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आराध्य देव राम भक्त हनुमान जी की जयंती (२२ अप्रैल) पर श्रधा सुमन अर्पित

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम रामजी के परम भक्त और  प्रिय हनुमान जी की जन्मदिन पर सबलोगो को हार्दिक बधाई ,भगवान हनुमानजी राष्ट्र को सुख और सम्पन्नता प्रदान करे.!हनुमान जी रामायण के सबसे मुख्य पात्र  है और शिवजी के ११ वे रूद्र अवतार माने जाते.हनुमानजी सबसे ज्यादा पूजित है और् उन्हें  कलयुग का जीवान्त देवता माना  जाता.वे बहुत जल्दी राम नाम कहने से प्रसन्न हो जाते.वीरता,साहस,सेवाभाव,स्वामिभक्ति ,विनम्रता,कृतज्ञता,न्रेतत्व ,निर्णय क्षमता ,ने उन्हें इतना महान बना दिया !इतना सब होते हुए उनमे अहंकार बिलकुल नहीं था,उनका जन्म चैत्र की पूर्णमासी को  माना जाता कुछ लोग कार्तिक कृष्णा पक्ष चौदवी (छोटी दीवाली) के दिन भी मानते लेकिन ज्यादातर चैत्र वाली मानते. उनके कही नाम है हनुमान,अंजनी सुत, महावीर ,पवनपुत्र ,केसरीनंदन,संकट मोचन,बालाजी ,अजनेय (अंजनी से उत्पन्न),वातात्मज (वायु से उत्पन्न),पिंगाक्ष (भूरे नेत्र वाले) है !इनके जन्म की मशहूर गाथाये है.इनका जन्म १ करोड़,८५ लाख ५८ हज़ार ११२ वर्ष पहले मंगल के दिन हुआ था.इनकी माँ अंजनी का विवाह वानर राज केसरी जी से हुआ था परन्तु पुत्र न होने पर उन्होंने मातंग मुनि से पूंछा तो उन्होंने नारायण पर्वत पर स्वामी तीर्थ  में स्नान करके १२ साल तक शिव जी की तपस्या करने पर पुत्र प्राप्त होगा.तपस्या से प्रसन्न शिवजी प्रगट हुए और स्वयं  के रूप में उका पुत्र बन कर आना स्वीकार किया उसी वक़्त राजा दशरथजी ने पुत्र काम यग्य  करके यग्य खीर तीनो रानिओ को दी लेकिन केकई की खीर का एक भाग एक चील ले गयी और वह अंजनी माँ के हाथ में गिरी जिसको उन्होंने प्रसाद समझ  ग्रहण कर ले लिया वायु ने इनके कर्णरंध्र में प्रवेश कर कहा की तेरे यहाँ सूर्य ,अग्नि,सुवर्ण के सामन तेजस्वी वेद वेदान्त का मर्मज्ञ,महाबली पुत्र होगा.!जब  देवताओ की प्राथना पर भगवन विष्णु ने दशरथ जी के चारो भाइयो सहित अवतरण की बात की तब ब्रह्माजी ने देवताओ को वानर के रूप में जाकर भगवान् राम की सहायता  के लिए कहा तब शिवजी ने कहा की वे हनुमानजी के रूप में जायेंगे.वे ऋषियो के आश्त्रम में जा कर उनका सब सामन फेक देते तब उन्होंने श्राप दिया की तुम अपना बल भूल जाओगे और जब कोइ याद दिलाएगा तभी याद आ जाएगा.वे ७ अमर लोगो में है एक बार सूर्य जी को देख कर उसे फल समझ कर उसको पकड़ने चले रास्ते में राहू जो सूर्य को ग्रहण लगाने जा रहा था उसको मार के भगा दिया तबी इंद्र गुस्सा में  ने अपनी गदा मारी जिनसे इनकी हनु टेडी हो गयी इसीलिये हनुमान जी कहलाते.इससे पवन देव नाराज हो गए और हवा बंद कर दी जिससे सबका जीना मुस्किल हो गया तब ब्रह्मा जी के साथ सब देवता आये और सबने वरदान दिया सूर्य ने अपने तेज का शतांश ,तेज दिया ब्रह्माजी ने कहा की ओई शस्त्र तुमे हानि नहीं पहुंचा सकेगा,इंद्रा ने कहा तुम्हारा शरीर ब्रज की तरह होगा, वरुण ने जल से सुरक्षित और यम,कुबेर,विश्वकर्मा,आदि ने अजेय,पराक्रमी अवध्य होने का वरदान दिया.

हनुमानजी का विवाह और पुत्र :- जब वे माँ की आज्ञा से सूर्य भगवान् से शिक्षा ले रहे थे तब कुछ समय के बाद उन्होंने कहा की आगे की शीशा विवाहितो को दी जाती हनुमानजी ब्रह्मचारी थे वे बहुत दुखी हुए तब सूर्य देव ने अपनी ब्रह्मचारनी पुत्री “सवर्चला “से करने की सलाह दी  और इसतरह पुरी विधि और मंत्रो से विवाह संपन्न हुआ लेकिन सर्वचला विवाह बाद वन को तपस्या करने चली गयी और हनुमान जी का ब्रह्मचर्य  बना रहा और शिक्षा भी पुरी हो गयी.!हनुमान जी का पुरे विश्व में केवल एक मंदिर आन्ध्र प्रदेश के खम्मभ जिले में उनकी पत्नी का साथ है जो उनकी शादी का एकलौता गवाह है

200px-Hanumanhanuman-55519c216c131_exlst !मान्यता है की जो पति पत्नी इस मंदिर के दर्शन करते उनका वैवाहिक जीवन खुशी रहता और आपसी प्रेम बना रहता.उनके पुत्र का शादी से कोइ सम्बन्ध नहीं.लंका जलने के बाद जब वे समुद्र में पूँछ बुझा रहे थे तो उनके पसीने से एक मछली गर्ववती हो गयी जिसे पाताल के राजा अहिरावण के लोग वहां ले गए और एक पुत्र पैदा हुआ जिसका नाम मकरध्वज था जिसे द्वारपाल नियुक्त किया गया जब अहिरावण भगवान् राम और लक्ष्मणजी को पातळ ले गए तो द्वार पर हनुमान जी का अपने पुत्र के बारे में पता चला परन्तु उसको हराने और अहिरावण को मारने के बाद रामजी ने उसे वहां का राजा बना दिया.

हनुमानजी की पूजा करने वाले को शनि देवता कभी नहीं सताते क्योंकि जब रावण के चंगुल से शनि देवता को मुक्ति दिलाई तो उन्होंने ऐसा आश्वाशन दिया था.! हनुमान जी ऐसे देवता है जो चारो युग में रहते है उन्होंने द्वापर युग में अर्जुन की ध्वज में रहा कर अपने वजन से उनकी रक्षा की और उन्होंने भगवन कृष्णा के द्वारा  गीता का ज्ञान भी सुना था.!भगवान् कृष्णा ने उनके द्वारा सत्यभामा,सुदर्शन चक्र,अपने वाहन गरुड़ अर्जुन और भीम का अभिमान तुडवाया ! रामायण में उन्होंने विभीषण जी और सुग्रीव जी को रामजी से मिलवा कर उनके राज्य दिल्वाहे.लक्ष्मण जी के संजीवन बूटी ला कर प्राणों की रक्षा की.माँ सीता को समुद्र पार कर भगवान् रामजी का सन्देश दिया और उनका पहूंचाया .माता सीता ने उन्हें कहा अजर अमर गननिधि सुत होहु , करहू बहुत रघुनायक छोहू !भगवन रामजी ने भी कहा “सुन सूत तोहू उरिन मै नाही ,देखहु करि विचार  मन माही !लंका जला कर रावण को समझाया.और बल दिखा कर सन्देश दिया भारत जी को रामजी के आने का समाचार दे कर उनके प्राणों की रक्षा की.!.वे हमेश रामजी की सेवा में लगे रहते !अयोध्या में जाने के बाद जब माता सीता और तीनो भाइयो ने रामजी की सेवा ले ली तो हनुमानजी ने रामजी से कह कर चुटकी बजाने की सेवा ले ली और एक दिन जब रामजी को जमाही आई तब हनुमानजी बुलाये गए और चुटकी बजाते ही रामजी की जमही टीक हो गयी.इसी तरह माता सीता को सिन्दूर लगाते देख पूंछने पर की इससे रामजी की उम्र बढ़ती उन्होंने पुरे बदन में सिन्दूर दाल दिया तभी से हनुमान जी को सिंधूर लगाने  की प्रथा है.!विभीषण जी के कहने पर अपना सीना चीड कर भगवान् राम माँ सीता के दर्शन करवाहे !कलयुग में राम नाम ,सुन्दर काण्ड ,बजरंग बाण , हनुमान चालीसा पढने से प्रसन्न हो जाते !ऐसी मान्यता है की भगवान् राम के स्वर्ग गमन में उन्होंने प्रथ्वी पर रह कर भगवान् राम की कथा का प्रचार करने का संकल्प लिया और जहाँ जहाँ राम चरित्र मानस का पाठ होता हनुमानजी किसी न किसी रूप में आते परन्तु लोग पहचान नहीं पाते.तुलसीदास जी को उन्होंने ही भगवान् राम के दर्शन करवाए और कही बार उनकी रामायण लिखने में मदद भी की.हनुमानजी ने पहाड़ की शिलाओ पर नाखूनों से रामायण लिखी और जब वाल्मीकि जी को दिखाई तो उन्हें दुःख हुआ की फिर उनकी रामायण की महीमा कम हो जायेगी तब हनुमानजी ने  सब शिलाए समुद्र में गिरा दी.हनुमान जी की गाथाये और चरित्र अपार है जितना लिखा जाए कम !वैसे वे सबकी रक्षा करते और हमेश हमारी भी करते रहते है लेकिन २ बार तो हमें इसका अहसास हुआ.१९६५ में नाईजीरिया में हमारी कार  खाई  में गिर गयी हमें ज्यादा चलानी  आती नहीं थी हाईवे में चला कर जा रहे थे उस दुर्घटना में कार को बहुत नुक्सान हुआ डॉईवर  जो बगल में बैठा था उसको चोट लगी हमें ऐसा लगा किसी ने उठा लिया एक खरोच तक नहीं आई दुसरी बार १७ जब्वारी १९९६  को जब दिल्ली के अस्पताल में हमारी रीड की हड्डी का तीसरा ऑपरेशन सफलता पूर्वक हुआ ,कानपूर में २ बार  ऑपरेशन के बाद, तो हमें हनुमानजी के दर्शन तोते के रूप में हुए जिसका जिक्र हमने पत्नी से उसी वक़्त किया था यदपि हम पहले दो गलत ऑपरेशन की वजह से उठ भी नहीं सकते परन्तु हनुमानजी से  जीवन दान मिलने का अहसास हुआ.

हनुमानजी के देश विदेशो में सबसे ज्यादा मंदिर  है लेकिन १० प्रसिद्ध  मंदिरों के नाम प्रस्तुत है.

१ लेटे हनुमानजी बधवा मंदिर इलाहबाद २.हनुमान गढ़ी मंदिर  अयोध्या ३.सालासर मंदिर राजस्थान ४.संकट मोचन मंदिर वाराणसी ५.गिरजा  बाँध मंदिर रतनपुर छतीसगढ़ के विलासपुर में (नारी रूप में )६.मेहंदीपुर मंदिर दौसा राजस्थान ७.हनुमान मंदिर सीतापुर (उत्तर प्रदेश )८.कस्ट भजन हनुमान मंदिर सारंगपुर ,गुजरात  ९.पंचमुखी अजनेयर हनुमान मंदिर तमिलनाडु १०.महावीर  मंदिर पटना (बिहार)

क्या आप जानते है की विश्व में एक गाव है जहां हनुमान जी से लोग नाराज़ है इसलिए उनकी पूजा नहीं करते.ये जगह है उत्तराखंड के गाव द्रोणागिरी से क्योंकि यहाँसे  हनुमान जी द्रोणागिरी पर्वत पूरा का पूरा उठा लाये थे.

हनुमान जयन्ती पर्व सबके लिए मंगलमय हो

रमेश अग्रवाल ,कानपुर

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