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बिहार चुनाव में एनडीए की हार की समीक्षा

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम

बिहार में हाल में संपन्न चुनावो के नतीजों ने सबको अच्चम्भित कर दिया किसी को ऐसे नतीजो की उम्मीद नहीं थी टीवी में ओपिनियन पोल भी झूटे साबित हुए .एनडीए के नेताओ की सभाओ में भीड़ भी खूब आती थी सरे समीकरण पक्ष में थे फिर ये क्यों हुआ इसके पीछे बहुत सोची समझी कांग्रेस की साजिस के साथ अन्तराष्ट्रीय साजिस थी जो भारत को संयुक्त  राष्ट्र परिषत में स्थाई सदस्य की कोशिश को नाकाम करने के लिए और पकिस्तान को खुश करने के लिए सऊदी अरब के द्वारा की गयी जो मानव अधिकार आयोग का अध्यक्ष है.देश के मीडिया को खूब धन दिया गया कि बिहार चुनाव तक दादरी घटना को खूब जोर शोर से उठाय और असहिसुनता का वातावरण बनता रहे .इसीलिये मीडिया दादरी की छोटी घटना को २१ दिनों के साथ डिबेट करने के साथ लेखो और नेताओ और मीडिया द्वारा जीवत रक्खा गया और ऐसा वातावरण पैदा किया गया जैसे अल्पसंख्यक बहुत असुरक्षित है जबकि सच में वे दामादो की तरह रह रहे .बिहार चुनावों में भी मीडिया ने वहां  दादरी घटना को दिखया.!फिर आरएसएस प्रमुख भागवतजी ने विचार प्रगट किये की आरक्षण में पुनर्विचार  हो क्योंकि इसका लाभ बहुत गलत लोगो को मिल रहा था,इन दोनों बातो को लालू  ने दलितों और मुस्लिमो के पप्रचारित  किया की सरकार आरक्षण विरोधी है और ख़तम कर् देगी  तथा  मुसलमान बहुत असुरक्षित है लालू ने करीब ३०० छोटी२ सभाए की और् लोगो को डरा कर बीजेपी और मोदीजी के खिलाफ कर दिया मुसलमानों को भी एकजुट  वोट करने को कहा जिससे मुस्लिम वोट बटे नहीं और मुलायम,माया और ओवैसी के दलों में न कोइ जीता वोट %भी बहुत कम रहा.एनडीए  के घटक दलों पासवान ,कुशवाहा और मांझी मोदीजी की लोकप्रियता के ऊपर बैठे रहे और अपने प्रभाव वे क्षेत्र में टीक से मेहनत से काम नहीं किया जैसे लालू ने किया लालू तो अपने दोनों बच्चो के लिए चाहता था इसलिए उसके लिए तो जीवन मरनका प्रश्न था.ये लोग सीट्स तो ज्यादा मांग रहे  लेकिन जीत बहुत कम   पा सके जबकि उम्मीद बहुत थी.एनडीए बड़ी जनसभाए करते रहे जबकि प्रदेश नेताओ को जनता के बीच जा कर उनको समझाना चैये और लालू के व्यानो से फैले भ्रम को ख़तम करना चाइये इसके पहले इतिहासकार इरफ़ान हबीब के दामाद द्वारा अमेरिका की आर्थिक कंपनी मूडी द्वारा देश पर आरोप लगाया गया की असिहिसुनता और अल्पसंख्यको की असुरक्षित भावना की वजह से देश में निर्वेश का माहोल अच्छा नहीं है !,प्रदेश नेताओ पर उम्मीदार्वारो के बारे में राय नहीं ली गयी और गलत लोगो को टिकेट मिल गया कही टिकेट पैसे ले कर दिया  गया प्रदेश के नेता पार्टी को बदनाम करने के लिए मीडिया में व्ययन देते रहे उनपर अंकुश नहीं लग पाया इससे पार्टी की छवि ख़राब हुई .हरयाणा में २  दलित युवको की हत्या को जो बाद में पता चला की उनकी घर में आग लगने से मृत्यु हुई थी उसको लालू ने ऐसा दिखया जैसे उनको जान से मारा गया .इसपर भी प्रधानमंत्री की चुप्पी पर हल्ला मचाया और जन. वीके सिंह ने बिना गलत भावना के कहा की हर बात में प्रधान मंत्री को बोलने की जरूरत नहीं और क्या कोइ कुत्ता मरने पर उनको बोलना चैये जिसको मीडिया और लालू ने तोड़ मोड़ कर दलितों को समझाया की बीजेपी दलितों को कुत्ता कह रही है.इन सबसे दलित,महादलित और मुसलमान एकजुट हो कर एनडीए के खिलाफ वोट दिया और ऐसे नतीजे सामने आये.जिनकी अपेक्षा नहीं थी.हम सब लोगो को समझना चाइये की देश की बढ़ती प्रतिष्ठा  से विदेशी साजिस रच रहे जिनमे अमेरिका के साथ पाकिस्तान भी है पहले गुजरात में हार्दिक पटेल का पटेलो का आरक्षण के लिए आन्दोलन और हाल में पंजाब में होने वाली खालिस्तान समर्थिक घटनाये और गुरु ग्रन्थ को अपवित्र करने से हिंसक घटनाएं इसी साजिस के तहत हो रही ह और इसमें कांग्रेस भी खुले शामिल है इसमें आतंकवादियो को ऊंचे पद खालिस्तान समर्थको द्वारा दिए गए जो चिंतनीय है.जिस तरह ममता,केजरीवाल बिहार के मामले में व्यान दे रहे वे देश के लिए खतरनाक है और मुस्लिम कट्टरपन्थियो को बढ़ावा  देगा.अभी मीडिया में आया की गुजरात में हार्दिक पटेल के लोगो पर ज़ुल्म करने वाले सभी पुलिस ऑफिसर्स बिहार के थे और बीजेपी को बदनाम करने के लिए ऐसा किया था.

बिहार के चुनाव से बीजेपी को सबक ले कर इन गलतियों से सबक लेना चाइये.अब कांग्रेस हिन्दू विरोधी मुस्लिम नेतओकी जयंतिया और महामंडित कर रहा है पहले औरंगजेब के नाम से सड़क बदलने पर विरोध हुआ अब बर्बर टीपू सुलतान की जयन्ती कर्णाटक सरकार ने मानी जिसके विरोध करने पर एक हिन्दू की हत्या कर दी परन्तु मीडिया चुप दादरी पर जोर जोर से महीनो चिल्लाने वाले मीडिया कर्नाटक में २ हिन्दुओ के कतला पर चुप.अब शिव सेना भी बीजेपी हमला इसलिए कर रही की वह महाराष्ट्र में अपनी हार नहीं पचा पाई !अडवाणीजी ऐसे वरिष्ठ नेता जोशीजी के साथ पार्टी पर हमलावर हो कर मीडिया में प्रतिक्रिया दे दी जिससे विरोधियो को हमला करने का मौका मिला और शत्रुघ्न सिन्हा के साथ २ बिहार के सांसद पार्टी अध्यक्ष  और मोदीजी पर मीडिया में जा कर  आक्रमण करने जिससे पार्टी की छवि ख़राब हो रही और विरोधियो लो निंदा करने का मौक़ा मिला ऐसे लोगो के खिलाफ उचित कार्यवाही करनी चाइये.पार्टी  अगले साल होने वाले असाम,बंगाल और केरल में होने वाले चुनाव में इन गलतियों  से सबक ले कर कार्य करेगी जिससे बिहार वाली दशा न हो सके.इस चुनाव से एक बात जरूर निकल कर आई की लालू ऐसे अपराधी, सजा याफ्ता का इस तरह हीरो बन कर निकलना क्या लोकतंत्र के लिए शुभ है और क्या बिहार के लोगो के लिए अपराध,भ्रस्टाचार अब कोइ मुद्दा नहीं .चुनाव के बाद किशन जो मुस्लिम बहुल इलाका है हिन्दुओ पर आक्रमण किया गया आगजनी हुई और वहां अपहरण फिर शुरू हो गया क्योंकि लालू के दल को ज्यादा सीट्स मिली क्या नितीश सरकार टीक से चला पायेंगे या लालू का एजेंडे  पर चलेंगे?

रमेश अग्रवाल,कानपुर

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