरस्वतीजी की बुद्धि ,कला और ज्ञान के लिए की जाती है.!नवमी महानवमी के नाम से जानी जाती जिसमे ९ कन्यायो को बुलाकर उनके पैर धो कर प्रसाद खिला कर कुछ सामग्री/धन भेट के रूप में दी जाती फिर हवन करके अगले दिन दशहरे की तैयारी की जाती है.कुछ लोग पुरे ९ दिन व्रत रखते कुछ पहले और आखिर दिन व्रत रखते.पूजा में शहद,इत्र,बहुत अच्छा माना जाता है.बंगाल में इसे दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है जबकि गुजरात में इन दिनों गरबा और डंडिया की धूम रहती है.गरबा माँ की आरती से  पहले होता है जबकि आरती के बाद देर रात तक डंडिया की धूम रहती है.आजकल टीवी की वजह से यह और सब त्यौहार देश और विदेशो में खूब प्रचलित हो गए और मनाये जाते हैं,अंब देश में जगह जगह  माँ दुर्गा का दरबार पंडालो में सजाया जाता जिसमे देश और समाज की विभिन  समस्यों को दर्शा कर एक सन्देश दिया जाता है और जगह जगह डंडिया का आयोजन होता है.आखिर दिन इन मूर्तियों को नदियो या अन्य जगह विसर्जित कर दिया जाता है.जगह जगह राम लीला का भी आयोजन होता है.दशमी के दिन नीलकंठ को देखना शुभ माना  जाता है.,ब्राह्मण माँ सरस्वती की और क्षत्रीय शस्त्र पूजा करते है.मैसूर में महाराजा का महल पुरे महीने खूबसूरत रोशनियों से सजाया जाता है और  रोशनी (विद्धुत) को माँ अम्बा का प्रतिनिधित्व मन जाता है.एक कारण २ बार मानाने का है की हमारा एक साल देवताओ के एक दिन के बराबर होता है और इन अहिनो में देवताओ की सुबह और शाम होती है.चैत्र नवरात्रों के वक़्त नया  विक्रमादित सवत्सर शुरू होता है.हमारे यहाँ कुछ त्यौहार रात्रि के होते है जैसे शिव रात्रि,दीवाली ,होलिका दहन और नवरात्र !असर में इन नवरात्रों में पूजा रात में ही करने चाइये क्योंकि रात  को आवाज की तरंगे दूर दूर तक आसानी से जा सकती है इसलिये रात को रेडियो में कमज़ोर स्टेशन भी सुने जा सकते,क्योंकि सूर्य की किरने आवाज़ और रेडियो तरंगो में रुकावट पैदा करती है.रात में मंत्र जाप की   घंटो और शंख की तरंगे की कम्पन  रात में दूर दूर तक जा सकती है जिससे वातावरण कीटाणुओं से रहित हो जाता है.और मनोकामना सीधी शुभ संकल्प के साथ पुरी होती है.देश में माता के ५१ शक्तिपीठ माने जाते है और इन दिनों में इन पीठो के साथ् वैष्णो देवी  और हर माता के प्रसिद्ध मंदिर में खूब भीड़ होती लोग ज्यादासे ज्यादा जा कर पुण्य कमाना चाहते है.  कुछ विशेष पूजा से कुछ मनोकामना पुरी होती है.

१.छोटे बच्चो/विधायार्थियो से माता दुर्गा का केले का भोग लगवाए फिर कुछ दान में दे कुछ बच्चो को खिलाने से बुद्धि का विकास होता है.

२. कुछ नई वास्तु हो सके तो खरीद कर माता के चरणों में रक्खे इससे घर में सुख सौभाग्य आता है,

३. नवरात्री के शनिवार को सूर्योदय के पहले पीपल के ११ पत्ते लेकर उनपर राम नाम लिख कर माला बना कर हनुमानजी को पहना दे.इससे कारोबार की सारी परेशानिया  दूर हो जाती और खूब उन्नति होती है.!

४.एक नई झाड़ू की २ सीके उलटे सधी करके नीले धागे से बाँध कर घर के दक्षिण पच्छमी हिस्से (नेपथ्य कोण )में रखने से पति पत्नी के मध्य प्यार बढ़ता है.

दोनों नवरात्री भगवन राम से जुड़े एक में उनका प्रगट्य दिवस होता दुसरे में रावण पर जीत धर्म की अधर्म पर जीत का प्रतीक है.

इन ९ दिनों माँ दुर्गा की स्तुति,सुमधुर घंटियो की आवाज़,धुप बत्तियो की सुगंध,के साथ ९ दिन चलने वाला आस्था और विश्वास का अधभुत त्यौहार है .इसकी सारथकता तभी है जब भ्रूण हत्या,नारीओ का उत्पीडन,दहेज़ के लिए जलना या उत्पीडन करना,रस्ते में उनके साथ अन्याय पर हिम्मत से रोकना, मान सम्मान देना आदि दे यही  सच्चे अर्थ में  माँ को प्रसन्नता प्रदान करेगा.!

रमेश अग्रवाल,कानपुर

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