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भारतीयों के मूल्यों और सोच में आई गिरावट क्यों?(भाग १)

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम २ फरबरी १८३५ को मैकॉले ने ब्रिटिश संसद की विदेश समिति के सामने जो व्यान दिया था व हम लोगो के लिए गर्व की बात थी.उसने कहा की उसने २ वर्षो तक पुरे देश का सर्वे किया और पाया की भारत में कोइ भीख नहीं मांगता,बहुत मेहनती है उनके घर सोने से लदे है उन्हें अपने धर्म,राष्ट्र के प्रति बहुत लगाव किसी चीज का आयत नहीं होता सब बहुत मिलजुल के रहते और उत्तर में ९७% और दक्षिण भारत में १००% साक्षरता है कोइ गरीब नहीं बहुत स्वस्थ रहते बेरोजगारी नहीं गावो खूब संपन्न है और मजदूरी बहुत सस्ती वे लोग बहुत सी चीजे देश में बनाते सूर्य और चन्द्र ग्रहण और महीने की सही गणना सटीक ढंग से बहुत पहले कर लेते ऐसे देश को हम गुलाम नहीं बना सकते इसका कारण वहां की शिक्षा पद्धति है यदि हमें राज्य करना तो शिक्षा को बदलने की इज़ाज़त दी जाए और उसने इंग्लिश शिक्षा को लाकर कहा की ये ऐसे भारतीय पैदा करेगी जो हृदय से अँगरेज़ होंगे अपने धर्म संस्कृति इतिहास से नफरत करने लगेगे और हमारे जाने के बाद भी हमारे गुण गायेंगे जो आज सच हो गया उम्मीद थी की आज़ादी के बाद बदलाव आएगा लेकिन नेहरूजी ने वाम विचारधारा वालो को देकर देश की शिक्षा  के साथ विचारधारा बदल गयी. पहले शिक्षा मूल्य आधारित होती थी जबकि आज की नौकरी देने वाली.आधुनिकता ने देशवाशियो के चर्तित्र मानसिकता में इतना बदलाव ला दिया की हमारे मूल्य जिसके लिए हम विश्व गुरु कहलाते थे .आज का भारतीय धन सुविधावो और भौतिकवाद में इतना व्यस्त हो गया की जीवन के सारे मूल्य और नैतिकता तथा सामजिक दहित्व भूल गया केवल अपने और परिवार (जिसमे पत्नी और बच्चे होते )और सारे रिश्ते की महत्व कम होती जा रही.पहले हमारी फिल्मे देश के समस्यों और कमजोरियों को उजागर कर एक सन्देश देती थी लेकिन आज सस्ती सस्ता मनोरजन देने वाली और अश्लीलता को प्रदर्शन करने वाली रह गयी.हमने अमेरिका और पच्छिम की अधाधुंध नक़ल की लेकिन खरं चीजे जैसे शराब नशा,ड्रग्स,नग्नता,फैशन,तलाक नाच अश्लीलता सीख ली लेकिन उनकी इमानदारी ,राष्ट्र के प्रति और सम्पति के प्रति ज़िम्मेदारी समजिल दहित्व निभाना,राजनातिक मर्यादा और उसूलो को अपनाना नहीं सीखा.आज हम सब अपने अधिकारों की बात करते लेकिन कर्तव्यों के प्रति बिलकुल भूल जाते या फिकर नहीं करते आज सब लोग अपने सुविधावो को बढ़ने के लिए हड़ताल करते जितना मिलते उससे खुश न हो कर और मांगते लेकिन कभी काम करने में कैसे सुधार हो इसकी फिक्र  नहीं सरकारी नौकरी हमारे देश में सबसे अच्छी मानी जाती जहाँ सब सुविधाए है लेकिन काम करने की कोइ संस्कृति नहीं सुविधा शुल्क (रिश्वतखोरी) के बिना कोइ काम नहीं होता आने जाने का कोइ समाया नहीं देश में इतनी छुट्टी होती उसके बाद भी बढ़ने की मांग रहती .हम लोग सरकार से ज्यादा से ज्यादा लूटने में लगे लेकिन काम करने में चोर.आजादी के कुछ वर्षो तक अच्छा माहोल था लेकिन धीरे धीरे जैसे राजनेता भ्रष्ट हो गए वैसा असर पुरे देश में हो गया आज जो हालत है उससे सब परचित है.पहले राजनीती देश और लोगो की सेवा का मार्ग माना जाता परन्तु आज तो ये पद,प्रतिष्ठा और पैसा कमाने का साधन बन गया इसीलिये राजनेताओ को हीन निगाह से देखा जाता और उनका व्यवह्हर जनता देश के प्रति बहुत ख़राब है इसीलिये आये दिन घोटाले ही सुनाई देते देश का कितना धन विदेशी बैंको  में जमा कोइ नहीं जानता देश की छवि एक भ्रष्टाचारी राष्ट्र के रूपमे जानी हो गयी यदपि मोदीजी की सरकार इसको बदलने में लगी .पच्छिम देशो में सांसद,मंत्री यहाँ तक प्रधान मंत्री भी हारने या पद से मुक्त होने पर सरकारी बंगला खाली कर देते टर्म ख़तम होने के बाद कोइ सरकारी आवास प्रधान मंत्री ,मुख्य मंत्री यता राष्ट्र पति को नहीं मिलते  परन्तु हमारे देश में हर एक दिल्ली या प्रदेश की राजधानी में लेते और बंगले खाली करने में क्या हालत होती सबको मालूम होता टोनी ब्लेयर ब्रिटेन के प्रधान मंत्री थे हारने के बाद २  दिनों में उन्होंने अपना सामन बाँधा किराये के वाहन से स्टेशन गए और ट्रेन से अपने शहर और इस तरह नए प्रधान मंत्री को निवास के लीयते लोई दिक्कत नहीं.भ्रष्टाचार में वे लोग बहुत सख्त और कई देशो के प्रधान मंत्रियो और राष्ट्र पतिओ को इस आरोप में जेल जाना पडा जबकि हमारे देश में लालू,मुलायम,मायावती और न जाने कितने नेता भ्रष्टाचार में लिप्त लेकिन मौज से घूम रहे केवल वोट किसको देने की कला से बचे है.हमारी अदालते इन मामलो में बहुत समाया लेती लोगो को किसी बात का दर नहीं.चुनाव में नकली वोट ,धन बल हमारे देश में बहुत लेकिन सभ्य देश में नहीं होता यदि पता चल जाए तो सजा भी होती.जिस तरह हमारे देश में संसद,विधान सभाओ में सत्र् वाधित होते कही नहीं हिता ब्रिटिश संसद के इतिहास में एक दिन भी ऐसा नहीं हुआ जब राज सत्ता भ्रष्ट होगी तो जनता भी ऐसी होगी.हमारे यहाँ किसी को कानून का दर नहीं देश के कानून तोडना जैसे देश वाशियो के  अधिकार है इसीलिये ट्राफिक नियम ज्यादातर लोग नहीं मानते.शुद्ध चीजे का अकाल है किसी को देशवाशियो की परवाह नहीं इसीलिये बीमारिया भी बढ़ रही.मिलावट और खास कर खाने के पदार्थो में तो विकसित देशो में सोचा भी नहीं जा सकता नहीं तो बहुत कठोर सजा मिलती जिससे दुसरे लोग डरे.देश वाशियो का बहुत ख्याल रखते.हम अमेरिका,लन्दन और बहुत से देशो पर गए जितना अनुशासन वहां है और लोगो को अपनी ज़िम्मेदारी का अहसास है देख कर सोचते कास हमारे देश वाशी भी ऐसे हो जाए.कोइ ट्राफिक नियम नहीं तोड़ता पुलिस बहुत इम्मंदर दोस्ताना,और कर्तव्यपालन करने वाली.कभी सरकारी सम्पति को नुक्सान नहीं पहुंचाते न बर्बाद करते पानी बिजली बेकार में बर्बाद नहीं करते और सफाई का बहुत ख्याल ट्रेन बस समाया से चलते.हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या बढ़ती आबादी परन्तु वोटो की राजनीती से इसपर कोइ ध्यान नहीं देता किसी सभ्य देश में ट्रेन के ऊपर बैठ कर चलने की कोइ सोच  भी सकता या बंद क्रासिंग के नीचे से निकल जाए.!उन देशो में सड़क पर थूकना पेशाब करना या ऑफिस की ईमारत को पान की पीक से ऊपर से नीच्घे तक गंदी करना हमारे ही देश में देखा जा सकता विकसित देशो में नहीं.बहुत से जगहों में ऊपर अपनी मकान से कूड़ा फेकना या चलती बस या रिक्शे कार विग्रह से थूक देना देश की गिरती मूल्यों और सामाजिक दहित्यो के प्रति उदासी का नतीजा है.जिस तरह लोग सड़को का अधिक्रमण कर लेते सरकारी और दुसरो की मकनोजगाहो पर जबरदस्ती कब्ज़े करने के शर्मनाक घटनाएं हमारे देश के लोगो के गिरते मूल्यों को दर्शाता है.हम लोग इतने मतलबी हो गए की अपने गलत लाभ के लिए दुसरो का नुक्सान करने में भी नहीं हिचकते .पहले गलत लोगो का समाज में इज्ज़त नहीं होती ऐसे लोगो को हीन भावना से देखा जाता लेकिन आज तो बहु बली धनवान और पद्वान की ही इज्ज़त है छाए वो कितना भी बेईमान क्यों न हो आज हमारी सोच बिलकुल बदल गयी हम केवल अपने ही बारे में सोचते दुसरो और समाज के बाद में नहीं आज १०% बदमाश इसलिए अपने कार्यो में सफल है की ९०% अच्छे लोग चुप रहते उनका विरोध नहीं करते सड़क में यदि किसी के साथ कोइ दुर्घटना हो जाए कोइ मदद करने नहीं आता क्योंकि मदद की भावना ख़त्म होती जा रही गुरगांव में एक नागरिक मोटर साइकिल से गिर गया सड़क पर एक घंटे पड़ा रहा किसी ने मदद नहीं की क्या हम मानवता खोते जा रहे ज्यादातर मामलो में जहाँ महिलाओ के साथ गलत कार्य होता बहुत से मामलो में लोग मदद करने नहीं आते क्या हम अपने दहित्व और मानवता को भूलते जा रहे.एक कारन है की पुलिस वाले नहुत परेशान करते जबकि विकसित देशो में लोग खुद पुलिस के पास घटना के बारे में बताने चले जाते क्योंकि पुलिस बहुत दोस्ताना व्यवहार करती.देश की राजनीती मुद्दों के ऊपर होनी चाइये लेकिन यहाँ अंग्रेजो वाली नीति फूट डालो राज करो वाली राजनीती जो कांग्रेस ने शुरू की अब भी चल रही और धर्म,जाती भाषा की राजनीती कर देश को कमज़ोर कर रही.भारतीय संस्कृति ने औरतो को बराबरी का अधिकार है इसीलिये उन्हें धर्मपत्नी कहा जाता और कोइ भी शुभ कार्य बिना पत्नी नहीं होता,साल में २ बार माता की पूजा करते और उन्हें सब अधिकार थे आज उसी देश में भ्रूण हत्या,दहेज़ के नाम पर या तो मोलतौल करना या औरतो को जला देना या निकाल देना शर्मनाक हो औरते आज अधिकार के नाम पर आन्दोलन करती आवाज़ उठाती और इसी वजह से घर बर्बाद हो रहे तलाक़ ज्यादा हो रहे जबकि दोनों के आपसी सूझ्समझ से घर स्वर्ग हो जाता है.ये समसाए हमारे देश और समाज को बर्बाद करने और अवनति के कारण है आज लोग भारतीय न हो कर चोटी चोटी जाती की तरह सोच कर देश की एकता को नुक्सान पहुंचा रहे,देश  को ग्संपन्न राष्ट्र बनाने और विश्व के अन्य विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में आने के लिए हमें अपने राष्ट्रीय और सामाजिक दायित्यो के बारे में बदलाव लाने की बहुत ज़रुरत है.

रमेश अग्रवाल कानपुर

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