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राष्ट्र द्रोह का समर्थन क्या शहीदों और सैनिको का अपमान नहीं

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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Cbux2XlVAAAhMd6जय श्री राम आज हमारे देश में  जिसतरह JNU की घटनाओं में देश दो भागो में बंट गया है वह बहुत ही शर्मनाक स्थित है और इससे पूरा विश्व हमपर हंस रहा जबकि पकिस्तान औत आतंकी सगठन खुश है की उनके समर्थक देश में है.जबसे मोदीजी प्रधान मंत्रीबने और सरकार ने राष्ट्र हित में फैसले लेने शुरू किये तबसे सेकुलर नेताओ,बुद्दिजीवियो की नीद उड़ गयी कांग्रेस तो इतनी बौखला गयी की दलित  मुस्लिमो की राजनीती कर के देश को बाटने की कोशिश कर रही गंध्गी परिवार की मानसिकता है की देश में राज्य करने का अधिकार केवल उनको ही है और हार जाने से वे सरकार को बदनाम करने में किसी हद तक जा सकते.कोइ भी स्वाभीमान राष्ट्र अपनी भूमि पर खास कर विश्वविद्यालयो में राष्ट्र की स्वाभिमानता के खिलाफ हरकते और गतिबिधियो को सहन नहीं कर सकता.उम्मीद थी की JNU में आतंकवादी अफज़ल गुरु को शहीद बना कर महामंडित करने और भारत के टुकड़े करने तक जंग जारी रहेगी ऐसे देश विरोधी नरो की सभी राजनैतिक दल निंदा करेंगे लेकिन हमारा देश माहन जहां कुर्सी के लालची नेता ऐसे विद्यार्थियो का समर्थन करने JNU पहुँच कर समर्थन करना शर्मशार था इसके पीछे बहुत बड़ी विदेशी साजिस लगती है.याद होना चाइये की सोनिया  से मिलने के बाद राष्ट्रपति ओबामा ने अल्पसंख्यको ले कर पहले देश में और फिर अपने याह भी पादरिओ की उपस्थित में जो बयान दिया वो दर्शाता है की चर्च सोनिया के हारने से दुखी है और देश की सरकार को बदनाम करने का हर संभव साजिस में लगा है इसी तरह जब मोदीजी ने देश को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की स्थाई सदस्यता के लिए प्रयासरत है जिसे पकिस्तान पसंद नहीं करता तो उसको खुश करने के लिए सऊदी अरब देश में अरबो रु दाल कर सरकार के विरुद्ध मीडिया को खरीद कर प्रचार कर रहा .चर्च में चोरी की घटनाओ को लेकर इसईयो पर हमला की अफवाह उड़ना और फिर इंग्लिश मीडिया और कुछ टीवी चैनलों और  बुद्धिजीविओ द्वारा अचानक असहिष्णुता का मुद्दा बिहार चुनाव तक उठाना एक सोची समझी साजिस के तहत किया गया था.इस प्रचार को कांग्रेस और चर्च ने विदेशो में उठा कर वह मीडिया में उछाला जिसके तहत प्रधान मंत्री से ब्रिटिश यात्रा के समय एक पत्रकार ने सवाल उठाया था.सेकुलर नेता कुछ बुद्धिजीवी लेखक जो वामदलों और कांग्रेस की विचारधारा से जुड़े है और इंग्लिश मीडिया और टीवी चैनेल अपनी दूकान चलने और मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए इन राष्ट्र विरोधियो का साथ दे रहे क्या अमेरिका या ब्रिटेन या पच्छिम के किसी देश में विद्यार्थियो को राष्ट्र को बाटने वाले नारे की इज़ाज़त दी जा सकती थी.अभिव्यक्ति की आजादी के साथ उसमे कुछ सय्यम भी होना चैये.JNU शुरू से ही वाम  विचारधारा वालो के कब्ज़े में रहा और वहां के प्रोफ़ेसर भी नाक्साल्वाद और माओवाद के समर्थक रहे .इसीलिये वहां राष्ट्र विरोधी कार्य होते रहे प्रशाशन आँख मूड लेता और विद्यार्थी अपनी मनमानी करते रहे.२०१३ में जब दंदेवाडा(छतीसगढ़ ) में ७६ CRPF के जवान नक्सालियो से लड़ते मारे गए तो इसकी खुशी में JNU में जसं मनाया गया २००० में कारगिल युद्ध के बाद एक भारत पकिस्तान मुशाहरा का आयोजन किया जिसमे कारगिल में युद्ध में शामिल २  अफसर माजर के.के शर्मा और माजर एल के शर्मा भी आये थे जब एक पाकिस्तान शायर ने देश के विरुद्ध  कुछ कहा तो इन अफसरों ने विरोध किया जिसपर JNU के छात्रों ने इन दोनों को बुरे  तरह मारा जिससे उन्हें अस्पताल में भारती करवाना पड़ा ये मामला संसद में उठा रक्षा मंत्री जार्ज फर्नाडिस इन अफसरों को देखने हस्पताल गए लेकिन प्रोफेसरों और विद्यार्थियो के विरोध के कारण कोइ कार्यवाही नहीं हुई जिसके वजह से आज खुले आम आतंकी अफज़ल गुरु को शाही बताया गया उसकी बरसी मानी गयी देश को तोड़ने तक,कश्मीर की आज़ादी तक जंग रहेगी नारे लगाये गए और जब ABVP ने विरोद्झ किया पुलिस में शिकायत हुई और देश में विरोध हुआ टीवी में दिखया गया पुलिस ने छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया को गिरफ्तार करके उसकेऊपर  देश द्रोह के आरोप लगा कर अदालत में पेश किया जहाँ उसे जेल में भेज दिया.जब मामला अदालत में है तो नेता,बुद्धिजीवी,टीवी वाले पत्रकार पुलिस कार्यवाही को गलत और अध्यक्ष कोंनिर्दोश क्यों कह रहे क्यों नहीं अदालत का फैसला आने का इंतज़ार कर रहे पूरा देश २ भागो में बट गया एक JNU के विधय्र्थियो के समर्थन और दूसरा देश के पक्ष में पुरे देश और दिल्ली और देश के दुसरे भागो में प्रदर्शन हो रहे.केजरीवाल,राहुल गाँधी,नितीश,लालूम्मामता का JNU के विद्यार्थियों के साथ्जा कर समर्थन देना सस्ती लोकप्रियता और राजनीती के साथ दर्शाता की ये नेता कुर्सी के लिए देश को भी बेच सकते है.इंग्लिश मीडिया और कुछ टीवी चनेलो का रविया भी बहुत इन नेताओ की तरह है केजरीवाल ने देश के दुसरे हिस्सो से अपने लोगो को प्रदर्शन के लिए बुलवाया आज इन हरकतों से देश के पूर्व सैनिक बहुत दुखी और देश की रक्षा ,एकता और स्वाभीमान के लिए मार्च निकाल रहे लेकिन टीवी चैनल इसे नहीं दिखाते !.मुम्बई आईआईटी ,के प्रूफेसर भी JNU छात्रों के समर्थन में आ गए.पुलिस ने १० छात्रों के नाम जरी किये जो ओं हरकतों में लिप्त थे और उनकी तलाश जारी है.इन राष्ट्र विरोधी हरकतों का मास्टरमाइंड का नाम उम्र खालिद है जो भाग गया और पुलिस ने उसके और ३ अन्य के खिलाफ लुकआउट नोटिस जरी कर दिया इस खालिद का कश्मीरी अलगाव्वाडियो के अलावा बांग्लादेश,पकिस्तान और UAE के साथ पिछले कई दिनों बहुत बार बात हुई नेता और कुछ मीडिया के लोग कह रहे की कुलपति को अपना कार्य करना चाइये और पुलिस नहीं बुलाना चैये तो फिर इतने सालो से क्यों कुछ नहीं हुआ इन्हें रोकने के लिए.यदि ऐसा था तो जादवपुर विश्वविद्यालय में ऐसी राष्ट्रविरोधी हरकतों में कुलपति ने क्या किया और मुख्य मंत्री क्यों चुप? असल में दलित लोग क्यों आतंकवादियो का समर्थान्कारने लगे और हमारी न्यायपालिका पर सवाल उठाने लगे कहते है अफज़ल गुरु की फंसी न्यायिक हत्या है तो क्या न्यायपालिका ऐसे आराजक तत्वों के कहने से चलेगी.देश आज २ भागो में बाँट गया क्या ये अच्छा है आज जो देश द्रोह के अपराध में पकड़ने वालो को गलत बना रहे की ये अभिवक्ति की आजादी के खिलाफ है तो ऐसे ५८ मामले पुरे देश में २०१४ में दर्ज किये गए जिसमे सबसे ज्यादा २८ मामले बिहार में हुए फिर नितीश या दुसरे नेता क्यों विरोध कर रहे.इस घटना का जितना उछाला गया जिसके फलस्वरूप विश्व के ४०० लेखको ने JNU के समर्थन में हस्ताक्षर किये और ब्रिटेन के ८ विश्वविद्यालय ने समर्थन किया इससे लगता की विदेशी साजिस है.विश्वविद्यालय जिसमे सरकार जनता का अरबो रु खर्च करती पढने के लिए न की राष्ट्र विरोधी हरकतों के लिए .बेशर्मी इतनी की राष्ट्रपति से कांग्रेस नेता राहुल के साथ और केजरीवाल JNU के समर्थन में शिकायत की.JNU में सरकार हर विद्यार्थी पर ३ लाख रु खर्च करती १५ विद्यार्थियो पर एक प्रोफेस्सर ,कमरे का किराया रु ११/माह और फीस रु २१९/वर्ष और १९९० में ११ हॉस्टल थे अब २२ हो गए.खालिद कश्मीर अलगाव्वाडियो को भी ला कर ठहराता था.ऐसे लोगो की वकालत क्या  जहिज़ है.?खालिद हाल में पकिस्तान भी गया था और गृह मंत्री के अनुसार इन कार्यवाहियो में पकिस्तान के हफीज सईद का भी समर्थन है जब पूरा देश नवदुर्गा मनाता JNU में महिसासुर का महामंडन किया  जाता और बीफ पार्टी होती है.ये कौन सी शैषिक कार्यक्रम है.पटियाला अदालत में वकीलों की किसी पत्रकार से झड़प हो गयी और एक बीजेपी के विधयक से कहासुनी JNU के समर्थको के साथ! बस सेकुलर मीडियाको  ने इस घटना को इतना उछाला की राष्ट्र विरोध पीछे रह गया.शिक्षा मंत्री ने केंद्रीय विद्यालयों के साथ मीटिंग कर के ये प्रस्ताव पारित किया की इन में हर दिन राष्ट्रीय ध्वज केंद्रीय जगह पर फहराया जाएगा शर्मनाक की इसकी भी कुछ नेताओ ने आलोचना की .इन हरकतों ने दिखा दिया की कुछ नेता अपनी कुर्सी के लिए किसी हद तक जा सकते है उन्हें देश के हित की परवाह नहीं और मीडिया का एक भाग हमेश भारतीयता म्नोदी और बीजेपी का विरोधी रहा जिसमे इंग्लिश मीडिया,आजतक,एबीपी न्यूज़ के साथ राजदीप सरदेसाई,बरखा डाटा,कारन थापर ऐसे लोग है जो कांग्रेस के पिट्टू है सैनको का देश की एकता का मार्च नहीं दिखया गया.देशवाशियो को विश्वविद्यालय आराजकता और राष्ट्र विरोधियो का अड्डा न बने इसके लिए सरकार का समर्थन और सोशल मीडिया द्वारा देना चाइये.देश सर्वोपरि है और हमें सैनको और स्वतंत्रता सेनानियो के वलिदान को नहीं भूलना चाइये !  (सेना के तीनो अंगो के पूर्व सैनिको  द्वारा दिल्ली में देश की अखंडता और स्वाभीमान के लिए जलूस )

रमेश अग्रवाल कानपुर

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