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जय श्री राम
हॉल के दिनों में विरोधियो ने दो मुद्दों हैदराबाद के छात्र रोहित की आत्म्हातुया और जे एन यू में राष्ट्र विरोधी हरकतों में छात्रों की गिरफ्तारी और देश द्रोह के मुक़दमे को उठाकर सरकार और खास कर शिक्षा मंत्री स्मृति इरानी को घेरने की कोशिश की परन्तु जिस साहस और लिखित दस्तवेज के जरिये मंत्री जी ने जवाब दिया उससे सबकी बोलती बंद हो गयी और अब खिसिया कर अवमानना का प्रसाव राज्य सभा में लेन की कोशिश कर रहे है क्योंकि राज्य सभा में विरोधियो का बहुमत है.आज सारे विरोधी दल मोदी और सरकार के विरोध में सभी नीतिया और मुद्दों को भूल एक झूट हो गए और इसके लिए राष्ट्र के स्वाभीमान को भी भूल गए.जहां हमारे सैनिक देश की सुरक्षा और तिरंगे के लिए अपनी जान दे देते वही शर्म आती जब कुर्सी के लालची नेता संसद पर हमले की साजिस में शामिल आतंकवादी अफज़ल गुरु को महामंडित करने और भारत के टुकड़े तक जंग रहेगी जंग रहेगी ऐसे आपतिजनक नारो की निंदा न कर उनके समर्थन में आ गए.हैदराबाद में कुछ विद्यार्थियो ने आतंकवादी याकूब मेनन जिसे सर्वोच्चं न्यायालय ने फांसी दी थी उसके विरोध में धरना दिया नवाज़ पढी और कहा की घर घर मेनन पैदा होंगे क्या देश वाशी विश्वविधालयो में ऐसी बाते सुनना पसंद करेंगे और क्या विश्वविद्यालय इन हरकतों के लिए बनाये जाते फिर ये कार्यक्रम अम्बेडकर दलित फोरम द्वारा आयोजित किया गया दल्तो को आतंकवादियो से सहन्न्भूति कैसे होने लगी?इस कार्य क्रम का दुसरे विद्यार्थी संगठनो ने विरोध किया तो आपस में झगडा हुआ कांग्रेस के सांसद हनुमंता राय और बीजेपी के दत्रात्रेय न शिक्षामंत्री को पत्र लिख कर विश्वविद्यालय को राष्ट्र विरोधी कार्यो से बचने की अपील की जिसपर कुलपति से कार्यवाही करने को कहा कुलपति पिछली सरकार द्वारा नियुक्त किये गए थे और्व जिस कमेटी ने रोहित हे साथ ही हच विद्यार्थियो की निलंबित करने की व्सिफरिश की उनमे दलित भी थे.रोहित ने अपने आत्महत्या के बारे में जो निते छोड़ा उसमे कहा की इसके लिए कोइ ज़िम्मेदार नहीं है लेकिन लाशो पर राजनीती करने वाले नेता राहुल,केजरीवाल,वाम दल के वहां पहुंचे और राजनीती करना शुरू किया.तेलंगना में ६०० छात्र आन्दोलन में मरे कोइ नहीं गया राहुल हैदराबाद में २ बार गए.स्मृति ने कहा को अब भी बहुत से कुलपति पिछली सरकार के चुने है पीचिये की क्या किसी को भगवाकरण के लिए कहा.तेलंगना पुलिस की रिपोर्ट है की रोहित को मरने के बाद किसी को वहां नहीं जाने दिया ए उसकी बॉडी दुसरे दिन सुभाह निकली गयी किशी डाक्टर ने उसे रेविवे की कोशिश नहीं की न ही हस्पताल भेजने का प्रयास किया गया बाद में पता चला की रोहित दलित नहीं था.इस विश्वविद्यालय में इसके पहले भी कई छात्रों ने आत्महत्याए की और देश के दुसरे विश्वविद्यालय में होती परन्तु इसी मामले को क्यों इतनाउठाया गया?इसके पीछे शुद्ध राजनीती है .मंत्रीजी ने यह भी कहा की उनपर अमेठी से चुनाव लड़ने की सजा कांग्रेस दे रही लेकिन् वह डरने वाली नहीं.उन्होंने कहा की उनके पास हजारो पत्र्रा आती वे बिना =जाती धर्म देखे बिना निपटारा करती .वैसे अब विरोधी रोहित की माँ का राजनातिक उपयोग कर सरकार के खिलाफ व्यान्बाज़ी करवा रहे है.उन्होंने कहा की उन्हें विरोधी सांसदों के पत्र भी मिलते और बिना भेदभाव वे फैसला लेती उन्होंने सव कुलपतियो से कहा की सबकी सुने और फैसला ले.विरोधो के कहने पर कहा की मई माफी नहीं मांगूगी क्योंकि कुछ गलत नहीं किया लोकसभा में तो कांग्रेस बिना जवाब सुने बहिस्कार कर गयी.
JNU में उन्होंने विस्तार से बताया की वहां अफज़ल गुरु की बरसी पिछले ३ साल से मानी जाती जब देश में दुर्गा पूजा होती तो वहां महिसासुर महिमामंडित का उत्सव मान्य जाता माँ दुर्गा के प्रति बहुत भद्दी भाषा का प्रयोग किया जाता और महिसासुर को दलित बता कर ब्राह्मणों की निंदा की जाती.वहां २०१३ में छतीसगढ़ में नाक्सलो जे हाथ जब ७६ CRPF के जवान मरे गए तो खुशी मानी गयी और उनकी इन कार्यक्रमों को वाम पंथी प्रोफेस्सर भी समर्थन के साथ उत्साहवर्धन करते है.२००९ में भी पुलिस घुसी थी और छात्रों को पकड़ा था तब कोइ नहीं बोला.आगे कहा की सत्ता तो इंदिरा गांधी ने भी खोई थी लेकिन उनके लडको ने भारत की बर्बादी का समर्थन नहीं किया.उम्र खालिद ने कुलपति से कविता पाठ संस्कृत कार्यक्रम के लिए इज़ाज़त मागी जो ५-७ बजे तकम मिल गयी थी लेकिन पोस्टर और पर्चे अफज़ल गुरु और मकबूल भट्ट की समर्थन में बाते गए जब अब्व्प ने कुलपति से शिकायत की तब इज़ाज़त मन कर दी गयी लेकिन कार्यक्रम हुआ और जैसे शर्म्पूर्ण नारे देश के विरुद्ध और कश्मीर की आजादी के लिए लगाये गए वे किशी भी स्वाभीमान देश्वशी का खून खुला दे लेकिन शर्म की राहुल गांधी केजरीवाल,वाम डालू और जद(यू) के नेता विद्यार्थियो के समर्थन में गए.ये लोग कुर्सी के लिए देश भी बेच दे .स्मृति ने सिक्यूरिटी की एक रिपोर्ट दिखाई की वहां भीड़ बढ़ती गयी नारे लगते रहे और मार पीट की नौबत आ गयी और उम्र खालिद और दुसरे नारे लगा रहे थे.JNU के टीचर्स ने मामले की जांच करके ऐसे कार्यक्रम की निंदा करते ७ विद्यार्थियो को निलंबित करने लेकिन होस्टल में रहने की सिफारिश की शिक्षा मंत्री ने बत या किस तरह तीस्ता सीतलवाद की लिखी एक किताब में बच्चों (कक्षा ४) को कन्याकुमारी में हिन्दू ईसाई दंगो ,कश्मीर की आजादी की जारी लडाई अदि पढ़ा कर बच्चो के दिमाग प्रदूषित करने का प्रयत्न था JNU में इंदिरा गांधी का भी विरोध किया गए और २००० में कारगिल में लड़ने वाले २ सेना के अफसरों को मारा गया जब एक मुशायरे में पाकिस्तानी शायर द्वारा देश के खिलाफ कहने पर विरोध किया था,!अटल जी कहा था की भारत ज़मीन का टुकड़ा न होकर जीता जगता राष्ट्र है जहां हम पैदा हो कर बढे हुए और मरने पर गंगाजी में रख बहाई जाती है.JNU के मामले में विरोधी एक हो गए उसी तरह इंग्लिश मीडिया, राजदीप,बरखा दत्ता कारन थापर कुछ टीवी चानेल और बुद्दिजीवी जिस तरह समर्थन कर रहे और बेशर्मी से टीवी पर समर्थन दे रहे देश भक्तो के साथ सैनिको और पूर्व सैनिक बहुत आहात है बिहार में JNU और कन्हैया के समर्थन में रेल रोकी गयी प्रदेश सरकार समर्थान करती रही २०१४ में ही २८ और झारखण्ड में १४ मामले देश द्रोह के दर्ज हुए.जन कन्हैया लाल और अन्य के मामले अदालत में है उसपर विरोध क्यों.अफज़ल की फांसी को न्यायिक हत्या पर इरानी ने कहा की जिस अदालतों की लोग आलोचना कर रहे और जिन राष्ट्र पति ने भी सजा माफ़ से इनकार किया उन्ही अदालत से जमानत और राष्ट्र पति से शिकायत कर न्याय मागने आप लोग गए यही हमारी लोकतंत्र की ख़ूबसूरती है ऐसा ही जवाब राज्य सभा में था जहाँ मायावती और स्मृति के बीच गरणबहस हुई जहां मायावती कुछ सुनने को तैयार नहीं और एक दिन कार्यवाही स्थगित करनी पडी थी वे स्मृति इरानी और बीजेपी संसद का इस्तीफ़ा और जांच कमेटी में दलित को शामिल करने की बात कह रही थी जबकि उसमे दलित है.महिसासुर को मायावती दकित बता कर ये सिद्ध करना चाहती की उसे एक साजिस के तहत ब्राह्मणों ने माँ दुर्गा से छल से मरवाया जो बाते JNU में माँ दुर्गा के लिए कहे गए हम यहाँ लिखने की हिम्मत नहीं कर सकते.क्या अपराधी भी जाती के नाम से पहचाने जायेंगे यदि ऐसा हुआ तो मुसलमान आतंकोई पर पकड़ने पर हल्ला मचाएगे मायावती और विरोद्घी अपने राजनैतिक हित साधने के लिए देश को विभासित करने में लगे है जिसका विरोध होना चाहिए !रमेश अग्रवाल ,कानपूर
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