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दंगो की राजनीती -सत्ता का सुख

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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35832deadliest-riots-in-indiadownload (3)maxresdefaultजय श्री राम भारत में ब्रिटिश राज्य ने देश में फूट डालो और राज करी की नीति अपनाई .उनमे ताकत कम लेकिन कूटनीति बहुत थी इसीलिये लार्ड क्लाइव ने प्लासी के युद्ध में सिअराजुदीन नवाब के सेनापति मीर जफ़र को खरीद के ब्रिटिश राज्य की स्थापना की !इसके बाद उन्होंने शिक्षा बदल दी जिसपर लार्ड मैकाले ने कहा था की अब जो भारतीय पढेगे वे तन से हिन्दुस्तानी और मन से अँगरेज़ होंगे !वे हमारे गुण हमारे जाने के बाद भी गायेगे हमारी नीतियां अपनाएंगे और अपनी संस्कृत,धरम,इतिहास से नफरत करेंगे.!असर में हमें आजादी नहीं मिली थी लेकिन सत्ता का हस्तारण हुआ था जिससे इंग्लैंड की रानी हमारी हेड होती थी जो राष्ट्रमंडल में रहने के कारण हुआ हम उन्ही की नीतियाँ और कानून पर चलते रहे.!गांधीजी समझ गए थे इसलिए उन्होंने कहा था की कांग्रेस को भंग कर दो नहीं तो ये नेता देश को अंग्रेजो से ज्यादा लूटेंगे परन्तु नेहरूजी नहीं माने.फिर गांधीजी ने प्रदेश अध्यक्षों की इच्छा के विरुद्ध नेहरूजी को प्रधान मंत्री बनवा दिया.नेहरूजी के बाबा दिल्ली के कोतवाल गज़िउद्दीन गाजी थे इसलिए उनका मुस्लिम प्रेम शुरू से था जिसकी वजह से कश्मीर आज नासूर बना और हमारे सैनिक हिन्दू कुर्बानी दे चुके है और देश का बहुत बड़ा भाग वहां  खर्च होता है.शुरू से नेहरूजी ने मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति अपनाई और उनको हिन्दुओ का डर दिखा कर उनके वोटो को एक मुस्त अपने दल में दिला कर राज्य करते रहे और अभी तक इसी दिशा में काम हो रहा.सेकुलरिस्म की परिभाषा मुस्लिम तुष्टीकरण और हिन्दू विरोधी हो गयी और दोनों समुदायों के बीच में नफरत बढती गयी जिसकी वजह से आज़ादी के बाद बहुत से दंगे हुए जिसमे बहुत जन धन की हानी हुई और दोनों सनुदायो में अविश्वाश के साथ दिल  की दूरियां बदती गयी लेकिन मुस्लमान सत्ता कांग्रेस या दुसरे दल की बनवाते रहे लेकिन उनकी आर्थिक या सामजिक स्थित में ज्यादा फर्क नहीं पढ़ा क्योंकि उनको पिछलें रखने में ही राजनेताओ का फायेदा था.आज़ादी के समय जो खून खराबा हुआ वे तो रोंगटे खडे करने वाले थे जो भी आंकड़े मिलते है वे कभी सही नहीं होते लेकिन इन दंगो में ५ लाख से ३० लाख लोगो के मरे ७२ लाख से ज्यादा मुसलमान पकिस्तान गए और करीब ७३ लाख हिन्दू सिख भारत आये जहाँ इन लोगो को बसने में बहुत मुसीबत उठानी पडी.इसके पहले १९४६ में कोलकत्ता और दुसरे शहरो में जिन्नाह के सीधी कार्यवाही से में करीब १०,००० लोग जिसमे से ज्यादातर हिन्दू थे मारे गए.आज़ादी के बाद देश में दंगो के कई  कारण थे.हिन्दुओ ने कभी किसी अन्य पदेश पर आक्रमण नहीं किया न ही धर्मान्तरण पर जोर  दिया उन्होंने दुसरे धर्म का हमेश आदर किया और किसी अन्यधर्म वालो के पूजा स्थल को नहीं तोडा.हम लोग तो शांतिप्रिय देश है और भगवान् राम,कृष्णा,बुद्ध,महावीर,गांधी से की शिक्षाओं को मानते लेकिन आक्रमण होने पर डरते नहीं.अंग्रेजो ने दोनों के बीच इतनी नफरत फैलाई की आजादी के बाद भी बनी रही.हमारे देश में मुस्लिम राजाओ ने कई बार हमला किया और हमारे लाखो मंदिरों को नष्ट करके सम्पति लूटी जबरदस्ती लोगो का धर्म परिवर्तन कराया और न मानने पर मार दिया जाता था.!इस्लाम बहुत बाद में अस्तित्व में आया सो उसको  फ़ैलाने  के लिए हिंसा का सहारा लिया गया जबकि कोइ भी धर्म हिंसा पर विश्वास नहीं करता न ही दुसरे धर्मो के पूजाघरो को नष्ट करने की लेकिन इस्लाम के अनुयाइओ ने धर्म से बाहर ये नीति बनाई.इसीलिए इतने कम समय में पुरे विश्व में ये फ़ैल गया और विश्व का नुम्बर २ धर्म हो गया.ईसाईओ ने लालच दे कर और देश के पिछले,गरीबो के बीच और जनजातियो (ट्राइबल) की बीच जा कर धर्म का प्रचार मिस्सनरीस के माध्यम  से  किया क्योंकि उनके पास धन की कमी नहीं थी सेवा के नाम पर भी भी धर्म परिवर्तन करवाया.कभी प्राकर्तिक आपदावो में मदद के बदले धर्म परिवर्तन के किस्से सुनने में आये है.इसके अलावा बहुत से NGO को धन दे कर दंगे करवाने का कार्य विदेशी सरकारे करती.देश में दंगे करवाने में मीडिया का भी बहुत बड़ा हाथ है क्योंकि TRP के चक्कर में ये भड़काने का कार्य करते है.इन लोगो और सेकुलर लोगो ने बीजेपी और हिन्दू संगठनो को सम्प्रदाहिक बना दिया और मुसलमानों और उनके तुष्टीकरण करने वाले नेताओ को सेकुलर कहते है.!पच्छिम देशो ने अपनी गुलामी के चिन्हों को मिटा दिया लेकिन नेहरूजी की वजह से ऐसा नहीं हुआ नहीं तो सोमनाथ मंदिर की तर्ज़ पर अयोध्या ,मथुरा और बनारस के मंदिरों का तो जिनोधार  के साथ सडको और शहरो के नाम बदल कर गुलामी के निशान मिटा सक के स्वभिमनिता का परिचय दे सकते थे.. देश में पिछले 2५ सालो (१९९०-२०१५) में २५५३७ दंगे हुए जिसमे १०५४२ लोग मारे गए ३०५१५ घायल हुए..उत्तर प्रदेश में २०१२-१५ तक ६३७ दंगे हुए जिसमे १६२ लोग मारे गए.२०१३ में सबसे ज्यादा २४७ दंगे हुए .पुरे देश में १९९० में १५९३ दंगो में १८३५ लोग मारे गए,१९९१ में १७२७ में ८७८ लोग,१९९२ में ३५२६ में १९७२,१९९३ में १०४२ में ११३५ लोग मारे गए और २००२ में ७२२ दंगो में ११३० लोग  मारे गए. !कश्मीर में कितने दंगे हुए और कितने मारे गए बहुत कहना मुस्किल है लेकिन देश का सबसे बड़ा कलंकित कार्य हुआ जबकि १९९० में वहां से लाखो कश्मीरी पंडित भगा दिए गए, महिलाओ के साथ बलात्कार किया गया उनके मंदिरों को नष्ट कर दिया गया.!मस्जिदों से सन्देश दिया जाता की या तो इस्लाम कबूल करो या प्रदेश छोड़ जावो और इसपर केंद्रीय और प्रदेश सरकार और  सेकुक्लर मीडिया जो दादरी पर एक्म्हीने तक चीलाता रहा मानवाधिकार और सेकुलर नेता इस मामले में चुप क्यों समझ में नहीं आता? लाखो इस देश में जब हिन्दुओ पर आत्याचार होता कोइ नहीं बोलता परन्तु मुसलमानों के छोटे मामले को उछाला जाता.देश में हुए दंगो में ९०% मामलो में मुसलमान ज़िम्मेदार है और ज्यादातर हिन्दू त्योहरोके वक़्त होते हैं.दूसरा कलंकित  नरसंहार १९८४ में इंदिरा गांधीकी हत्या के बाद पुरे देश  में सिख भाईओ के साथ हुआ जिसमे ४ दिन में करीब ३.००० मारे गए उनकी मकानों और दुकानों को जला दिया गया लेकिन आज तक न कश्मीर के मामले में और न इस मामले में किसी को सजा हुई.!देश में इतने दंगे होने के बाद भी केवल गुजरात के  २००२ दंगे की सबसे चर्चा देश और अंतरष्ट्रीय मंच पर हुई और मोदीजी का वीसा कही देशो ने रोक दिया इसके पीछे बहुत बड़ी साजिस थी केंद्र की सरकार ने मोदीजी और गुजरात को बदनाम करने के लिए कुछ लोगो को धन भी दिया और सरकारी ताकत मुस्लिम देशो से भी खूब पैसा आया.तीस्ता सीतलवाद को देश के बहार दुष्प्रचार के लिए भेजा बिना देश की प्रतिष्ठा के परवाह किये राजनैतिक लाभ लेने की कोशिश की गयी लेकिन सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में जांच में मोदी निर्दोष साबित हुए.बॉलीवुड के हिन्दू विरोधी महेश भट्ट और उनकी टीम राष्ट्रपति कलाम से शिकयत की लेकिन कुछ नहीं हुआ.सोचने की बात है की इस दंगे पर इतनी दिक्चास्पी क्यों जबकि देश में इससे भी भयानक दंगे हुए?केवल मोदी को बदनाम करने और मुस्लिम वोटो के खातिर.इसको बहुत उचालागाया मीडिया भी इस मामले में पीछे नहीं थी.अब कुछ बड़े भयानक दंगो का जिक्र यहाँ किया जा रहा जिससे और मामला सामने आ जाएगा

१.१९६९-गुजरात में जिसमे ६६० (४३० मुसलमान)मारे गए और ६१०० घर दुकाने जलाई गयी.२.१९८० मुरादाबाद -सरकारी ४०० मारे गए लेकिन २५०० तक की बात है.३.१९८० त्रिपुरा :-५०० हिन्दू मिसनारीस ने किया था.४.१९८३ आसाम-२८०० ज्यादातर मुस्लिम ५.१९९८ मेरठ :-४२ (मुस्लिम्स)६.१९८९ भागलपुर”-२ महीने तक २५० गावो शहरो में हुआ जिसमे १००० (ज्यादातर मुसलमान)मारे गए.७.१९९२ मुम्बई -९०० मारे गए कई शहरो में फैला था.!गोरेगांव में एक मकान में आग लगा दी जिसमे बहुत मारे गए.८.२००२ गुजरात -१००० मारे गए,२५०० घायल और २२० लापता.९.२०१२-आसाम-अवैध रूप से रहने वाले बंगलादेशी आकर स्थानीय लोगो की ज़मीन ले लेते उनकी लडकियों को छेड़ते और चूंकि कांग्रेस के वोट बैंक थे इसलिए कुछ नहीं होता था १०० मरे,१२०० माकन जला दिए गए और २ लाख हिन्दुओ  को अपने घर छोड़ने पड़े !१०.२०१३ मुज्ज़फ्नगर (उत्तर प्रदेश)-४० मरे,८१ घायल कई शहरो गावो में फैला और बड़ी आबादी को अपमे घर छोड़ कर शिविरों में रहना पड़ा गुजरात दंगे के अलावा और किसी की जांच सर्वोच्च न्यालय की निगरानी में नहीं हुई .इसीलिए जहाँ विरोधी डालो की सरकार है वहां हिन्दुओ के साथ बहुत भेदभाव होता.मुज्ज़फर्नगर में सर्वोच्च न्यायालय ने टिप्पणी की थी की दंगा पीडितो के साथ भेदभाव हुआ मुसलमानों को ज्यादा हिन्दुओ को कम दिया गया यही हॉल लगभग सभी दंगो के मामले में है.केरला,उत्तर प्रदेश,बिहार,पच्छिमी बंगाल और तेलंगना और कर्नाटक के रिकार्ड बहुत ख़राब है हिन्दुओ के साथ अन्याय होता है.मुसलमानों को हर बात में मुहव्ज़ा ज्यादा दिया जाता.मालदा और पूर्णिमा के मुसलमानों की हिंसात्मक घटनाओं पर सब चुप.अब उनको खुश करने के लिए इफ्तार दवातो का आयोजन विभिन्न राजनैतिक संस्थाओ द्वारा किया जाता और इसमें अपने कोमुसल्मानो के रहनुमा दिखने की होड़ सी होती और टोपी पहन कर अपनी पहचान मिटा देते.इन सब कार्यो से मुसलमानों का हौसला बढ़ जाता और वे बहुत आक्रमणकारी होते जा रहे और जब हिन्दू इसका विरोध करते तो ध्रुवीकरण का आरोप लगाया जाता.हमारे सेकुलर नेता,मीडिया,मानवाधिकार संगठन सब एक तरफ कार्य करते.और हमेश हिन्दुओ पर आक्रमण करते.देश में मुसलमानों के लिए अल्पसंख्यक आयोग है लेकिन जहां हिन्दू अल्पसंख्यक है वाहन कोइ नहीं पूंछता एक बहुसंख्यक आयोग भी होना चाइये.वैसे कानून व्यवस्था प्रदेश का कार्य है केंद्र सरकार दिश निर्देश दे सकते है.वैसे कई योजनाये बानी गयी परन्तु वोट बैंक राजनीती के आग सब बेकार सिद्ध हो रही और दोनों के बीच खाई और बढ़ रही है जो लोकतंत्र और देश के लिए खतरनाक है मदर्स्सा शिक्षा भी एक बहुत बाधा कारन है .भविष्य में इसमें सुधार की उम्मीद कण दिखाई देती है.

रमेश अग्रवाल,कानपुर

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