जय श्री राम जिन्दगी में कभी कभी ऐसे घटनाक्रम हो जाते जिसको भगवान् की अनुकम्पा ही कहा जा सकता जो बड़े बड़े नास्तिको को भी प्रभु सत्ता मानने के लिए मजबूर कर देता है.ऐसी बहुत सी घटनाएं आये दिन टीवी ,समाचार पत्रों व्यक्ति अनुभवों से सुनने में आती हुई.हमको खुद ही इस्वरीय कृपा से कई बार साक्षात्कार हुआ,!ऐसी ही एक सच्ची घटना हाल में ही उज्जैन के कुम्भ मेले में एक परिवार के साथ घटी जिसे हमने कल्याण में पढ़ा और उसी को प्रस्तुत कर रहा हूँ.!एक ११ लोगो का परिवार हॉल में संपन्न उज्जैन कुम्भ मेले में पवित्र स्नान करने और महाकालेश्वर के दर्शन को गए और भूखीमाता मंदिर के पास एक आश्रम में ठहरे जिसमे चोटी चोटी घास फूस की १०० कुटियाँ अटैच बाथरूम के साथ थी.इस परिवार ने ४ कुतियाँ ले ली थी.!९ मई २०१६ को अक्षय तिथि के अवसर पर सही स्नान था परिवार सुबह स्नान करके कुटियोमें भोजन करके आराम कर रहे थे.शाम करीब ३-४ के बीच अचानक आंधी तूफ़ान के साथ मुसलाधार पानी बरसना शुरू हो गया और ओले भी गिरने लगे.और ओले भी गिरने शुरू हो गए.धीरे धीरे पानी कुटिया के अन्दर आने लगा !अचानक महसूस हुआ की कुटिया एक तरफ धसने लगी .परिवार के मुखिया राधे श्याम खेमका (८० वर्ष) के लड़के कृष्णा कुमार(५० साल) ने पिता से कहा की कम लोगो को सबको जाकर बाहर निकलना चाइये!जैसे दोनों कुटी के बाहर दरवाजे के पास आये और आगे बढे ज़मीन अचानक २० फीट नीचे धंस गयी.कृष्णकुमार पिता के देखते नीचे गड्डे में गिर गया ,पिता भी गिरने वाले थे लेकिन भाग्यवश वहां लगी एक पाइप बीच में लगी थी पीठ के बल अटक गया.!वहां खड़े लोगो ने दोनों हाथ पकड़ लिए !कुछ इस क्षण में पाइप का सहारा भी छूट गया और वे गड्डे के बीच लटक गए!उन्हें ऐसी अनुभूति होने लगी की वे भी गड्डे में गिर जायेंगे लेकिन लोगो ने किसी तरह बाहरखीच लिया! लोगो को पुत्र कृष्णा कुमार नीचे दिख रहा था जो पानी के वजह से हुए कीचड में दलदल में फंफा था और निकले का प्रयास कर रहा था पर नहीं निकल सका.पहले लोगो ने ऊपर से धोती चादर बाँध कर लटका कर खीचने का प्रयास किया लेकिन सफल न हुए तब एक व्यक्ति एक रस्सी ले आया और लटकाई कृष्णकुमार ने रस्सी को कमर से बाँधा और हाथ से पकड़ ली फिर लोगो ने ऊपर खींच लिया .जब ये गिर रहा था एक व्यक्ति ने जों वही खड़ा था पकड़ने के प्रयास में नीचे गिर गया जिसको भी निकाल लिया और इस प्रकार भगवान् महाकाल की कृपा से तीनो लोग बच गए.गीता में भगवान् कृष्णा से कहा की जो अनन्य भाव से भगवान् का चिंतन करता ,उसकी रक्षा का समुरना भार सच्चिदानंद प्रभु अपने ऊपर ले लेते हैं.”अनन्याशिचन्तयन्तो माँ ये जना:पर्युपासते ,तेषा नित्याभियुक्ताना योगक्षेम वहाम्यहम “इस प्रकार की घटना हमें भगवान् की महती कृपा का अनुभव कराती है तथा इस घटना से हमें सावधान होने की शिक्षा मिलती है.!
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