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मुस्लिम हिंसा और आराजकता के खिलाफ सरकारे कार्यवाही करने से क्यों डरती ?

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम कही बार देखा गया की प्रदेश सरकारे जो अपने को सेक्युलर कहलाती है मुस्लिम हिंसा के सामने नतमस्तक रहती और अराजक हिंसक तत्वों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करने से डरती है क्योंकि उनको अपनी कुर्सी के लिए मुस्लिम वोट की ज़रुरत है और वे उनको नाराज़ नहीं कर सकते.बीजेपी/एनडीए को छोड़ कर सभी दल के नेताओ का यही हाल है मुलायम,ममता,नितीश/लालू,कांग्रेस एनसीपी प्रमुख है २०१३ में मुम्बई में आजाद मैदान में किस तरह उपद्रव मचाया था और महिला पुलिस ऑफिसर के साथ बदसलूकी की थी म्यान्म्यर के मुस्लिमो को ओवैसी ने हैदराबाद में बसा लिया और वे लोग मुम्बई हिंसा में शामिल थे,आसाम, पच्छिम बंगाल में अवैध रूप से बंगलादेशी आ कर बस गए और मालदा मुर्शीदाबाद और कुछ और जिले मुस्लिम बहुल हो गए जहाँ हिन्दू अल्पसंख्यक हो गए है !दो साल पहले दिल्ली में ईद की रात  सैकड़ो मुस्लिम लडको ने बाइक पर देर रात हुरदंगा मच्य महिलाओ से छेड़कहानी की औरो को मारा पुलिस चुप चाप देखती रही !.पच्छिम बंगाल में इस साल चुनाव होगे इसलिए अपनी कुर्सी बचने के लिए ममता की आंखे उनके वोट बैंक पर है इसलिए उनको खुश करने के लिए वह किसी हद तक जा सकती है और जा रही.सरकार की तरफ से मस्जिदों के इमामो को तनख्वाह मिलती ईद की वजह से दुर्गा पूजा की मूर्तियों का विसर्जन रोक दिया गया था सबसे ऊंची दुर्गा पंडाल को मुस्लिम विरोध की वजह से ढक दिया गया था और कुछ जगहों पर दुर्गा पूजा की इज़ाज़त नहीं क्योंकि मुस्लिम विरोध करते.याद होगा यही तसलीमा नसलीन को भगा दिया गया था और उसको लौटने की इज़ाज़त नहीं.मार्च २०१५ में कोलकत्ता के तल्पुकर आरा हाई मदरसा के हेड मास्टर काजी मासूम अख्तर को मौलिवियो ने मारा क्योंकि वोह बच्चो को राष्ट्र गान सिखा रहा था.मौल्वियो ने कहा की तू हिन्दुओ का गाना सिखा रहा था और राष्ट्र गान इस्लाम के खिलाफ है काजी जी कमीज़ और पेंट पहनता था उसको फतवा जारी करके कुरता मुस्लिम ड्रेस के साथ दाड़ी रखने का जिसकी लम्बी मौलवी लोग तय करेंगे और साथ में ही दाड़ी की फोटो भेजने  को कहा काजी जी मुख्या मंत्री अल्प्संयक आयोग और शिक्षा विभाग में चक्कर लगा चुके लेकिन कोइ सुन्वही नहीं पुलिस भी सुरक्षा देने को तैयार नहीं क्या ये एक लोकतंत्र देश में संभव है पच्छमी बंगाल और केरला में वही होते जो मुस्लिम चाहते लेकिन अफ़सोस की पूरा मीडिया शांत यदि यही बीजेपी राज्य में होता तो मीडिया में तूफ़ान आ जाता चांडी और ममता ने इस्लामिक स्टेट बना दिए है.इसन होने के बाद मुख्य मंत्री चुप मालदा हिंसा के बारे में हम  एक पोस्ट पर लिख चुके गृह मंत्रालय ने पाया की मालदा में हिंसा बंगलादेशी तस्करों ने भडकाईअब तय हो गया की ममता की चुप्पी वोट बैंक की वजह से हुई और बेशर्मी से झूठ बोल रही की कम्युन तनाव है जबकि ऐसा कुछ नहीं.प्रश्न उठता है की एक घटना जो ३४ दिन पहले हुई थी और दोषी को जेल दाल दिया गया फिर उसपर ३४ दिन बाद क्यों प्रदर्शन करके थाना और हिन्दू के मकान फूकना.१०० लोगो के खिलाफ रिपोर्ट लोखी गई ९ पक्डे

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गये ६ जमानत पर छूट गए.२.६ लाख में उपद्रव में गोली क्यों नहीं चली गयी और पहचान क्यों नहीं हुई कुछ नेताओ की कुर्सी की लालच से देश का कितना बड़ा नुक्सान हो रहा और  एक दिन हालत इतने बेकाबू हो जायेंगे की संभालना मुस्किल हो जाएगा.अभीमालदा में तनाव शांत भी नहीं हुआ बिहार के पुर्निवा में इस्लामिक कौंसिल ऑफ़ इंडिया ने सईद नुकुरुदीन के नेतृत्व में एक विरोध जलूस कमलेश तेवरी की टिप्पणी के विरोध में निकला इसमें करीब ३०००० लोग थे परन्तु ये हिंसक हो गए औरबैसी पुलिस स्टेशन में आग लगा दी और तोड़ फोड़ की १०० अनजान लोगो के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गयी क्यों नहीं मुस्लिम नेताओ को पकड़ा गया इस पर बिहार के मुख्या मंत्री चुप  और लालू कहता उसे पता ही नहीं ये सब वोट बैंक की राजनीती और तुष्टीकरण है ३४ दिन बाद विरोध की क्या ज़रुरत इनका आईएस से सम्बन्ध लगता यदि इसे गंभीरता से नहीं लिया गया तो हालत बाद से बदतर हो जायेंगे और देश को भरी नुक्सान उठाना पड़ेगा किसी भी सेक्युलर नेता ने न तो निंदा की न ही मीडिया में उठाना विरोध हुआ कितना दादरी पर हुआ था न ही किसी बुद्धीजीवी ने असहिष्णुता का मुद्दा उठाया न ही अवार्ड वापसी .टीवी चैनल में कांग्रेस के नेता और मुसलमान इस विरोध की निंदा नहीं कर सके और मूक समर्थन करते रहे वे दुर्भाग्य वश  और निंदनीय है लगता है मुसलमान रहते देश में परन्तु उनका दिल देश से दूर हिन्स्तामक आतंकवादियी संगठन में लगे रहते है जो चिंता का विषय है.क्या पठानकोट हमले के बाद ऐसे प्रदर्शनों से उनकी मंशा पर सवाल नहीं उठते  ये सब राष्ट्र  भक्तो को सोचना पड़ेगा

रमेश अग्रवाल, कानपुरIndiaTv11939c_rampage

आगजनी मुसलमानों द्वारा पूर्णिया (बिहार )

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