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जय श्री राम आर्ट ऑफ़ लिविंग के संस्थपक और देश के प्रसिरा सू
द्ध संत श्री श्री रवि शंकर जी द्वारा दिल्ली में यमुना के किनारे १००० एकड़ में ३ दिवसीय विश्व संस्कृति महातिसव के सफल आयोजन ने देश की विश्व में एक विशिस्ट स्थान दिया.इस आयोजन में १५५ देशो के कलाकारों ने विभिन्न तरह की संस्कृति कार्यक्रम प्रस्तुत कर लाखो लोगो का मन मोह लिया.रवि शंकर जी के अनुसार इस समारोह की योजना एक साल पहले की गयी थी और कई राष्ट्राध्यक्षो से बात चीत की दुनिया हिंसा तनाव से ग्रस्त है और सभी शांति चाहते है इसलिए इसका आयोजन किया गया.चुकी इतना बड़ा आयोजन स्टेडियम में नहीं हो सकता इसीलिये यमुना जी के किनारे किया.हजारो की संख्या में कलाकार भारत अपने पैसे से आये जो हमें बहुत ताकत देती है.दुनिया भर के प्रतिनिधियों ने शांति और वासुदेव कुटुम्बकम की दिशा में सतत प्रयासों के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाई.!इस महोत्सव में विभिन्न देशो के धर्मगुरु,सूफी संत ,ईमाम,पादरी जैन मुनि इकट्ठा हुए और सबका मानना था की आध्यात्म का मुख्या उद्देशय अच्छा इंसान बनाना है एक हिन्दू अच्छा हिन्दू, एक मुसलमान अच्छा मुसलमान और एक इसाई अच्छा ईसाई बन जाये तो दुनिया में शांति आ जाए .अच्छा इंसान तभी बनेगा जब उसके अन्दर सवेदना और करुना जैसे भाव पैदा हो,.सबका माना है की ईश्वर एक है और हम सब उसी के अंश है.आर्ट ऑफ़ लिविंग की स्थापना ३५ साल पहले लोहगो को आध्यात्म द्वारा आच्छा इंसान बनाना था जिसके लिए योग,ध्यान संगीत आसन और धार्मिक प्रवचन का सहारा लिया गया.सुदर्शन क्रिया गुरूजी की बहुत प्रसिद्ध है.गुरु जी के विश्व में १३० से ज्यादा देशो में केंद्र है और कई बार युद्ध देशो इराक ईरान में भी शांति के प्रयासों में गए समापन आयोजन में केंद्र और दिल्ली सरकार के कई नेता मंत्रियो के अलावा कोलंबिया से ऑस्ट्रेलिया तक और यूरोप से लंका तक के तमाम पूर्व राष्ट्राध्यक्ष और मौजूदा जनप्रतिनिध आयोजन में अपनी उपस्थित से आर्ट ऑफ़ लिविंग के प्रयासों को ताकत दे रहे थे.समरोह का उद्घाटन प्रधान मंत्री मोदीजी ने करते कहा की भारत के पास वह संस्कृत विरासत है ,वह संस्कृत अधिष्ठान है जिसे दुनिया को ज़रुरत है उन्होंने आयोजन में भाग लेने वाले देशो के प्रतिनिधि,कलाकारों का स्वागत और आभार प्रगट करते गुरूजी की प्रशंसा की की ३५ साल में विश्व के १५० देशो अपनी गतिविधिओ को फैलाकर विश्व में भारत को एक अल ग पहचान दी.उन्होंने आगे कहा की आओ एक कुम्भ का दर्शन कर रहे जो कला का कुम्भ है पाने बरसाने पर कहा की प्रक्रति भी कसौटी के रही पर यही तो आर्ट ऑफ़ लिविंग हैआगे कहा की भारत में हर पहर का संगीत है और आज हम विश्व को अनमोल भेट दे रहे है !सुविधा और सरलता के बीच जीने के लिए जी सकते उसमे आर्ट नहीं होती जब अपने इरादे और सपने को लेकर चलते उसमे आर्ट ऑफ़ लिविंग होती है.जब अपने लिए नहीं औरो के लिए जीते तब आर्ट ऑफ़ लिविंग होती है जब मै से छूटकर हम की ओर चलते तब आर्ट ऑफ़ लिविंग हिती.हमलोगों ने उपनिषद से लेकर उपग्रह यात्रा की यही जीवन की कला हमारे ऋषी मुनिओ ने विरासत में दी.अगर हम अपने आप को कोसते रहेगे अपनी हर चीज की बुरी करते रहेंगे तो दुनिया हमारी ओर क्यों देखेगी ?उन्होंने कहा की जब वे मंगोलिया में गए तो एक स्टेडियम में हमारा स्वागत आर्ट ऑफ़ लिविंग के सदस्यों ने जिसमे वाह के मंगोली ज्यादा थे हाथ में तिरंगा झंडा ले कर भारतीय संस्कृति का परिचय दिया.इसके बाद उन्होंने सबलोगो का अविवादन करते धन्यवाद दिया.!७ एकड़ में संस्कृति समारोह के लिए मंच बनाया गया.इस आयोजन में बड़े समुदायों में एक साथ तबला,बांसुरी और सितार में प्रसूति ने सबका मनमोह लिया.महाराष्ट्र के १००८ कलाकारों ने धगारी ढोल पर ढाप दिया !मध्यप्रदेश के २५० लोक नर्तको ने गुदुम बजी पेश की.तुर्की के ४०० कलाकारों द्वारा परवेश कला का प्रदर्शन और पंजाब के ११५० कलाकारों ने भंगड़ा प्रदर्शन किया.८५०० संगीतकारों ने ५० वाधयंत्रो के साथ विशाल आर्ट ऑफ़ लिविंग अर्किस्टरा का प्रदर्शन किया.समारोह में ३०,००० देशी विदेशी कलाकार प्रस्तुति ने दी.सिक्किम के ३५० नर्तको ने सबसे प्राचीन लोकनृत्य मारुनी का प्रदर्शन किया.१५० गायकों ने मध्यपूर्व का वैश्विक एकता के लिए गीत गाया १५० थाईलैंड के नर्तको ने रवाने नृत्य और ५० ने बेलारूस की प्रस्तुति दी.१००० आर्ट ऑफ़ लिविंग के लोगो ने चीनी गीत गाये.५० ने स्कादिनेविय न डांस किया १००० द्वारा रविन्द्र संगीत १२५ ने मंगोलियन डांस,१२५ नेपालियो द्वारा हिमालय के लोकधुन पर डांस १२५ जापनियो द्वारा चेयर डांस,१००० राजश्तन का घूमर डांस,४५० आसामी द्वारा विहू डांस ,१०५० आन्ध्र प्रदेश के कुचिपुड़ी डांस,पाकिस्तान के ५० नर्तको द्वाफी फ्यूजन ,१४५ अर्जीटीना द्वारा अर्जीतेनो टैगों,श्री ल्लंका के ७५ ने कदियन और इण्डोनेशियाई के २५ डांसरो ने प्रस्तुति कीइसके अलावा २००० से ज्यादा विभिन्न धर्मो के धर्मगुरूओ ने आध्यात्म और शांति पर चर्चा की और विचार रखे.इस आयोजन में बड़े संत,महात्मा,कला संस्कृतिमाध्यात्मा,राजनीती ,कारोबार से जुड़े लोगो के अलावा किसान भी आये थे.इसके अलावा विश्व की विभिन्न समस्याओ पर भी चर्चा हुयी और मानवता को बिंदु रख कर यदि उपाय किये जाए तो तमाम समस्यों का हल निकल सकता है यूरिपियन संघ में जारी शरणार्थीयो की समस्याओ को लेकर रोज़गार और बुजुर्गो की देखभाल से लेकर कॉर्पोरेट तक की दुनिया में नैतिकता के महत्व पर चर्चा हुई नैतिकता के आधार पर कारोबारी ढांचा तैयार करने की ज़रुरत है.दुनिया में नई तरह के शांति प्रयासों पर भी चर्चा हुई.जर्मनी के प्रतिनिधि ने कहा की शरणार्थीयो के लिए दरवाज़ा बंद नहीं होगा.इस आयोजन में यमुना को साफ़ करने का भी संकल्प लोया गया.इस समारोह के आयोजन के लिए अगली बार ऑस्ट्रेलिया और मैक्सिको ने इच्छा जाती लेकिन ऑस्ट्रेलिया को ज़िम्मेदारी दे दी गयी.इस आयोजन हिन्दू संत द्वारा किया गया इसलिए इसका विरोध भी हुआ कुछ NGOS ने प्रदुषण बोर्ड से शिलायत कर दी की प्रदुषण फैलेगा चूंकि रविशानर जी को मोदी का नज़दीकी मन जाता और इस साल उन्हें पदम् विभूषण मिला था विरोधियो ने खूब हल्ला मचाया की जमुना जी में प्रदुषण बढ़ जाएगा और इतना पैसा खर्च करने से क्या मिलेगा और शरद यादव ने इसे तमाशा बता बंद करने की मांग की सेना द्वारा २ पुल बनवाने पर भी हल्ला मचा लेकिन राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NATIONAL GREEN TRIBUNAL) ने ५ करोड़ का जुर्माना लगाया २५ लाख फ़ौरन दे दिए गए और बाकी बाद में दिए जायेंगे विरोधियो में आप को छोड़ कर कोइ नहीं आया इस विरोध से देश की प्रतिष्ठा को धक्का जरूर लगा परन्तु विश्व के नेताओ ने इस आयोजन की खूब तारीफ़ की.ब्रिटेन के प्रधान मंत्री ने अपने संसद से श्री श्री जी को सन्देश भिजवाया की जब भी वे ब्रिटेन आये वहां की संसद हाउस ऑफ़ कामन को सम्बोधिर करे.इस आयोजन्ने विश्व में देश की प्रतिष्ठा को बाध्य की आज तक इतना बड़ा संस्कृत समारोह कही नहीं हुआ.हिन्दुओ और मोदीजी के विरोध की वजह से अंग्रेज़ी पत्रों और बन्हुत से टीवी चैनलों ने इसे लाइव नहीं दिखाया जबकि कन्हैया ऐसे राष्ट्र विरोधी को ज्यादा समय दिया.समापन वाले दिन जेटली जी ने कहा यहाँ पर्यावरण कितना अच्छा है कोइ दूसरा नहीं केवल संस्कृति का प्रवाह है सिर्फ संस्कार और मुस्कान है यमुना जी को देखिये बहुत साफ़ और शांत है.राजनाथजी ने कहा की इस आयोजन से दुनिया भर में भारतीय संस्कृति का मान बढेगा आजतक दुनिया में इतने बड़े स्तर का कोइ संस्कृति समारोह नहीं हुआ.सुषमाजी ने कहा की इस आयोजन ने दिल्ली को विश्वनागरी में बदल दिया.इससे दुनिया के हिंसाग्रस्त दुनिया में शांति और सदभाव का महत्वपूर्ण सन्देश जाएगा.केजरीवाल ने कहा की गुरूजी दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच पुल का काम करेगे.!विरोधी चाहे जितना हल्ला मचाये इस आयोजन ने उनको सबसे बड़ा धक्का ज़रूर दिया.जब गंगाजी या अन्य नदियो के किनारे कुम्भ के मेले होते तो इस आयोजन में हल्ला या विरोध क्यों?यदि यही आयोजन मुसलमानों द्वारा होता तो कोइ नहीं बोलता .वैसे इस आयोजन ने देश का मान बदाय साथ में विश्व को मानवता के पटती और सवेदनशील होने का सन्देश जरूर दिया.गुरूजी विश्व में बाहर बहुत प्रसिद्ध और विश्व के सब क्षेत्र के लोग उनकी इज्ज़र करते है.और उनके प्रयासों से देश के साथ मानवता का भी कल्याण होगा.
रमेश अग्रवाल कानपुर
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