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देश द्रोहियों को राष्ट्र कब तक बर्दाश्त करेगा ?

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम देश के प्रथम प्रधान मंत्री जवाहर लाल जी के नाम पर राजधानी में एक विश्वविद्यालय है जिसपर जनता का करोडो रुपया अनुदान के रूप में दिया जाता जिससे की विद्यार्थी उच्च शिक्षा प्राप्त कर राष्ट्र की सेवा कर सके परन्तु ये वाम पन्थियो की विचारधारा वाले कुछ लोगो का अड्डा बन गया जिसमे कुछ विद्यार्थी के साथ कुछ प्रोफ़ेसर भी है जी राष्ट्र को कमज़ोर करने और हिबंदु धर्म को बदनाम करने में लगे रहते है.कांग्रेस ने इनपर सत्ता की वजह से कोइ कार्यवाही नहीं की यहाँ राष्ट्र विरोधी कार्य होते रहते है पहले मुस्लिम करते थे अब दलित भी राजनीती करने के लिए शामिल हो गए.ये विश्वविद्यालय सेकुलरिज्म,राष्ट्र की संप्रभुता ,एकता पर आधारित है पहले यहाँ के विद्यार्थी संगठन माओ.लेनिन,और मार्क्स के नमो की जगह १बिर्स,फूले और आंबेडकर के नाम पर संगठन बन गए.याहन पर नाक्सालवाद और माओवादीओ के साथ हमदर्दी दिखाई जाती और उनके विचार धरा से सहानभूति रखते २०१० में जब छतीसगढ़ में नाक्सालियो से युद्ध करते ७५ सुरक्षा कर्मी मरे गए थे तब कुछ संगठनो ने खुशी मानी थी और कहा ऐसा कार्य लगातार होना चाइये.यहाँ पर महिषासुर को पूजा कर उसको महामंडित किया गया.जन हैदराबाद में रोहित वमुला ने आत्महत्या कर ली थी तो २९ जनवरी को jnu में याकूब मेनन के समर्थन में नारे लगे कैंडल मार्च निकाल कर विरोध जताया और जातिवाद पर हल्ला बोल,ब्राहमण पर हल्ला बोल हिंदुत्व और मनुवाद पर हल्ला बोल नारे लगाये.८ फरबरी को जब पूरा देश सियाचिन में मरने वाले ९ सैनको के बलिदान पर शोक मना  रहा था और लायक  हनुमंत्ता के स्वास्थ्य के लिए प्राथना कर रहे थे इस विश्वविद्यालय में कुछ संगठन vc से संस्कृति कार्यक्रम के नाम पर इज़ाज़त ले आये परन्तु पोस्टर और पर्चो द्वारा पुरे जगह सूचना भेजी की संसद पर आक्रमण करने वाले अफज़ल गुरु की फांसी की बरसी पर और JKLF के मकबूल भट्ट के समर्थन में सभा का आयोजन किया गया है.जब इसका ज्ञान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् को हुआ तो उन्होंने VC को लिख कर इस पर आपति की जिसके बाद इज़ाज़त निरस्त कर दी गयी लेकिन कार्य क्रम हुआ तब ABVP के लोगो ने VC ऑफिस के सामने धरना दिया तब एक कमेटी पुरे मामले की जांच के लिए बनाई बीजेपी के संसद महेश गिरी ने पुलिस में रेपिर्ट लिखाई और ABVP के सदस्य राजनाथ सिंह जी और श्री मती स्मृति इरानी से मिलकर ऐसे लोगो को सजा दिलाने की सिफारिश करने का आग्रह किया.ये सभा साबरमती डाबा  में की गयी थी इसका वीडियो टीवी के सभी चैनलों में द्दिखाए गए इसमें अफज़ल गुरु और भट्ट को शहीद बना कर न्यायपालिका पर सवाल उठए की ये JUDICIAL   KILLING थी,श्रधांजलि दी गयी  और जो नारे लगाये गए वे किशी भी स्वाभिमान राष्ट्र के लिए शर्मनाक घटना है.कुछ नारे थे,”हम क्या चाहे आजादी,लड़ के लेंगे आजादी ,कश्मीर  की आजादी तक जंग चलेगी,भारत की बर्बादी तक जंग चलेगी ,कश्मीरियो के अलगाव्वाडियो की जनमत गर्णना  का समर्थन किया घर घर अफज़ल गुरु होंगे तुम एक मारोगे सैकड़ो पैदा होंगे..पकिस्तान जिंदाबाद और हिन्दुस्तान मुर्दाबाद के नारे लगे और इसके बाद ही पाकिस्तान के  हाफ़िज़ सईद ने ट्वीट करके इन लोगो को समर्थन और धन्य वाद दिया.वीडियो में जैसा कश्मीर में अलगाव वादी या पकिस्तान में हफीज सईद भारत के खिलाफ आग उगलता और प्रदर्शन करता बिलकुल वैसा ही द्रश्य था.हमारे देश में जहाँ कुछ लोग वन्दे मातरम का विरोध करते वही अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर ऐसे राष्ट्र विरोधी क्रेत्य कहा तक जायज है.इसी तरह की एक सभा जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने श्रीनगर में की थी जिसमे दोनों शहीदों को श्रधान्जली देकर देश विरोधी नारे लगते देश की न्यायप्रणाली पर सवाल हुताए !ये वाम दल देश विरोधी १९६२ में चाइना का समर्थन किया और १९७५ में आपतिकाल का हमेश देश को तोधने और आर्जकता फ़ैलाने का कार्य करते.रहते देश में दिमाग रूस और चाइना में.इनकी विचारधारा  हिन्दू विरोधी परन्तु कांग्रेस सत्ता के लिए इनके साथ रहती इसीलिये इस विश्वविद्यालय में राष्ट्र विरोधी कार्यो के खिलाफ कोइ कार्यवाही नहीं की.ये लोग कभी आतंकवाद से मरने वाले नागरिको,देश की रक्षा में मरने वाले सैनको या नक्सालियो से मरने वाले नागरिको या सुरक्षा कर्मिओ से सहानभूति करने कभी नहीं जाते क्योंकि इनका दिल पकिस्तान में लगा .रहता.टीवी डिबेट में भी इन आय्जको ने कोइ अफ़सोस नहीं दिखया बल्कि अभ्वय्क्ति की आजादी के नाम पर सही ठहराया !इसके पहले हैदराबाद में रोहित की आत्महत्या पर भी सेक्युलर नेताओ ने राजनीती करके दलित कार्ड खेला जबकि वहां भी याकूब मेनन की फांसी का विरोध,हुआ था उसके लिए नवाज़ पढी गयी थी और कहा था एक याकूब मरोगे १०० पैदा होंगे और हिन्दूओ की चिड़ाने और आहात करने के लिए बीफ पार्टी का आयोजन भी करते थे.क्या विश्वविद्यालय पढने के लिए है या फिर राष्ट्र विरोधी कार्यो के लिए राहुल गांधी ने रोहित की तुलना गांधी जी से कर के अपना मानसिक दिवालापन दिखया.इसी तरह केजरीवाल भी गए लेकिन जब हिन्दू मारे जाते या JNU में जो हो रहा उसकी किसी भी सेक्युलर नेता ने निंदा नहीं की ये नेता कुर्सी के लिए देश बेच सकते.ऐसी घटना १० फरवरी को प्रेस क्लब दिल्ली में हुई वहां पर एक सभा अफ्ज़ल्गुरु को श्रधान्जली देने के लिए हुई जिसमे उसे शीद बताया गया और पकिस्तान जिंदा बाद हिन्दुस्थान मुर्दाबाद के नारे लगाये गए.इसकी भी पुलिस जांच कर रही है.एक तरफ देश पकिस्तान के  आतंकवाद से लड़ रहा और उससे आतंकवाद को ख़तम करने को कह रहा वही देश में राजधानी में यदि ऐसी हरकते हो तो देश के नेता कैसे महसूस करेंगे.जो विद्यार्थी अम्बेडकर जी के नाम पर अफज़ल गुरु का महामंडित कर रहे वे उनके द्वारा बनाये सविधान का अपमान कर रहे क्योंक लोकतंत्र के मंदिर संसद में हमला हुआ था,देश के खिलाफ बोलना,लिखना,राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करना देश द्रोह है और उम्मीद है सरकार आरोपियों पर कठोर कार्यवाही करेगी नहीं तो देश के अन्य विश्वविद्यालय में ये राजनीती फ़ैल जायेगी जिसपर नियंत्रण करना मुस्किल हो जाएगा.क्या ये कुछ आरजक गूँडे जो देश की न्यायपालिका पर सवाल खड़े कर  रहे क्या  वे इस काबिल है ऐसे लोगो की जांच होनी चाइये की कही उनके सम्बन्ध ISIS या अन्य किसी आतंकवादी संगठन से तो  नहीं है.देश के स्वाभीमान के लिए ऐसे लोगो के खिलाफ राष्ट्र द्रोह का मुक़दमा दर्ज होना चाइये जो दुसरो को सख्त सन्देश दे सके.

रमेश अग्रवाल,कानपुर

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