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देश में दोहरा मापदंड -सेक्युलर नेताओ, मीडिया न्यायालय द्वारा.-हिन्दूओ का अपमान

भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम  इस देश में हिन्दू बहुसंख्यक है जबकि मुसलमान उनसे संख्या बल में बहुत कम  तबभी देश में  हिन्दू और उनकी भावनाओं का अपमान होता और  वे अन्याय सहने को बाध्य होते क्योंकि उनमे एकता नहीं जबकि मुस्लिम अपनी एकता और आक्रमनिता से हमेश सम्मान का दर्ज़ा मिलता  !हिन्दू गो  वध रोकने के लिए आवाज़ उठा रहे उनकी कही सुनवाही नहीं होती महाराष्ट्र सरकार गो बध पर रोक लगा कर खाने,रखने या बहार से लाने पर रोक लगा दी जिसके खिलाफ हाई कोर्ट में कई याचिकाए दायर हुई ! अभी हॉल में इनका निस्तारण करते हाई कोर्ट ने कहा की अनुछेद ४८ के अनुसार प्रदेश नहीं तय कर सकता की कोइ क्या खायेगा और ये निजता का मामला है जब कभी लाटरी गुटका, या गो वध की बात आती नेता और मीडिया सवाल उठाता की इससे बहुतो की रोजी मारी जायेगी !परन्तु बिहार में शराब बंदी हुई किसी ने नहीं कहा की इससे लाखो लोगो के रोटी पर असर होगा.केरल के एक माकपा के  नेता एम् ए बेबी ने कहा की गो मॉस ऐसा भोजन होता जिसमे विटामिन बहुत होती जबकि शराब नुक्सान करती है.जब कभी गो बध पर रोक की बात आती इसे सम्प्रदिक सोच कह कर मुसलमानों के खिलाफ और तकिया नुसी की सोच कह कर सेकुलर ब्रिगेड ख़ारिज कर देती.!शराब के मामले में क्या अदालत कहेगी की ये भी निजता का मामला और यदि कोइ बाहर से लता,रखता और पीता तो कोइ कानून का उलग्घन नहीं क्योंकि व्यक्ति तय करेगा की वह क्या पिए ?इस पर अनुछेद ४८ की तरह अदालते बात क्यों नहीं करते.शराब की बुराई  और उसके विरुद्ध प्रचार किया जा ता कोइ कुछ नहीं बोलता  लेकिन यदि गो वध को रोकने से फायेदे गिनाये जाते तो उसे भड़काने वाला करार कह दिया जाता.!नितीश शराब बंदी के पक्ष में कई प्रदेशो के दौरे पर जा रहे किसी सेकुलर ब्रिगेड या बुद्दिजीवियो ने निंदा नहीं की लेकिन जब भी गो बध रोकने की चर्चा होती सेकुलर ब्रिगेड और बुद्धिजीविओ को चक्कर आने लगता !इसी तरह एक अनुछेद है ४४ जो देश में सभी नागरिको के लिए सामान नागरिक सहिंता की वकालत करता लेकिन जब भी इस पर बात होती कहा जाता अभी समयानहीं और ये अल्पसंख्यको खास कर मुसलमानों के खिलाफ और धर्म के खिलाफ है !सर्वोच्च न्यायालय में ३ तलाक का मामला चल रहा है म्समान नागरिक कानून हर लोकतंत्र की आधार शिखा है लेकिन इसका नाम लेते ही सेकुलर नेता,मीडिया,बुद्दिजीवी समाज सुधारक उलटे सीधे व्यान देने लगते और मीडिया में दुष्प्रचार के चलते अदालते भी प्रभवित हो जाती.१९८५ में शाह बनो मामले में कैसे राजीव गांधी ने कानून बना कर अदालती आदेश को निरस्त कर दिया था.पता नहीं अनुछेद ४४,४७ और ४८ में दोहरा माप दंड क्यों लगता है हिन्दुओ में आत्मसम्मान कुर्सी की लडाई के लिए ख़तम हो गया इसीलिये सेकुलर मीडिया बुद्दिजीवी और कुछ हद्द तक अदालते भी भेदभाव करती है.गोबध अंग्रेजो ने देश और गावो की आर्थिक सम्पन्नता को तोड़ने के लिए किया गया था और उम्मीद थी की आजादी के बाद इसको फिर लागू कर दिया जाएगा लेकिन नेहरूजी की अंग्रेज़ी मानसिकता मुस्लिम वंशवाद के असर होते ऐसा नहीं हुआ.हिन्दुओ के लिए माँ का दर्ज़ा है इसके साथ इसके बहुत से आर्थिक फायेदे है लेकिन हिन्दुओ की भावनाओं के खिलाफ मुस्लिम तुष्टीकरण की वजह से इसे नहीं लागू किया जा रहा !दलित लोग हिन्दुओ के अंग थे आज कर दलित और मुस्लिमो को मिला कर एक नहीं राजनीती चालू की गयी जिससे देश का जो भी हो कुछ डालो को कुछ वोटो का फायेदा हो जाए.अब हिन्दुओ को अपमानित करने के लिए वाम दल और उनके समर्थक विद्यार्थी और कट्टरपंथी मुसलमान खुले आम बीफ पार्टी का आयोजन करते जिससे तनाव पैदा होता और देश कमज़ोर होता.जब तक हिन्दू मुसलमानों की तरह एकजुट होकर गोबध के विरुद्ध आवाज़ नहीं उठायेगे उनो अपमानित ही होना पड़ेगा.

रमेश अग्रवाल,कानपुर

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