पच्छिम बंगाल में चुनाव परिणाम आने के बाद हिंसक घटनाओं पर सेच्कुलर ब्रिगेड मीडिया चुप क्यों?
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम हार जीत लोकतंत्र का अभिन्न अंग है और इसमें शालीनता राजनातिक डालो को नहीं भूलनी चाइये लेकिन चुन्नव परिणाम आने के बाद पच्छिम बंगाल में जिस बड़े पैमाने पर ममता के दल ने विरोधियो पर जिस बड़े पैमाने पर आक्रमण किया उनकी सम्पति जला दी और पुलिस मूक दर्शक हो कर देखती रही और सेक्युलर नेता मीडिया बुद्दिजीवी चुप रहे व लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है और कला धब्बा है.सबसे ज्यादा शर्मनाक है की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी पुरे प्रकरण में चुप रही जिससे निष्कर्ष निकला जा सकता की पुरी हिंसा उनकी सहमती से हुई.!ममता सरकार के कई मंत्री पिछले कई सालो से शारदा,नारद ऐसे चित फंड घोटालो में शामिल रही जिससे लाखो प्रदेश्वशियो का धन डूब गया कोलकाता में निर्मधीन पुल दाह जाने से बहुत जाने गयी,कई नेता और मंत्री घूस लेते स्टिंग आपरेशन में पकडे गए,पुरे प्रदेश में ममता के समर्थक बम बनाते पकडे गए,मालदा में अफीम की खेती होती प्रदेश में ड्रग्स ,नकली नोट और अविध रूप से बंगलादेशी घुसपैठ करते रहे और मालदा में मुसलमानों ने बड़ी संख्या में पुलिस और सड़क पर हिंसा की , चुनाव में विरोधियो ने यही मुद्दे उठाये जिनसे ममता और उनके समर्थक भड़क गए और जैसे नतीजे उनके पक्ष में आये समर्थको को खुली छूट विरोधियो पर दफ्तर,घर, सम्पति को जलने नष्ट करने और आक्रमण करना शुरू कर दिया.नतीजे आने के ५ दिनों के अन्दर १९५ मामले हिंसक घटनाओ के सामने आये जिस्मेकेवल ७ मामलो में FIR दर्ज की गयी.विरोधियो के ११०० घरो,दफ्तरों को या तो आग के हवाले कर दिया गया या तोड़ फोड़ की गयी इनमे वाम दल और बीजेपी के लोग शामिल है.चूंकि पुलिस का राजनीतिककरण कर दिया गया इसीलिये वे देखते रहे कोइ कार्यवाही नहीं की.१२५ लोग गंभीर रूप से घायल हुए.बीजेपी महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष और प्रसिद्ध टीवी अभिनेत्री रूपा गांगुली घयल हो गयी.!२०११ में भी हिंसा हुई थी पर उस वक़्त रोक दी गयी थी जबकि इस वक़्त खुली छूट दी गयी.जिन जगहों में पहले हिंसा नहीं हुई इस बार जल्गुदी दार्जलिंग में भी हिंसा हुई.!कूचबिहार में सबसे ज्यादा हिंसा हुई जबकि कोलकत्ता नंबर ४ पर है.!१९५ मामलो में १८० मामलो में tmc कार्यकर्ता शामिल पाए गए.इन में ३ लोग मारे गए.!कोलकत्ता और बड़े शहरो में ऐसी हिंसक घटनाएं पहले कभी नहीं हुई थी.ममता एक तानाशाही की तरह काम करती और एक मामले में एक प्रोफेस्सर ने फेस बुक में उसके खिलाफ टिप्पणी कर दी उसे जेल भेज दिया.कई मामलो में जब अपराध और हिंसक घटनाओं में tmc के लोग पकडे गए ममता ने या खुद जा कर या दवाब दाल कर छुडवा लिया.!चुनाव के दौरान चुनाव आयोग को धमकी दी और देख लेने की धमकी दी और प्रधान मंत्री के खिलाफ और विरोधियो के विरुद्ध अभद्र भाषा का प्रयोग किया वोह शर्मनाक है.पच्छिम बंगाल में मुसलमान २७% है जो १२७ सीटो पर जीत हार करवा सकते चूंकि ममता ने अपराध के लिए इन्हें खुली छूट दी इनलोगों ने भी थोक में ममता को वोट दिए.अब पुरे ५ साल प्रदेश में बम बनेगे और विस्फोट होंगे.ममता ये भय का वातावरण इसलिए बना रही जिससे २०१८ में पंचायत और २०१९ में लोकसभा चुनाव में जीत मिल सके.!दिल्ली में बीजेपी प्रतिनिधि मंडल ने राष्ट्रपति से भेट कर हिंसा पर चिंता जताते हस्तक्षेप की मांग की वही प्रदेश में वाम डालो ने प्रदेश के राज्यपाल और पुलिस कमिश्नर से भेट कर हिंसा पर चिंता जताई और रोकने की मांग की लेकिन जो लोग ममता से परचित है उन्हें मालूम की वह किसी की नहीं सुनती.!२७ मई के शपथ समारोह में वाम दल,बीजेपी और कांग्रेस ने बहिस्कार किया लेकिन इस तानाशाह ममता तो कुर्सी के पीछे सारी मर्यादा भूल गयी.चुनाव नतीजे आने के बाद और शपथ समरोह के बीच चुनाव आयोग को काननों की व्यवस्था देखने का अधिकार होना चाइये.!सबसे ज्यादा खतरनाक बात है मीडिया सेक्युलर नेताओ और बुद्धिजीविओ की चुप्पी !केजरीवाल,नितीश,अखिलेश,राहुल गाँधी लालू जो मोदीजी पर हमले करने में कभी नहीं चूकते इस हिंसक घटनाओ मामले में क्यों चुप उनकी मानसिकता दर्शाती है. यदि यही घटना किसी बीजेपी शासित राज्य में होती तो कई दिनों तक मीडिया में रिपोर्ट आती रहती और येही सेकुलर नेता नितीश,राहुल गाँधी केजरीवाल, लालू मोदीजी पर हमला करते मुख्य मंत्री का इस्तीफ़ा मांग लेते लेकिन ममता के मामले में सब चुप ये देश का सेकुलरिस्म है .अब किसी बुद्दिजीवियो ने अवार्ड न वापस किया न ही असहिष्णुता की बात की दादरी की घटना को महीनो दिखने वाले मीडिया की इस मामले में चुप्पी लोकतंत्र के लिए खतरनाक है.
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