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चैत्र नवरात्र नव वर्ष २०७३ का महत्व

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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माता दुर्गा ,  माता  सिद्धि दात्री
shiddhidatri350 जय श्री राम वैदिक संस्कृत किसी एक के द्वारा नहीं स्थापित है परन्तु बहुत से ऋषी मुनियों का प्रयास है इसमें किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होता वर्ण व्यवस्था कर्मा के अनुसार समाज हित में बनाई गयी थी जिसमे सबके कर्त्तव्य निश्चित होते थे किसी भी वर्ग के प्रति घृणा नहीं थी सबका समाज में आदर होता था विभिन्न त्यौहार और कुम्भ मेले इसकी पहचान है समय ,विदेशी आक्रमण और गुलामी की वजह से इस व्यवस्था में कुछ बुराइयां आ गयी जिसके लिए सनातन धर्म पर आरोप लगाना गलत है आजकल बिना समझे हमारे धर्म ग्रंथो की गलत अर्थ लगा कर निंदा शुरू करदेते जो अज्ञानता ,जलन और वोट बैंक की राजनीती के कारन है.सनातन धर्म में महिलाओ को समानता और बहुत आदर का स्थान दिया गया उनको धर्मपत्नी अर्धाग्नी के नाम से माना  जाता और कोइ धार्मिक मांगलिक  कार्य बिना उनके संपन्न नहीं होता है.उनको उच्च तरह की शिक्षा दी जाती थी,साल में २ बार नवदुर्गा मनाने के पीछे भी यही कारन है नवरात्र चैत्र और आश्विन माह में मनाये जाते जिनको चैत्र,राम (राम नवमी की वजह से) या वसंत नवरात्र के नाम से जाना जाता .नव दिनों माँ दुर्गा के ९ विभिन्न रूपों की पूजा की जाती इसदिन ८ अप्रैल से शुरू हो रहे और ८ दिन के है चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू हो रहे है जो १५ अप्रैल को भगवन राम जी के प्रगट्य दिवस को समाप्त होंगे.माना  जाता की  इस दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी .विक्रम्दित्य जी ने इस कैलेंडर की शुरुहत की थी इसलिए इसे विक्रमादित्य संवत्सर कहते जोइस साल २०७३ है इस साल को “सौम्य” के नाम से है जिसका मतलब की ये वर्ष सौम्यता शालीनता लाएगा.इसका रजा गुरु और मंत्री बुध है इस समय प्रकति  उर्जामाया होती पेड़ पौधों को उर्जा मिलती इसलिए ये नववर्ष शक्ति अर्जित करके सक्रिय होने का सन्देश देता है नवरात्र महा पार्वती ,महा लक्ष्मी और महासरस्वती ३ शकितो के रूप में मनाया जाता है जो इच्छा,ज्ञान और क्रिया लो दर्शाता है.!नवरात्रों माने ९ राते है जिससे इन दिनों रात में पूजा भजन जागरण किया जाता है.नव दिनों देवी माँ की  स्तुति ,कलश स्थापना सुमधुर घंटियो की आवाज़,धुप बत्तियो की सुगन्धि,, ९ दिनों तक चलने वाला आस्था और विस्वास का त्यौहार है दोनों नवरात्र का सम्बन्ध भगवन राम जी से है  चैत्र  में भगवन राम का प्रगट्य दिवस और अश्विन को भगवन रामजी की रावन पर विजय दशेहरा के रूप में मनाया जाता है.ये जहाँ जहाँ उत्तर भारतीय रहते वहा देश विदेशो में मनाया जाता महाराष्ट्र में गुड पडवा से शुरू होता है !इन दिनों माता के आने के इंतज़ार के साथ सबसे पहले कलश  स्थापना की जाती और फिर ९ दिनों माँ के विभिन्न रूपों की पूजा होती है विश्वास है की श्रधा पूर्वक आराधना करने से माँ सुख समृधि प्रदान करती है इन दिनों शुद्धता,ब्रह्मचर्य,व्रत का पालन,जागरण,दुर्गा सप्तशती का पाठ,मंगल कार्य करना,चाइये!लाल रंगों के पुष्प का बहुत महत्व है गीले कपडे  पहन कर और खुले बाल रख कर पूजा नहीं करनी चाइये!माता की कृपा से सभी बाधाये  दूर हो जाती है.माँ पार्वती के परिवार में विभिन्नता के साथ एकता सन्देश देती है.भगवन गणेश विवेक ,कार्तिकेय जी पुरुषार्थ,के प्रतीक है.दुर्गा सप्तसती के अनुसार माँ दुर्गा समस्त प्राणियों में चेतना,बुद्धि,स्मृति,शक्ति,शांति,श्रधा,क्रांति,दया आदि के रूप में स्थित है जो हमें सकर्मता की और ले जाता है.!राक्षसों से लड़ने के मायने है की हम कठनाईओ से हिम्मत हारने की वजय उनसे संघर्ष करे.!महाराष्ट्र गुजरात में इन नव दिन अलग अलग रंग के कपडे पहनते है.१.लाल.२.आकाशी नीला ३.पीला ४.हरा ५.भूरा (grey) ६.नारंगी ७.सफ़ेद ८.गुलाबी ९.नीला वैसे देश के विभिन्न प्रदेशो में ये विभिन्न्र रूपों  में मनाया जाता.इन नवरात्रों में माता के ९ रूपों की पूजा की जाती है जो  यदि तिथि घटने पर एक दिन में दो पूजा हो जाती है.

१..शैलपुत्री :-हिमालय के घर जन्म लेने से माँ पार्वती को शैलपुत्री कहा जाता है.देवताओ को सताने वाले ब्रेतासुर राक्षस का संघार किया था इनकी स्थापना दुर्गम स्थान में बस्तियों  को बसने के लिए करते और मान्यता है की इससे आपदा,रोग,व्याध,असुरक्षा और संक्रमण से मुक्ति मिल जाती है.

२.ब्रह्मचारिणी :-इसका अर्थ होता है ताप का आचरण करने वाली माता इनकी पूजा से कुण्डली शक्ति जागृत होती है.इन्सके द्वारा ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की.इनकी आराधना से ताप,त्याग,वैराग्य,सदाचार सयम की वृद्धि होती है.

३.चक्र घंटा:-इनकी उपासना से नकरात्मक उर्जा यानी कलह और झगडा दूर हो जाता पाप ,बंधन छूट जाते.इनकी कृपा से स्वर मधुर हो जाता जिससे सब खींचे चले आते.

४.कुष्मांडा :-इनकी उपासना से रोग दूर हो जाते और आयु,बल,यश बड़ते है.

५.स्कंदमाता:-भगवन कार्तिकेय जिनको स्कन्द भी कहते है की माता होने के कारण जीवन में प्रेम,स्नेह,सवेंदना,बांये रखने को प्रेरणा देता है समुरना मनोरथ पुरे होते आलोकिक तेज प्राप्त होता!मोक्ष का मार्ग सुगम हो जाता.

६.कात्यानी:-कात्यन ऋषी के यहाँ जन्म लेने से माता का ये नाम पड़ा.सच्चे मन से उपासना से सब रोग दूर हो जाते ,शत्रु पराजित हो जाते कुवारी कन्याओ के व्याह हो जाते धर्म,अर्थ काम मोक्ष का फल प्राप्त होता इन्होने ही शुभ निशुभ का बध किया था.!

७.कालरात्रि :-इनके स्मरण मात्र से राक्षस,दैत्य,दानव ,भूत,प्रेत,भाग जाते सब तरह का डर समाप्त हो जाता है!

८.महागौरी:-भगवान् शिव की कठोर तपस्या करने से रंग काला हो गया तब शंकर जी ने गंगाजल से धोया जिससे  बहुत कांती आ गयी जिससे महा गोरी नाम पढ़ गया इनकी उपसंना से पाप नष्ट हो कर अक्षय पुण्य मिलता.अपार खुशी मिलती.इस दिन कन्याओ को भोजन कराया जाता है.!

९.सिद्धिदात्री :-सबसे क्ष्रेष्ट और मोक्ष प्रदान करने वाला रूप माना  जाता.सभी तरह की सिद्दियाँ प्राप्त होती यश,बल धन की प्राप्ति होती.इन्होने मधु  कैटव रक्षो को मारा था भगवान् विष्णु की अर्धागनी और नवरात्रों की अधिषठानी है इसलिए जगत को संचालित करने वाला माना  जाता है.

और मंत्र न आते हो तो यह जरूर पढना चाइये !या  देवी सर्वभूतेषु श्रधा रूपेण सस्थिता ,नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नम:!

इन दिनों माता के ५१ शक्ति पीठो और मुख्य जगहों में बहुत भीड़ होती है.

रामनवमी में अयोध्या (उत्तर प्रदेश).भद्रचलम(bhadhrachalam-AP) और रामेश्वरम (तमिलनाडु) में भगवन राम के प्रगट्य दिवस पर बहुत बड़े पैमाने पर उत्सव का आयोजन होता जिसमे देश विदेशो से लाखो लोग आते भगवन राम की शोभा रथ यात्रा निकलती जिसमे माँ सीता लक्ष्मण जी और हनुमानजी एक ही रथ में झांकी निकाली जाती है.!सनातन धर्म में जहाँ महिलाओ को इतन आदर दिया जाता समय के साथ कुछ बुराइया आ गयी पहले बाल विवाह, जबरदस्ती सती करना विधवा व्याह पर रोक के साथ आज कल भ्रूण  हत्या,दहेज़ के लिए हत्या उत्पीडन और घरेरू हिंसा के साथ छोटी उम्रे में बलात्कार के मामले सामने आ रहे जो बहुत शर्मनाक है इससे नवरात्रों को मनाने का औचित्य ख़तम हो जाता यदि लडकिया नहीं होगी तो बहुहे  कहाँ से आयेंगी,समाज में आराजकता फ़ैल जायेगी ! स्त्री के ३ स्तर होते कन्या,धर्मपत्नी और माँ.पुत्री बिना घर सूना सूना रहता पुत्री बेटे से ज्यादा माँ बाप को प्यार करती और वास्तव में वात्सल्य की मूर्ती होती उससे घर में समृधि आती है.!नव वर वधुओ  को नवरात्रों में प्राथना करे की उनकी प्रथम संतान कन्या हो जो  सच्ची नवरात्री की पूजा है.कोशिश करो की हम अपनी कुरीतियों मोह,अहंकार लोभ,क्रोध,मद काम,ईर्षा को नियंत्रित कर सके यही कामना माँ से करना चाइये और यही सच्ची नवरात्रों की उपासना की सफलता है

चैत्र की नवरात्रों और सौरभ नवसंवत्सर २०७३ की सबको हार्दिक शुभकामनाये और मंगलमय की कामना!

रमेश अग्रवाल,कानपुर

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