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भारत और नस्लवाद

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम हमारे देश में नस्लवाद कोइ समस्या नहीं थी परन्तु पिछले कुछ वर्षो में इसके बारे में चर्चा शुरू हो गयी.जब अँगरेज़ आये थे हम उन्हें गोर कहकर संबोधित करते थे और किसी को कोइ विरोध नहीं था लेकिन अब हर बात में नासक्वाद का मसला उठने लगा है.शुरू से मनुष्य का आकर्षण गोरे रंग की तरफ था लेकिन इसके मतलब काले रंग से घृणा नहीं थी लेकिन आज तो यदि कला शब्द इस्तेमाल कर दिया तो नसलवाद का आरोप लग जाता है हमारे देश में वर्ण व्यवस्था आदि काल से थी ये कर्म पर आधारित थी लेकिन किसी के प्रति नफरत नहीं थी अंग्रेजो के आने के बाद इसमें ज्यादा उग्रता आई और इसका असर गावो और अशिक्षित परिवार में ज्यादा था जहाँ शुद्रो को बहुत सी जीजो से वंचित किया जाता था गांधी जी ने इसके लिए बहुत काम किया और आजादी के बाद इसको ध्यान में रखते उन्हें आरक्षण  की सुविधा पहले १५ सालो तक दी गयी थी जिसको अभी भी लागू है.अब इसमें बहुत सुधर हुआ है लेकिन राजनीतिक कारणों समाज को उच्चा जाती और निम्न जाती में बाँट कर बाटने का काम कर रहे है अब दलितों को वोट बैंक ले लिए भड़काया जा रहे और वे मुसलमानों के साथ मिलकर हिन्दू धर्म का विरोध और नफरत करने लगे हिन्दुओ के धार्मिक गग्रंथो को भी जलना शुरू हुआ और अब विश्वविद्यालय जाती के आधार में नफरत के अड्डे बनते जा रहे है हैदराबाद में रोहित की आत्महत्या पर बहुत राजनीती हुई परन्तु किसी ने उनके आतंकवादी समर्थन की निंदा नहीं की विश्वविद्यालय राष्ट्र विरोधी कार्यो के अड्डे नहीं बन सकते .अफ्रीका में भी अंग्रेजो को गिरे नाम से कहते थे और हम लोगो को yellow रंग के कहते कोइ बुरा नहीं मान सकते.हर एक परिवार घर में गोरी बहु लाना चाहता है और विवाह विज्ञापनों में भी इसका जिक्र करते थे गोरा कला प्रकर्ति का है और भौगोलिक परिथितियो के कारन ऐसा होता हम लोगो को गलत इतिहास पढ़ा कर दक्षिण भारतीयों से तानव पैदा करने का काम हुआ.आज परिस्थिथिया बदल गयी जैसे ही कोइ काले रंग की चर्चा  करता उसे नासल्भेद कह कर विरोध शुरू हो जाता.ये विरोध सब देशो में देखा जा सकता अमेरिका में तो इसके खिलाफ बहुत लडाई हुई लेकिन अब भी वहां है.हमें याद है की गिर्राज सिंह ने एक व्यान में कह दिया की यदि राजीव गांधी ने यदि एक नाइजीरियन से शादी कर ली होती तो भी क्या सोनिया गांधी देश में राज्य कर सकती थी उनका मतलब था की सोनिया गांधी को सत्ता उनके सफ़ेद रंग की वजह से मिली इसमें उनका मतलब केवल उदहारण देने का न की नाइजीरिया के खिलाफ कोइ दुर्भावना नहीं थी.आज भी अंग्रेजो को उनके रंग की वजह से खास आकर्षण होता है !हमारे देश के विभिन्न शिक्षा संस्थानों में बड़ी संख्या में अफ्रीकन लोग पढने के लिए आते है उनके रंग की वजह से जब वे शहर में घुमते देश्वशी कभी कभी कल्लू, कालू कह देते उनका मतलब निरादर का नहीं ये बोल चाल में कहा जाता ऐसा आपस में एक दुसरे के लिए भी कहा जाता है.लेकिन अफ़्रीकांस ऐसा महसूस करते की ये नस्लवाद  की वजह से है जो की गलत है.अफ्रीकन लोग के रीति रिवाज़ हम लोगो से बहुत भिन्न है वे फ्री सेक्स में विश्वास करते खूब दारू पीते ड्रग्स भी लेते और डांस और मुसिक का भी बहुत शौक हो बहुत से तो हॉस्टल में रहते लेकिन बहुत से किराये के मकानों में रह्रते आपस में मिलजुल कर ये पार्टी वैगरह करते जिसमे जोरो से मुसिक के साथ आइयाशी भी करते बहुत से अफ्रीकन स्टूडेंट वीसा पर आकर गलत कार्यो ड्रग्स ,वेश्यावृति,ऑनलाइन फ्रॉड ,नकली नोट के धंधे,चोरी ,डकैती  में लग जाते बहुत से वीसा ख़तम होने के बाद भी देश में अवैध रूप से रह कर गलत कार्य करते और बहुत से जिलो में बंद है.कुछ लोग व्यापार करने में लग जाते!२०१२ में  गोवा में इनकी गलत कार्यो से वाह के एक मंत्री ने लिख दिया no to नाइजीरियन no to drugs और nigerian को कैंसर कह दिया.ये लोग देश के सभी प्रदेशो के प्रमुख शिक्षा संस्थान में पढ़ते है पंजाब,दिल्ली,नॉएडा पंजाब,कर्नाटक ,तमिलनाड ,महाराष्ट्र और हैदराबाद में मिलते है.अफ़्रीकांस कहते की क्लास में उनसे बहुत अच्छा व्यावहार होता लिकिन शहर और बाजारों में उनको कालू हब्सी आदि शब्दों से संबोदित किया जाता.वैसे यदि कोइ नसलवाद की घटना होती या गलत कार्य होता तो सरकारी बहुत सख्त कार्यवाही करी जैसे जनवरी २०१४ में जब आप के मंत्री सोम नाथ भारती ने किरकिरी एक्सटेंशन में रात को अफ्रीकन के घर छपे मरने का प्रयास किया की वाह ड्रग्स और वेश्यावृत होती है पुलिस ने नहीं होने दिया हालांकि स्थानीय लोग समर्थन में थे परन्तु चूंकि ये गैरकानूनी था इसलिए इसकी बहुत निंदा हुई.जब भी अमेरिका,इंग्लैंड या ऑस्ट्रेलिया में भारतीय के साथ मार पीट या हत्या हो जाती देश में निंदा के साथ नसलवाद से जोड़ दिया जाता.पिछले इतवार ३१ जनवरी को बैंग्लेरू में हुई शर्मनाक घटना से देश को शर्मन्दगी उठानी पडी जब एक २१साल की तंजानिया की छात्रा को भीड़ ने कार से निकाल कर मारा उसके कपडे फाड़ दिए जिससे उसे चोट आई और पुलिस वाले चुप चाप देखते रहे.ये शहर it कैपिटल के नाम से जाना जाता और बहुत से अफ्रीकन छात्र यहाँ पढ़ते है.उसदिन एक सुदानी से एक औरत कुचल कर मर गयी बस भीड़ ने जंगली रक् शुरू करके मारना शुरू किया उस कार दुर्घटइसी बीच ९ न्लोग ना से इस छात्रा का हाथ नहीं था परन्तु जब इसने सुदनीस को पिटते देख तो रूक गयी भीड़ ने इसे सुदानी का दोस्त समझ कर पीटना शुरू किता सैकड़ो लोग इस जंगली और असभ्यातापूर्ण कार्य में २ घंटे तक तांडव करते रही ऐसा लगता जैसे हम बाबा आदम के ज़माने में आ गए है.इसने और इसके एक दोस्त ने भाग कर बस में बैठ कर बचने की कोशिश की लेकिन लोगो ने उतार लिया उसकी वागन -आर कार जला दी लडकी की पुलिस ने रिपोर्ट नहीं लिखी लेकिन जैसे ही मीडिया में समाचार छपा पुलिस और प्रदेश सरकार हरकत में आई और रिपोर्ट लिख कर कार्यवाही शुरू हुई विदेश मंत्री ने कठोर शब्दों में निंदा करते इसे असभ्य घटना करार करते प्रदेश सरकार से रिपोर्ट माँगी और एक उच्च स्थारीय  कमेटी  तंजानिया के राजदूत के साथ घटना की जांच के लिए भेजी !इसी बीच प्रदेश सरकार ने ९ लोग गिरफ्तार किये ३ पुलिस अफसर निलंबित किये और जांच से राजदूत संतुस्ठ है.पुरे देश में इस घटना की निंदा हुई परन्तु जो लोग वीसा के बाद अवैध रूप से रह रहे उनके खिलाफ कोइ कार्यवाही क्यों नहीं होती.एक दो स्थानीय लोगो ने छात्रा को अपनी कमीज़ उतार का ढकने के लिये दी .स्तानीय समाचार पत्र के अनुसार स्थानीय और अफ्रीकन के बीच तनाव रहता है लोकल की शिकायत है की ये लोग तेज गाडिया चलते,नशे मे रहते जोरो से मुयुजिक  बजाते और खुले आम शराब पीते जबकि अफ़्रीकांस कहते की मकान मालिक माकन किराए पर नहीं देते,टैक्सी वाले ज्यादा किराया लेते !वैसे दोनों लोग अपने जगह टीक होंगे लेकिन सरकार को चाइये की तोडा सख्त रुख अपनाए जिससे ऐसी घत्नायेच्फिर न हो लेकिन सड़क में भीड़ द्वारक इस तरह की घटनाएं देश के दुसरे शहरो में भी होती रहती है जिसमे लोग कानून को अपने हाथ ले लेते हैं बंगाल,उत्तर प्रदेश दिल्ली,बिहार में ऐसे किस्से सुनने को मिलते है जो गलत है लेकिन इस घटना की ज्यादा चर्चा हो गयी क्योंकि एक अफ्रीकन लडकी के साथ हुआ और देश की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा पर असर पड़ता है लेकिन केंद्रीय सरकार के त्वरित कार्यवाही से बहुत अच्छा सन्देश गया और देश का बड़ा नुक्सान होने से बाख गया.सरकार को अफ्रीकन लोगो के अवैध हरकतों पर भी कठोर कार्यवाही करे !

रमेश अग्रवाल,कानपुर

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