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आधुनिक भारत, देश की एकता और दूरदर्षित नेता सरदार पटेल की जयन्ती पर सत सत नमन

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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जय श्रीं राम

आज देश में आतंकवाद,कश्मीर में राष्ट्र विरोधी कारनामे,भ्रस्ताचार ,सांप्रदायिक तनाव, मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया  और हिन्दू विरोधी और मुस्लिम तुस्टीकरण की राजनीती, जाति धर्म के आधार पर वोटो का आवाहन,राजनेताओ की दूषित मानसिकता  और वंशवाद से ग्रसित राष्ट्र को देखते हुए पटेलजी की बहुत याद आती है यदि गांधीजी १९४६ में नेहरूजी की ब्लैकमेल के प्रभाव में न आकर पटेलजी को प्रधान मंत्री बना दिया होता तो आज कश्मीर,चीन,आतंकवाद,कम्यूनिस्ट विचार धारा,मुस्लिम लीग और अलगाववाद के खतरे से मुक्ति मिल गयी होती.पटेलजी बहुत ही दूरदर्शिता,राष्ट्रभक्ति से सरोबार,राष्ट्र हित में कुछ भी करने के लिए तैयार वे हमारे ओरेना के स्रोत थे और देश को खंड खंड होने से बचा लिया.३१ अक्टोबर १८७५ में एक छोटे से गाँव नडियाद में जावेद भाई और लड़ब्हाई की ४ थी संतान के रूप में जन्मा लिया उनके पिता किसान थे,पोताजी के साथ कामम करते १८९६ में हाई स्कूल परीक्षा पास की साथ में पिता का भी हाथ बटाते. १८ वर्ष की उम्र में झावेरा  से शादी हुयी और उनके एक पुत्र और एक पुत्र हुए.१९०० में जिला अधिवक्ता परीक्षा पास कर गोधरा से वकालत शुरू की और बहुत ही जल्द अच्छे क्रिमिनल वकीलों में गिने जाने लागे.और जो मुक़दमे कोइ जीत नहीं सकता उसको ले लेते.१९०९ में जब एक मुक़दमे में बहस कर रहे थे चपरासी ने एक तार दिया जिसको पढ़ कर रख लिया बाद में सबको पता चला की ये उनकी पत्नी की मृत्यु का था पूछने पर कहा की जिस मुवकिल ने हमें फीस दी हम उसके केस को बीच में नहीं छोड़ सकते जो उनकी कर्ताच्यानिश्ता दिखती है.१९१० में लंदन के मिडिल टेम्पल से वकालत में पहला स्थान हासिल किया जिसपर उन्हें ५० पौंड का इनाम मिला और आधे समय में पास किया १९१३ में बैरिस्टर बने परन्तु वे भारत आ कर अहमदाबाद में वकालत शुरू की.गांधी से प्रेरित हो कर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और कांग्रेस के विभिन्न पदों पर रहे.२ बार कांग्रेस के सभापति बने और पार्टी में नेहरु के प्रतिद्वंदी जाने लगे.सबसे पहले खेडा में सूखा पड़ने पर आन्दोलन किया और सरकार से एक साल के लिए छूट ले ली.उन्हें सबसे ज्यादा प्रसिद्धी बरदोलासत्याग्रह से मिला प्रांतीय सरकार ने किसानो का ३०%लगान बढ़ा दिया जिसका पटेलजी ने विरोध किया और आन्दोलन कर के सरकार को वापस लेने के लिए मजबूर किया क्योंकि उनके अधिकारिओ ने रिपोर्ट में इसे अनुचित बताया था.१९२० में असहयोग आन्दोलन में स्वदेशी खादी,धोती,कुरता,जूते अपनानेऔर विदेशी वस्तुवो के बहिस्कार कर उनकी होली जलाई गुजरात में विद्यापीठ की स्थापना की.१९३१ में कराची अधिवेशन में शामिल हो कर शिमला में बातचीत के लिए गए.दांडी नमक आन्दोलन में भाग लेने में जेल गए और फिर स्वतंत्रता तक कई बार गए. आज़ादी में जिन्ना के प्रस्ताव को न मान अंग्रेजो के दुसरे प्रस्ताव जिसमे विभाजन जरूरी हो गया था क्योंकी जिन्ना मुसलमानों को भड़का रहा था परन्तु इतना कत्लेआम होगा इसकी उम्मीद नहीं थी.१९४६ में प्रदेश अध्यक्षों ने पटेलजी को पार्टी का अध्यक्ष चुना और वे ही प्रधानमंत्री होते परन्तु नेहरूजी के ब्लैकमेल से गांधीजी ने सरदार को नेहरूजी के लिए नाम वापस करने को कहा और अंग्रेजो के अंतरिम मंत्रिमंडल में गृह.सूचना और प्रसारण मंत्री हुए जिसके मुखिया नेहरूजी थे.स्वंतंत्र भारत में उनको गरिय मंत्री बने बाद में नया विभाग रियासतों का (dept of princely states) बनाया गाया !उन्होंने भावनगर,राजस्थान राज्य संघ और मध्यप्रदेश संघ की स्थापना  की.उनके नेहरूजी से रिश्ते हमेश तनावपूर्ण रहे क्योंकि नेहरूजी सोचते, पटेलजी करते, नेहरूजी शास्त्रों के ज्ञाता,पटेलजी पुजारी,नेहरु अमीर पटेल गरीब परिवार से,नेहरु अहंकारी ,पटेलजी में बिलकुल नहीं नेहरूजी पर विदेशी प्रभाव पटेलजी स्वदेशी से ओतप्रोत!पटेलजी का सबसे बढ़ा कार्य था ५६१ रियासतों को बिना खून खराबे के भारत में एकीकरण करना.अंग्रेजो ने इन रियासतों से कहा था की छाए वे स्वतंत्र रहे या फिर किसी में विलय कर ले.पटेलजी ने सब राजाओ को दिल्ली में बुलाया कही खुद गए और पी वी मेनन के साथ समझा कर किसी को डरा कर सब रियासतों को राजी कर लिया जुनागड़ पकिस्तान जाना चाहता था सो वाहन हिन्दुओ से विद्रोह करा कर सेना चारो तरफ रख दी अंत में नवाब भाग गया हैदराबाद में उस वक़्त सेना भेजी जब नेहरूजी विदेशी दौरे पर थे.३ दिन में हैदराबाद शामिल हो गया सबको प्रिवी पर्स का वायदा कर दिया.कश्मीर के रजा ने विलय पर दस्खत का दिए और हमारी फौजे जीत रही थी की नेहरूजी ने युद्ध विराम कर दिया और रेडियो से संयुक्त राष्ट्र संघ ले जाने की घोषणा कर दी.यही सबसे बड़ी गलती हो गयी जिसका परिणाम देश अभी भुगत रहा है.और कब तक चलेगा कहा नहीं जा सकता.क्योंकि नेहरूजी ने कश्मीर मामला पटेलजी से ले कर खुद रख लिया था.यदि सब रियासते देश में विलय न होती तो सोचा जा सकता देश की हालत क्या होती.नेहरूजी ने शेख अब्दुल्ला की वजह से ऐसा किया.पटेलजी का ऐसा नेता विश्व भर में अभी तक नहीं हुआ जिसने इतना विभिन्नता को एकता में बदल दिया हो.सही मायेने में मनु के शासन की कल्पना की थी.के कौटिल्य  की तरह कूटनीतिज्ञाता और महाराज शिवाजी की दूरदर्शिता थी,वे भारत्वशियो के ह्रदय के सरदार थे.उन्होंने आई.सी.एस परीक्षा का भारतीयकरण करके आई ऐ एस कर दी,उन्होंने सोमनाथ मंदिर का पुनःनिर्माण किया जिसका उद्घाटन राजेंद्र बाबु ने कियाथा जिससे नेहरूजी बहुत नाराज़ थे और दोनों के निधन में शामिल भी नहीं हुए १९५० में गोवा स्वतंत्र करना CHAHTनेह्रुजू नहीं मने,नेपाल,चीन तिब्बत और पकिस्तान के प्रति सावधानी बरतने खास कर चीन से सावधान रहनेक के लिए आगाह किया परन्तु नेहरूजी नहीं सुनते थे.जिसका परिणाम देख लिया.पटेलजी ने MVKAMATH से कहा था की यदि नेहरूजी और गोपालस्वामी आयंगर कश्मीर का हल हमें करने देते तो हैदराबाद की तरह उसका भी हल निकाल लेते.२५ वर्ष बाद राजगोपालाचारी जी ने लिखा था की अच्छा होता यदि पटेलजी प्रधान मंत्री और नेहरूजी विदेश मंत्री.उन्होंने ही अम्बेडकरजी को सविधान सभा का अध्यक्ष बनवाया था.उनके विचार बहुत से कुछ याहन दे रहा हूँ.

१,हर एक नागरिक की ज़िम्मेदारी है को वह अनुभव करे की उसका देश स्वतंत्र है और उसकी रक्षा करना उसका कर्त्तव्य है,हर एक को भूल जाना चैये की व राजपूत,सिख या जाट है और याद रखना चैये की व एक भारतीय है जिसका देश पर अधिकार के साथ जिम्मेदारियां भी है

२.एकता के बिना जनशक्ति शक्ति नहीं है जबतक उसे टीक तरह से सामंजस्य में न लाया जाय और एक जुट किया जाते तभी वह अध्यात्मिक शक्ति बन जाती है.

३.स्वतंत्र भारत में कोइ भूखा नहीं मरेगा, एसलिये आनाज निर्यात नहीं होगा कपड़ो का आयत नहीं होगा नेता विदेशी भाषा का प्रयोग नहीं करेंगे न किसी दूरस्थ स्थान पर समुन्द्र से ७००० फीट ऊपर से शोषण करेंगे.हमारी सेना न पने न ही बाहर की भूमि को नहीं हरपे गे हमारा सैनिक खर्च ज्यादा नहीं होगा और हमारे अच्छे वेतन पाने वाले अधिकारिओ और कम वेतन पाने वाले सेवको से ज्यादा नहीं कमायेगे.न्याय पाना न खर्चीला होगा न कठिन !

४.जो तलवार चलाना जानते हुए भी तलवार म्यान में रक्खते है उसी की अहिंसा सच्ची कही जायेगी.कायरो की अहिंसा का क्या मूल्य.

५.हमें गम खाना सीखना चाइये,मान अपमान सहन करने की आदत डालनी चाइये

उनको नागपुर,बनारस,इलाहाबाद,उस्मानिया विश्व विधालयो ने मानक डाक्टर ऑफ़ लॉ की उपाधी धी.उनके नाम से अहमदाबाद का हवाई अड्डा ,गुजरात में विश्वविद्यालय है कांग्रेस ने उनको कोइ सम्मान नहीं दिया उनको १९९१ में भारत रत्ना दिया.सच्चा सम्मान गुजरात के मुख्या मंत्री नरेन्द्र मोदीजी ने दिया जब उनके जन्मदिन पर २०१३ में रन फार यूनिटी शुरू की थी जो अब पुरे देश में विभिन्न जगहों पर होती है आज भी संपन्न हुई थी.गुजरात में उनकी १८२ मीटर ऊंची प्रतिमा “STATUE फॉर यूनिटी ‘लगेगी जिसका ठेका लासन एंड टर्बो को २९७९ करोड़ रुपये का दिया गया इसके लिए मिट्टी .लोहा हजारो गाँव से इकठ्ठा किया गया है.

दुर्भाग्यवश उत्तर प्रदेश सरकार ने इस दिन अवकाश घोषित कर दिया है.

यदि हमारा देश और देश्वशी उनके बताये सिधान्तो पर चले तब ही उनके प्रति सच्ची श्रदांजलि होगी और छुट्टी की वजह उनपर प्रोग्राम होने चाइये

रमेश अग्रवाल,कानपुर

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