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जय श्री राम जबसे सोनिया गांधी के द्वारा चलने वाली सरकार हार गयी सबसे ज्यादा धक्का चर्च और पादरिओ को हुआ क्योंकि उनकी गलत गतिविधियाँ पर लगाम लग गया है इसलिए वे देश की मोदी सरकार को किसी न किसी तरह बदनाम करना चाहते है पिछले साल जब राष्ट्रपति ओबामा विशिस्ट अतिथि के रूप में गणतंत्र दिवस पर आये थे और सोनिया से मिलने के बाद उन्होंने देश में अल्पसंख्यको पर व्यान राजनातिक नातिकता को दरकिनार कर के दिया,उसके बाद दिल्ली चुनाव के पहले चर्चो में चोरी और लूटमार की घटना को ईसाई समुदाय पर हमले के रूप में देखा.फिर अमेरिका में एक रविवार को पादरी के साथ नाश्ते के समय भी देश में अल्पसंख्यको के बारे में टिप्पणी कर दी.मोदीजी की सरकार को अस्थिर करने के लिए उन्होंने बिहार चुनाव से पहले असहिष्णुता की एक्सप्रेस ट्रेन शुरू कर दी जो दादरी की घटना से शुरू हुई जहाँ एक अखिलाख की हत्या को इतना उठाया और ऐसा माहोल बनाया जैसे देश में मुस्लिमो के साथ बहुत अन्याय हो रहा और वे बहुत हीअसुरक्षित है इस पर सेकुलर नेता मीडिया बुद्दिजीवी एक साथ जुट गए और शाहरुक आमिर खान भी बोलने लगे और कुछ लेखको और फिल्मकारों ने असहिष्णुता के विरोध में अपने अवार्ड वापस करने की घोषणा कर दी जबकि ऐसा कोइ माहोल नहीं था इसके पहले देश में कश्मीरी पंडित कश्मीर से भगाए गए १९८४ में सिख मरे गए तब किसी ने असहिष्णुता का न राग अलापा न अवार्ड वापसी !ज़ाहिर है की मोदी जी की जीत औरकई प्रदेश में बीजेपी की जीत से उनकी नीद उड़ गयी थी.अभी तक वाम दल और कांग्रेस मैकाले वाली नीति अपना कर शिक्षा और इतिहास को ऐसा लिखा जिससे बच्चो के मन में भारतीयों के प्रति घृणा हो जाए और मुस्लिम आक्रमंकारियो को महामंडित करते रहे कोइ विरोध नहीं लेकिन मोदीजी के आने के बाद दलित मुस्लिम की राजनीती करना शुरू कर दिया और उनको ऐसा दिखने की कोशिश की गयी जैसे उनके साथ इस सरकार आने के बाद भेदभाव बढ़ गया और अत्याचार शुरू हो गए ! इसमें केजरीवाल,राहुल गांधी,नितीश,ममता,लालू,ओवैसी के साथ मीडिया भी है.!अब देश की राजनीती को दलित,मुस्लिम,मराठी,बिहारी भगवा करन,आरएसएस विश्लेषण नेताओ,मीडिया बुद्दिजीवियो पत्रकार ,टिप्पणीकार द्वारा इस्तेमाल कर विभाजनकारी मानसिकता दिखने लगे और भारतीयता,मानवता,सामाजिक और राष्ट्रीयता ऐसे शब्दों को भूल गए.!हत्या,आत्म्हत्या ,हिंसा ,आतंकी घटनाओं को मानवीय त्रास्ती न लेकर राजनीती शुरू कर के उत्तेजना फैलाना उद्देश्य हो गया,हॉल में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय के नए कुलपति से पत्रकार पूंछते की क्या आपका आरएसएस से सम्बन्ध है क्या ये अपराध है और इसके पहले क्या किसी से ये पूँछा की आपका सम्बन्ध कांग्रेस,वामदलों ममता,लालू से है की नहीं?. -हिन्दू धर्म,संस्कृति,संगठन से जुडी छोटी से छोटी घटना को उतेजना फ़ैलाने के लिए निंदनीय कर के उछाला जाता जबकि दलित मुस्लिमो या सेकुलर नेताओ दलों के बड़े से बड़ी घटना को बहुत मामूली तरह से पेश किया जाता.हॉल में फारुक अब्दुल्ला ने कहा की कश्मीरी पंडितो को लौटने के लिए भीख नहीं मांगेगे जबकि एक ने कहा की पंडितो ने कश्मीरी मुसलमानों की बेईज्ज़ती की है.इस मामले में नेता मीडिया क्यों खामोश रहे.!दादरी की घटना के बाद कर्नाटक में प्रशांत पुजारी को गोकुशी करने वालो ने सरे आम गोली मार कर हत्या कर दी,इसके विरोध में प्रदर्शन पर पुलिस ने अधाधुंध गोली चलाई हाल में पुणे में एक १६ साल के हिन्दू को मुसलमानों ने धर्म पूँछ कर मार दिया न किसी मीडिया में छापा न टीवी डिबेट हुई पुलिस भी अभी तक रिपोर्ट लिख चुकी किसी ने असहिष्णुता का मामला नहीं उठाया केजरीवाल राहुल चुप? ३ जन. को पच्छमी बंगाल के मालदा में २.५ लाख मुसलमान सड़क पर इकट्ठा हो गए वे एक हिन्दू कमलेश तिवारी की उत्तर प्रदेश में एक महीने पहले दिए मोहमद ,साहिब के उप्पर टिप्पणी, जो जेल में है का विरोध कर रहे थाना जलाया,पुलिस वालो को मारा सरकारी ऑफिस और हिन्दुओ के मकान जलाये सब चुप ४ दिन तक उत्पात होता रहा इसके बाद बिहार के पुर्णिया में ३०००० मुसलमानों ने आगजनी और उपद्रव मचाया कुछ नहीं हुआ ३ दिन बाद उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में मकर संक्रांति के जलूस से मुसलमानों ने हमला कर उपद्रव और आगजनी कर हिन्दुओ के मकानों दुकानों को जलया समाजवादी सरकार ने दंगाइयों के साथ हिन्दुओ को भी पकड़ा !इन सभी घटनाओ पर राहुल,नितीश,मानता,केजरीवाल,ओवैसी मीडिया बुद्धीजीवी सब चुप इसके बाद हैदराबाद में १७ जनवरी को एक दलित छात्र (असल में वह पिछड़ी जात) ने आत्महत्या कर ली जिसमे अपने लैटर में सभी छात्र संगठनों से निराशा प्रगट की असल में ये लोग एक अमेडकर छात्र संघ के सदस्य थे और याकुबू मेनन की फांसी के विरोध में प्रदर्श किया और कहा की यदि एक याकूब मरता थो १०० पैदा होंगे आखिर इन छात्रों को आतंकवादियो से ऐसा प्रेम क्यों हो गया इसके विरोध में दुसरे छात्र संघ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने भी विरोध किया तो उसके सदस्य सुशील को इतना मारा की उसे ३ दिन icu में रहना पड़ा वहां के संसद और केंद्रीय मंत्री दत्रात्रेय ने राष्ट्र विरोधी कार्य के लिए लिखा और जिसपर अदालत के आदेश से कुलपति ने ५ लोगो को निलंबित कर दिया जिसके विरोध में ये लोग हड़ताल परथे बस आनेवाले विधान सभो में चुनाव को देखते वोटो के भूखे नेता राहुल,केजरीवाल,वाम दल ओवैसी और दुसरो के लिए ये यीर्थ स्थल बन गया और उन्होंने विध्यर्थिओको भ ड़का कर मोदीजी पर हमला करते स्मृति इरानी कुलपति और दत्रत्रे को हटाने की मांग करदी फिर वहां के दलित प्रोफेसरो ने भी अपने पदों को छोड़ दिया केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने पहले एक दल भेजा और अब एक न्यायिक आयोग की गठन की घोषणा की जो ३ महीने में रिपोर्ट देगी इन लाश पर राजनीती करने वाले नेताओ को केवल मुस्लिम दलित के नाम पर राजनीती करनी आती जिससे देश का नुकसान होगा और समाज जुड़ने की जगह बिखराव होगा.ये निम्न स्तर की राजनीती की है अब कारन जौहर को भी देश में असहिष्णुता के साथ लोकतंत्र भी ख़राब लगता.लखनऊ में प्रधान मंत्री ने जब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में विशिष्ट अतिथ के रूप में गए और रोहित की आत्महत्या पर दुःख जताया २ दलित विद्यार्थी मोदीजी के विरोध में नारे लगाने लग गए और कहा शिक्षा का भगवाकरण हो रहा जिसपर उनको हिरासत में लिया गए और निक्कल दिए गए.विश्वविद्यालय पढने की जगह न की राजनीती और गूंदागार्दी करने की ! jnu में वाम डालो के विद्यार्थी याकूब , अफज़ल गुरु की फांसी का विरोध करते और हडताल करते रहते और अब हैदराबाद के समर्थन में हड़ताल पर बैठ गए ये सब सेक्युलर नेताओं का कार्य है जो मोदीजी की सरकार के विकास से बहुत आहात है और अडंगा लगाना चाहते.मुस्लिम दलित लोगो कभी ये क्यों नहीं सोचते की उनके नेताओ ने खुद सब माल लूटाउनको क्या दिया ?उत्तर प्रदेश में आज़म खान,बंगाल में ममता और कर्णाटक के मुख्यमंत्री पर सोशल साइड पर टिप्पणी करने में पुलिस ने जेल पर दाल दिया तब नेता और बुद्धिजीवी चुप रहे ?हैदराबाद विश्वविद्यालय में पिछले १० साल में ९ छात्रों ने आत्महत्या की तमिलनाडु में कल ३ छात्राओ ने आत्महत्या की तब क्यों शोर नहीं मचा रोहित के मामले में अचानक क्यों?मोदीजी को बदनाम करना और ३ महीने बाद होने वाले चुनावों में फैयदा उठाना.
रमेश अग्रवाल,कानपुर
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