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जय श्री राम कभी कभी ऐसे कारनामे हो जाते जिसे सुनकर कानो को विश्वास नहीं होता लेकिन होता सच है ऐसे कीर्तिमान को भगवान का करिश्मा कहना ही अच्छा होगा.ऐसे ही एक कारनामे ने भारतीयों को बहुत खुश किया खास कर क्रिकेट खेलने और उसमे दिलचस्पी रखने वालो को जब उन्होंने सुना की कल्याण के एक १५ वर्ष के ऑटो चालक के बच्चे प्रणव धनावाड़े ने अपने स्कूल केसी गांधी स्कूल कल्याण की तरफ से आर्य गुरुकुल स्कूल के खिलाफ अंडर १६ भंडारी कप टूर्नामेंट में खेलते १००९ रनों की अविजित पारी खेल कर ११६ साल पुराना विश्व रिकार्ड तोड़ दिया और विश्व का पहला हज़ार रन बनाने वाला खिलाड़ी बन गया.उसने १८९९ में १३ साल के आर्थर कालिंस के ६२८ अविजित रिकार्ड को तोडा जो उसने इंग्लैंड में क्लार्क हाउस की तरफ से नार्थ टाउन के खिलाफ बनाया था.२ वर्ष पहले प्रथ्वी शाह ने हैलिस शील्ड टूर्नामेंट में खेलते ५४६ रन बनाये थे जो भारत में किसी का सबसे ज्यादा रन थे.प्रणव की पारी की बतौलत उसके स्कूल ने १४६५/३ बनाए जो भी किसी टीम का एक पारी का सबसे बड़ा स्कोर है उसके बाद विरोधी टीम 31 रन पर आउट हो गयी और प्रणव का स्कूल १४३४ रन से जीत गया जो भी विश्व रिकार्ड है.इसके पहले १९२६ में विक्टोरीया की टीम ने न्यू साउथ वेल्स की टीम पर ११०७ रन्स से जीत दर्ज की थी.प्रणव ने ३९५ मिनट की पारी में १२९ (४) और ५९(६) मारे और स्ट्राइक रेट ३१२.३८ रहा.उसके इस कीर्तिमान से क्रिकेट जगत में बहुत खुशी और ताज्जुब भी हुआ और सचिन और हर भजन सहित बहुतो ने बधाई दी और उम्मीद की की भविष्य में व देश की टीम में और दुसरे टूर्नामेंट में खेले.उसके खेल से खुश हो कर महाराष्ट सरकार ने उसकी कोचिंग और पढाई का पूरा खर्च वहां करने की घोषणा की है.वैसे मुम्बई में समय समयपर ऐसे खिलाड़ी होते रहते क्योंकि वहा टूर्नामेंट के साथ प्रशिक्षण की सुविधाए होती टूर्नामेंट अच्छी तरह होते साथ वहां के लोग दिलचस्पी लेते परन्तु विश्व और देश में देखा गया की ऐसे सभी खिलाड़ी आगे चल कर देश के लिए नहीं खेल पाते उसके कारण विभिन्न हो सकते है.हम सब प्रणव को इस कीर्तिमान स्थापित करने के लिए बधाई देते और उम्मीद करते की आगे चल कर वह देश की तरफ से खेलकर ऐसे ही और बहुत कीर्तिमान बनाये.
रमेश अग्रवाल, कानपुर
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