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मुस्लिम वोटो के लिए देश की सुरक्षा से खिड्वाड-यूपीए सरकार के काले कारनामे

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम देश की सुरक्षा किसी भी सरकार की प्राथिमिकता होती है और उसके साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता लेकिन यूपीए सरकार ने कुर्सी के लिए और मुस्लिम वोटो के लिए जो कारनामे किये उसकी मिसाल मिलना बहुत मुस्किल है और खुलासे के बाद देश के नागरिक शर्मिंदा है !दुनिया का कोइ भी राष्ट्र बिना आत्मा जीवित नहीं रह सकता.हिंदुत्व भारत की आत्मा है.लेकिन इसको दूर कर देश चलाना चाहते है हिन्दू कभी न तो आतंकवादी हो सकते न ही साम्प्रदायिक नहीं तो यहाँ विदेशी संस्कृत न पल सकती न ही २५ करोड़ मुसलमान दामादो की तरह रह सकते.विदेशी, कांग्रेस और मीडिया का एक भाग बाटो और राज्य करो की नीति पर चल रहा था इसीलिये नेताजी,शास्त्री जी ,वीर सावरकर,भगत सिंह चन्द्र शेखर आज़ाद को हिन्दू नेता कह कर अहमिता नहीं दी गयी !नेहरु गांधी को राज्य के लिए नेताजी शास्त्री जी  की संदिग्ध मौत और फिर इंदिराजी के इलाज़  में देरी करके सोनिया को लाना एक सोझी समझी चाल थी.इसीलिये महाराणा प्रताप,सावरकर,शिवाजी जी ,राणा सांगा और हिन्दू महान्भूतियो के नाम लेना सविधान विरोधी और साम्प्रदायिक माना जाता जबकि आक्रमंकारियो और क्रूर औरंगजेब शरीको का महामंडित किया जाता.जब आतंकवादी मुस्लिम बहुत बड़ी संख्या में पकडे गए तो मुसलमानों की बढ़ती नाराजगी के लिए उस वक़्त के गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने भगवा आतंकवाद का मुद्दा उठा कर कहा की उनको जानकारी है की आरएसएस के शिविरों में आतंकवाद की शिक्षा दी जाती है जबकि दूसरी तरफ इस्लामिक आतंकवाद से परहेज़ कहते कि आतंकवाद का कोइ धर्म नहीं होता.ये कांग्रेस धर्मनिरपेक्षक,हिन्दू विरोधी देश तोड़ने वाले,स्वार्थी मुस्लिम परस्त लोगो के गठजोड़ की साजिस का नतीजा भगवा आतंकवाद का मुद्दा उठाना है.विश्व के ७७ देशो में आरएसएस शाखाये लगता कही कोइ विरोध नहीं किसी भी देश में कोइ भी हिन्दू न तो आतंवाद में संलिप्त पाया गया न ही किसी के विरुद्ध पुलिस में शिकायत हुई.जबकि इस्लामिक आतंकवाद ८० से ज्यादा देशो में किसी न किसी रूप में विध्वामान है और क्रूर हिंसा का रूप ले रहे है हिन्दू एकजुट नहीं होते इसीलिये हर जगह पीड़ित रहते जैसे नेपाल,मलेशिया,पाकिस्तान,बांग्लादेश !देश में भी इसी कारन उनके धार्मिक महापुरुषओ पर ओवैसी ऐसे लोगो के द्वारा हमला  होता.भगवा आतंकवाद का फायेदा पकिस्तान ने उठाया और संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत को आतंकवादी राष्ट्र घोषित करने की मांग की थी.हिन्दुओ को बाटने की साजिस कुम्भ मेले देख कर विदेशी चौक जाते क्योंकि कोइ अन्य देश ऐसा मेला आयोजित नहीं कर सकता जहां बिना भेदभाव के इतने लोग इकठ्ठा होते इलाहबाद के कुम्भ मेले में ३० करोड़ लोग आये किसी भी धर्म के खिलाफ कोइ चर्चा नहीं लेकिन मस्जिद में कुछ हज़ार नवाज़ के लिए इकट्ठा होते उनका भाषण सुन लो इस्लामिक आतंकवाद समझ में आ जाएगा,!अब ईसाई भी २५ दिसंबर को नदी/झील के किनारे इकट्ठे होने की पहल कर रहे है.!इशरत जहां लस्करे तोएबा की आतंकवादी थी और अपने ४ साथिओ के साथ २००४  पुलिस मुठभेड़ में मारी गयी !पहले उसवक्त के गृह मंत्री चिदंबरम ने  अदालत में जो हलफनामा दिया था उसपर  इशरत को आतंकवादी बताया लेकिन बाद में सोनिया गांधी के दवाब में पहला वापस लेकर दूसरा दायर किया गया जिसमे कहा गया की उसके आतंकवादी होने के कोइ सबूत नहीं जब्को हेडली और पाकिस्तान के लश्कर तोएबा आतंकवादी संगठन ने अपनी  वेबसाइट में उसे अपना सदस्य मानकर शहीद  घोषित किया था.इस बात की जानकारी पूर्व गृह सचिव पिल्लई और दुसरे अफसरों ने बताया था जो सच निकला.इसके बाद देश में कुछ धमाके मालेगांव.समझौता एक्सप्रेस,हैदराबाद अजमेर में हुवे जिसमे पहले कुछ मुसलमानों की गिरफ्तारी हुयी जिसकी  अमेरिका से जानकारी मिली थी और कई को संयुक्त राष्ट संघ ने आतंकवादी घोषित किये गए लेकिन मुस्लिम तुष्टीकरण के कारन इनका दोष हिन्दुओ पर लगा कर साध्वी  प्रिज्ञा ठाकुर ,कर्नल पुरोहित, स्वामी असीमानंद  और कुछ अन्य को पकड़ा गया उनसे दवाब में आरोप कबूला दिए गए जिसे बाद में अदालत में असीमनन्द  ने कहा की जबरदस्ती कहलवाया गया था.

समझौता एक्सप्रेस बिस्फोट २००७:- १८ फरबरी २००७ को आधी रात इस एक्सप्रेस के २ डिब्बो में २ धमाके हुए जिसमे ६८ लोग मारे गए और दर्ज़नो घायल हुए अमेरिका ने इसके लिए और मालेगांव के लिए (२००६ में )आरिफ कस्मानी और एक लस्करे तोएबा को धन देने वाले पकिस्तान को इन दोनों धमके के लिए ज़िम्मेदार बताया और uno से अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करवाया.देश में मुसलमानों में बढ़ते रोष को दबाने के लिए बाद में कर्नल पुरोहित,प्रिज्ञा ठाकुर,स्वामी असीमानंद और कुछ अन्य हिन्दुओ को आरोपित कर दिया गया और अभिनव भारत पर सम्बन्ध रखते दोष मड दोय गया जिससे बाद में पकिस्तान से किरकिरी हुयी.पुरोहित उग्रवादी संगठनो,घुसपैठियो की ख़ुफ़िया जानकारी इकट्ठा कर रहे थे जिसमे कई राजनेताओं के नाम उजागर हो सकते थे.

२.अजमेर दरगाह बिस्फोट :-२२ अक्टूबर २००७ को अजमेर में धमाका हुआ जिसमे २ मारे गए और करीब २० घायल हुए इसमें आरएसएस के ४ लोगो को पकड़ा गया लेकिन बाद में पता चला की राजनातिक दवाब में ऐसा हुआ.

३.मालेगांव धमाका:-२९/९/२००८ को गुजरात,महाराष्ट्र में ३ धमाके हुए ८ लोग मारे गए ८० घायल हुए पुलिस ने ४  हिन्दुओ को पकड़ा लेकिन कोइ सबूत नहीं मिला उद्धव ठाकरे ने कहा की कांग्रेस और ncp में मुसलमानों को खुश करने के होड़ लगी है क्योंकि केंद्र में ncp केंद्र में सरकार में शामिल थी.

४.मक्का मस्जिद धमाका :-१८/२/२००७ को हैदराबाद में मस्जिद के अन्दर हुए धमाके में १४ लोगो के मरने की खबर आई और बहुत से घायल हुए nia,cbi,ats ने आरएसएस के पूर्व सहयोगियो से पूँछ तांछ की १९/११/२०१० को स्वमीई असीमानंद को अदालत में पेश किया और उन्होंने कहा की दवाब में व्यान दिल्वाहे जा रहे.हैदराबाद की sit ने लस्करे तोएबा के दक्षिण भारत के कमांडर शेख ख्वाजा अब्दुल्ला को गिरफ्तार किया जिसके  आतंकवादी मोहम्मद अब्दुल रशीद बिलाल से सम्बन्ध है.अमेरिका के रक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी सेण्टर और uno ने हरकत-उल -जिहाद-उल-इस्लाम को धमाके में हाथ बताया था.साउथ एशिया टेरर आर्गेनाइजेशन ने विकार अहमद को मुख्य सजिस्कर्ता बतलाया जो ३०/८/२००७ को बंदूकधारियो द्वारा मारा गया.

८/९/२००६ में मालेगांव बिस्फोट में ३७ लोग मरे गए १२५ घायल हुए और ९ मुस्लिम पकडे गए बाद में ४ हिन्दुओ को ज़िम्मेदार ठहराया गया परन्तु २६/४/२०१६ को मुम्बई के विशेष मकोका अदालत ने सबूत के आभाव में ९ मुसलमानों को बरी कर दिया.इस तरह हिन्दुओ को फ़साने के चक्कर में असली आरोपी भी या तो छूट गए या पकडे नहीं गए.हिन्दू के खिलाफ भी कोइ सबूत नहीं मोले और छूट जायेंगे इस तरह वोट बैंक की राजनीती ने असली मुलजिम रह गए.

इससे पता चला की सोनिया गांधी की कुर्सी की लालच ने किसतरह देश की सुरक्षा से समझौता कर खतरे में लोगो की जान जोखम में डाल दी थी.क्योंकि इतना बड़ा कार्य बिना सोनिया गांधी की इज़ाज़त के नहीं हो सकता था.

रमेश अग्रवाल,कानपुर                                           स्वामी असीमा नन्द, कर्नल पुरोहित,साध्वी प्रिज्ञा ठाकुर, समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट के बाद ,मालेगांव बिस्फोट.

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