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भारतीयों द्वारा किये चमत्कारिक अविष्कार (भाग २)

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम हमारे देश ने  बहुत सी चीजो का  अविष्कार किया जन्मे से बहुत से यूरोप वाले हमारे यान से सीख कर अमेरिका ले गए और अपने नाम से प्रचारित कर लिए.५ हमने पहले भाग में दिए थे ५ इस भाग में दे रहे है.  १. कॉटन जिन (cotton gin):-कॉटन के पेड़ से बेजो से री निकलने के लिए ये मशीन बनाई गयी थी जिसकी पेंटिंग अजंता की गुफाओं में देखी जा सकती है.५०० ad में आविष्कार हुआ था जिसे चरखा कहा जाता था.तबसे अबतक इसमें बहुत से बदलाव कर दिए गए लेकिन सिधानत भारत को ही इसके अविष्कार का श्रेय जाता है image001

२.बटन :- बटन हमारी पोषक का महतवपूर्ण अंग है और इसको विभिन्न तरह से इस्तेमाल किया जाता है इसका जिक्र सिन्धु घटी सभ्यता (indo valley civilization  ) में मिलता है ये विभिन्न तरह के साइज़ और रूप में मिलते है और फैशन का अंग बन चूका है                                                                                             ३.कपडा (natural   fibre):- सूती ऊनी रेशमी कपडे बनाने के लिए रेशे पुराने सन्मय में विभिन्न पेड़ो और कीड़ो की मदद से बनाये जाते थे.सिन्धु घटी सभ्यता में इसका वरन है जब रेशे से धोती और अन्य कपडे बनाये जाते थे.जुटे भारत में तैयार कर दुसरे देशो को बेचा जाता था,कश्मीर उन सबसे प्रसिद्ध होता था जो कश्मीर में मिलता था और जिससे शाल बनाए  जाते थे जो आज भी बहुत मशहूर है और मांग है देश का रेशम तो पुरे विश्व में मिलता था जिसको पुरे विश्व में निर्यात किया जाता था और चीन जाने के लिए जो राष्ट था उसे सिल्क रूट कहते थे.मशहूर था की इतना महीन होता था की पूरा थान एक अंगूठी से निकल जाता था.image003image002४.सर्जरी :हमारे यहाँ सबसे पहले आँख का कैटरेक्ट निकलने और प्लास्टिक सर्जरी की शुरुआत सुशुरुत (sushurut) के नाम है.जिसका कार्य काल ३००० bc माना  जाता है.!पहले इसका अनुवाद अरबिक भाषा में हुआ जहाँ से यूरोप में हो कर वहां विकसित हुआ.एक सुई को तेदा (curve) कर कैटरेक्ट हटा कर आन्ल्हो पर मक्खन का गर्म पानी रख कर धक् दी जाती जब तक टीक न हो जाए.बाद में दुसरे देश के लोग याहन आते इसको सीख कर अपने देश में विकसित कर लेते और भारतीयों का नाम भी नहीं लेते !

image004५.मेडिकल इलाज :- कुष्ठ लोग का वि वरण और उपचार अथर्व वेड में दिया है और सबसे पहले यही ओलाज़ संभव हुआ था.शरीर के विभिन्न स्थानों  से पत्थर निकलने का उपचार यही शुरू हुआ चेचक के इलाज और बचने के टीको का अविष्कार भारत में ८ वी शताब्दी में माधव जी ने किया था.आयुर्वेद और सिद्ध पद्धति भारत में बहुत प्राचीन है ऋषी मुनी ध्यान तपस्या (होलिटिक) से बहुत से रोगों का इलाज़ कर देते थे जिनके किस्से विभिन्न पुरानो में है VISCERAL LEISHMANIASIS का इलाज उपेन्द्र नाथ बनर्जी ने काला AZAR का इलाज़  किया था.

रमेश अग्रवाल कानपुर

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