Menu
blogid : 18237 postid : 1143909

मोदी विरोधियो का नया मोहरा -कन्हैया कुमार

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
  • 366 Posts
  • 488 Comments

जय श्री राम             २१ दिन में हमारे देश ने सेक्युलर नेताओ को एक नया तारनहार उनकी नैया को पार करने की आशा में खुशी  ला दी.!देश की आज़ादी के बाद नेहरूजी ने शिक्षा की बागडोर वाम विचार धरा वाले लोगो के हाथ में सौप दी जिन्होंने देश की शिक्षा और इतिहास से मनमानी तरह से छेड़छाड़ कर भारतीय  इतिहास के गौरव्पूर्ण इतिहास को विकृत करके लार्ड मैकाले से भी आगे निकल गए और ऐसा इतिहास लिख जिसमे भगत सिंह जी को भी आतंकवादी तक घोषित, मुसलमानों और अंग्रेजो से लड़ने वाले हमारे वीर नेताओ  की प्रशंसा न करके आक्रमंकरियो का ही महामंडित किया.वाम विचार धरा लेनिन माओ से प्रभीवित थी और इन्होने देश की शिक्षा को ऐसा प्रदर्शित किया जिससे बच्चो को प्राचीन संस्कृत और धर्म से नफरत हो जाए और राष्ट्र भक्ति इनके लिए कोइ मायने नहीं रखती थी इसीलिये ज्यादातर विश्वविद्यालय में जहाँ इनका प्रभाव रहा विद्यार्थियो में अबिवाक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर राष्ट्र विरोधी कार्यवाही होती रही और सत्ता की लालची कांग्रेस चुप चाप सहती रही.९ फरबरी को जे.एन.यू में कविता पाठ के नाम पर संस्कृत कार्यक्रम का आयोजन करने की प्रशाशन से स्वीकृत ली लेकिन पर्चो और पोस्टरों पर संसद हमले बे शामिल अफज़ल गुरु जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने फांसी दे दी थीउसकी वारसी और शाही दिवस के रूप में मानाने का आयोजन था जिसकी शिकायत ABVP ने प्रशसन से की जिसपर स्वीकृत वापस ले ली गयी फिर भी वहां कार्य क्रम कुआ और जिसतरह के नारे लगाये गए वे बहुत ही शर्मनाक थे और  कोइ भी राष्ट्र भक्त उसे बर्तास्त नहीं कर सकता इस पर पुलिस ने JNU के विद्यार्थी संघ के अध्यक्ष को गिरफ्तार करा किसे बाद में तिहर जेल भेज दिया गया और ४ मार्च को उसे हाई कोर्ट ने सशर्त जमानत दी लेकिन देश में मोदी विरोधी नेताओं ,मीडिया और बुद्धिजीविओ ने कन्हिया के मामले में बिना अदालती आदेश की परवाह किये मोदी जी और सरकार पर हमला करके कन्हिया का पक्ष लेना शुरू किया और विश्वविद्यालय की स्वायत्त पर हमले का आरोप लगते कन्हैया और राष्ट्र विरोधी नारों और अफज़ल गुरु की वरसी की भी निंदा नहीं की जो बहुत ही दुखद है विश्व का कोइ भी देश ऐसे कृत्य को सहन नहीं कर सकता अमेरिला ने लादेन को मारा किसी ने नहीं कहा की सरकार ने गलत किया या उसके समर्थन में किसी विश्वविद्यालय में नारे लगे अब देश में सेक्युलर नेताओ,मीडिया और बुद्धिजीविओ का केवल एक काम रह गया मोदी विरोध .अफज़ल के मामले में कहा गया की ये जुडिशल किल्लिंग (न्यायिक हत्या)जो हमारी न्यायालय का अपमान है लेकिन २१ दिनों के अन्दर जितना समर्थन राहुल गाँधी,नितीश कुमार,वाम दलों,केजरीवाल लालू यादव ,इंग्लिश मीडिया इंडिया टुडे कुछ टीवी चैनलों ने दिया उसे २१ दिन में देश का मोदी  विरोधी सबसे बड़ा नेता बना दिया.पत्रकारों राजदीप बरखा दत्ता,करन थापर ने दिन रात यही खबर दिखाई उसके भाषण का लाइव टेलीकास्ट दिखया और इसतरह प्रसारित किया जैसे एक नया अवतार मोदी जी को हराने के लिए मिल गया जमानत देते वक़्त उसको कहा गया था की तुम लोग इसलिए संभव है की देश के सैनिक कठिन परिस्तिथि सियाचिन और कच्छ के रान पर देश की रक्षा करते अपनी जान दे रहे.विश्वविद्यालय में राष्ट्र विरोधी हरकते न हो इसकी ज़िम्तुम्हारी है .इंडिया टुडे ने जज के विरुद्ध एक बहस शुरू की जिसमे पूर्व न्यायादीश अशोक गांगुली और प्रशांतभूषण ने जज की निंदा की की उन्होंने देश भक्ति का पाठ क्यों बतया कहा की ये फैसला नहीं राजनैतिक सन्देश है.ये बुद्धीजीवी अब देश की न्यायायिक व्यवस्था पर भी चोट पहुंचा रहे है.याद होगा की हैदराबाद में रोहित की आत्महत्या पर इन्ही लोगो ने हल्ला मचाया था परन्तु उसने भी आतंकवादी याकूब मेनन की फंसी का विरोध किया और उसके समर्थन में नारे लगे थे.इसी तरह बंगाल में जादवपुर विश्वविद्यालय में भी यही हॉल था क्या जनता का पैसा इन विश्वविद्यालयो को इसलिए दिया जाता की वहां पढाई की जगह आतंकवादियो का समर्थन और राष्ट्र के खिलाफ विद्रोह किया जाए.जमानत में छूटने ने बाद कन्हैया का विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा ऐसा सम्मान किया जैसे कोइ बहुत बड़ा युद्ध जीत कर आया.उसने मोदीजी आरएसएस बीजेपी सरकार के खिलाफ हमला बोला कहा सरकार एक पोस्ट ऑफिस से चल रही.हमारी लडाई भुख्मारी,जातिवाद,असामनता के खिलाफ है जो jnu से लड़ी जायेगी. ऐसे भाषण बहुत लोग देते क्या वे सभी सफल होते इसके पीछे नेताओ खास कर वाम डालो का हाथ है जो मोदीजी की जीत सहन नहीं सह सके.वाम दल अपने ३५ साल के शासन में देश का कल्याण नहीं कर पाए देश का क्या करेंगे ये केवल संघर्ष और विद्वेष फैलाते रहेंगे .कन्हैया तो ऐसे बोल रहा था जैसे देश की सारी सम्सयाये मोदीजी द्वारा खडी की गयी पूजीवाद,मनुवाद के खिलाफ ज़हर उगला लेकिन वाम विचार धरा के खिला एक भी शब्द नहीं ऐसे सुनहरे नारों से कोइ नेता नहीं बनता एक बुलबुला है जल्दी  ओझल हो जाएगा.सीताराम येचूरी ने तो उसे पच्च्मी बंगाल में उनका प्रचार करने को कहा दिया.देश में जो हुआ उससे विदेशो में बदनामी हुई और अमेरिका और ब्रिटेन के कई विश्वविद्यालय ने jnu के विधायार्थियो का समर्थन किया जो केवल मोदीजी को बदनाम करने के लिए बुद्दिजीवियो की साजिस है.कन्हिया ने अपने भाषण में वही कहा जो सेक्युलर कहते जैसे घर वापसी,लव जिहाद बीफ, गाय !jnu में राष्ट्र विरोधी मानसिकता का पाठ प्रोफेस्सर भी पढ़ाते है एक निवेदिता मेनन रोज़ प्रशाशनिक खंड के बहार राष्ट्र वाद की पाठशाला में कहती की भारत ने कश्मीर में जबरन कब्ज़ा कर लिया  और विश्व के कई देश कश्मीर को भारत में नहीं दिखाते.एक प्रोफ़ेसर आदित्य मुकर्जी जज के फैसले पर कहते की विद्यार्थियो के मामले में आर्मी का ज़िक्र क्यों ?जब कन्हैया भाषण कर रहा था छतीसगढ़  के सुकुमो में हमारे सुरक्षा सैनिक अपनी जान दे रहे थे.आज जैसे jnu में कश्मीर की आज़ादी की मांग कर रहे कल नागालैंड,अरुणाचल की आजादी की मांग करते कहेंगे की जो प्रदेश अलग होना चाहे उनको भी दे दी जाये ये देश को विघटन करने का जेहाडियो और वाम दलों की सोच हो सकती परन्तु ज्यादातर भारतीय इसके पक्ष में नहीं है.इस पुरे प्रकरण में दिलचस्प मामले भी आये.कन्हैया के भाषण से खुश  हो कर कमाल रशीद खान (KRK)ने  २ लाख की घोषणा कर दी.ऐसे ही एक बीजेपी के नेता ने कन्हैया की जीभ काटने पर ५ लाख की घोषणा की जिसे दल से निकाल दिया एक संगठन ने उसको गोली मारने वाले को ११ लाख के ईनाम की घोषणा की !मुम्बई में एक बहुत बड़ा प्रदर्शन कन्हैया के विरोध में हुआ अब देश में ऐसे ही ओप्रदर्शन पक्ष विपक्ष में होंते रहेगे जो सर्कार को अपने अजेंडे से भटकाने के लिए है लेकिन कुछ फर्क नहीं पड़ेगा.हमारे देश के नेता कितने गिरे हुए है की JNU के छात्रों के राष्ट्र विरोध का समर्थन करते रहे परन्तु नक्साल्वाडियो से मरने वाले सैनिको के प्रति एक शब्द भी नहीं कहा. ये दुर्भाग्यपूर्ण है.जो भी हो कन्हैया को खूब पब्लिसिटी मिली और नेताओ को एक डूबते को तिनके का सहारा.आज यही आवाज़ है:-

पपर करो हम सबकी नैया -कन्हैया ,मोदी विरोधी बोले जय कन्हैया ,लेफ्ट को आशा उसके दूंब्ते ज़हाज़ को बचा लेगा कन्हैया इंग्लिश अखबारों ने प्रथम प्रष्ठ में बड़ी सी फोटो देकर प्रकाशित किया और देश के प्रधान मंत्री का छोटा सा और JNU के समर्थन में खूब लेख भी छपवाहे.सऊदी अरब देश में मोदी विरोध और देश की छवि को खराब करने के लिए मीडिया और लोगो पर भरी धन राशी खर्च कर रहा.जो भी हो इस पुरे प्रकरण में मोदी विरोधी खुश है पर क्या उन्हें फायेदा होगा भविष्य बताएगा .

रमेश अग्रवाल,कानपूर

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh