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गोबध का इतिहास और इस पर राजनीती

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम भारत आदि काल से कृषी प्रधान देश था जिसमे गाय का बहुत बड़ा योगदान था और है.गाय दूध देती जिससे दही,पनीर,मट्ठा,खोया आदि बनाये जाते बैल खेती करने के काम आता था गोबर गो मूत्र खाद के साथ बहुत सी औषधिओ  के साथ कैंसर ऐसी बीमरिओ को दूर करने के काम में आती इसी लिए हम लोग आईटी माता का दर्ज़ा दिया है.!.अमेरिकन और विदेशी वैज्ञानिको ने लम्बी शोध के बाद पाया की इसमें अनेक रोगों के विषनुओ का उन्मूलन करने की क्षमता रखता है.गोमूत्र में कार्बोलिक एसिड होती जो कीटाणुनाशक है जिसमे हृदय और मस्तिष्क के विकारो को दूर कर सकता !गोमूत्र पीने से कही जटिल रोगों से मुक्त मिली जिसका  वर्णन समय समय पर कल्याण और विभिन्न पत्रिकाओं में छपते है.गाय घास और भूसा खा कर बिना भेदभाव सबको दूध देती.हर एक धार्मिक कार्य के पहले फर्श को गोबर से लीपा जाता है.गोमूत्र में शुगर,रक्तचाप,कैंसर,पेट के रोग,पीलिया जिगर आदि के रोग टीक हो जाते.गोबर से चरम रोग ठीक हो जाते है.मांसाहार सभी रोगों की जड़ है गोमांस से कोढ़ ऐसी बीमारी हो जाती.गाय को मार कर नहीं बल्कि पाल कर ज्यादा फायेदे हो सकते.!ये पाया गया की गाय के गोबर में आणविक विकिरण का प्रभाव नहीं होता इसीलिये पुरे अमेरिका में गो शालाये खुल रही हो जहा आदमी गाय को नहीं बल्कि गाय आदमी को पाल रही है.सऊदी अरब के “अलरियाज”में ३८००० गायो की गोशाला है जिसमे ५००० भारतीय नस्ल की  गाये है.इनकी देखभाल के लिए बहुत कर्मचारी है और मरने पर आदर के साथ दफनाई जाती है.!ऋगवेड में गो हत्या कका निषेद है ये राम कृष्णा का देश है जहाँ भगवान् कृष्णा ने खुद गोचारण किया.ऐसे देश में गोहत्या की कलपना भी नहीं की जाती,!भारत में करीब १०० विभिन्न तरह की गो की किस्मे पाई जाती लेकिन जर्सी गाय का दूध रोग पैदा करता है !प्राचीन समय में गाय के लिए गोचर भूमि होती थी और सामूहिक बैठने की व्यवस्था होती थी लेकिन अब नहीं अब लोग गो शालाओ  का निर्माण कर उनकी रक्षा और गोबध  रोकने के लिए किया जाता है.!मुग़ल कालो में कई खंडो में गो हत्या बंद थी.गोहत्या का विरोध भी होता था और वीर शिवाजी ने गो हत्या की वजह से एक राजा  का हाथ काट डाला था.!!अंग्रेजो ने गोहत्या के लिए एक कानून बनाया और सबसे पहला कतलाखाना १७०७ में कलकत्ता में खोला जहाँ रोज़ ३२-३५ हज़ार गाये काती जाती थी उसवक्त हाथ से काती जाती थी इसलिए बहुत लोग काम करते होंगे गाय का गोस्त सेना के लोगो को दिया जाता था क्योंकि पहले हिन्दू और मुसलमान दोनों इसको पवित्र मान कर नहीं काटते थे.१८५७ में अंग्रेजो ने मुसलमानों को एक साड पर सवारी करने को कहा लेकिन वे इसे शंकर जी का पुत्र मानते थे इसलिए मना  करने पर २५०० `लोगो पर  गोली चला दिया जिससे बहुत से लोग मारे गए.!गोबध के खिलाफ सबसे बड़ा आन्दोलन १८७० में शुरू हुआ जो २४ साल तक चला इसको अँगरेज़ इतिहासको के साथ भारतीय इतिहासकारों ने भी दबा दिया .यह आन्दोलन महर्षि दयानंद सरस्वती के उपदेशो और प्रयत्नों से शुरू हिया.पंजाब के जींद में एक गो रक्षा सेना बनाई गयी जिसमे संकल्प लिया गया की गाय को नहीं काटने दिया जाएगा और जो काटेगा उसे काट दिया जाएगा.!१ करोड़ लोग इसमें शामिल हुआ और गाव गाव जा कर होसनो को समझाया की अंग्रेजो को गाय न बेची जायेगी.इसके अलावा ये सदस्य कत्लखानो के सामने लेट जाते और जानवर लादे ट्रकों को रोक देते और कहते की ट्रक हमारी छाती के ऊपर से जायेगे इस तरह कत्लखाने बंद होने लगे उधर सेना ने गो मॉस न मिलने पर बगावत करने की धमकी दे दी.!इससे बड़ी मुश्किल हुई.महारानी विक्टोरिया ने अपने एक अँगरेज़ अफसर लासडाउन  को निर्देश दिए की मुसलमानों को कतल करने के लिए नियुक्त करो.पहले तो मुसलमान नहीं राजी हुवे लेकिन फिर कुरेशी मुसलमानों को डरा धमका कर कुछ नियुक्त किये. और हिन्दुओ को कहा की मुसलमान काट रहे है.!इसके बाद अंग्रेजो ने सूअर को काट कर अँधेरे में मस्जिद में डाल देते और हिन्दुओ का नाम लगा देते और गे का मॉस मंदिरों में डाल कर मुसलमानों का नाम लगा देते थे.इस तरह कूटिनीति तरीके अपना कर दोनों के बीच में नफरत पैदा कर दी.इस तरह दोनों समुदाय लड़ते रहे और गाये कटती रही.इस नीति से १८९७  में दोनों के बीच बहुत बड़ा दंगा हुआ और १९०५ में अंग्रेजो ने देश के बटवारे की नीति बना ली.!गांधीजी ने कहता के आजादी के बाद गोबध रीकने के लिए पहला क़ानून बनेगा और नेहरूजी कहते रहे की जब कतलखाने के पास से गुजरते तो बदबू आती और उनकी आत्मा रोटी लेकिन प्रधान मंत्री बन्ने के बाद उनके स्वर बदल गए.१९५२ में संसद पर इस बात बार विचार विमर्श हुआ और नेहरूजी ने प्रस्ताव लेन के लिए कहा.महावीर त्यागी प्रस्ताव लाये इसपर बहस भी हिई और सभी का समर्थन देखने को मिला.वोटिंग होने के पहले नेहरूजी ने कहा की यदि ये प्रस्ताव पास हो गया तो वे इस्तीफ़ा दे देंगे.कांग्रेस वाले घबडा गए और सब पीछे हट गए और महावीर त्यागी को अपना प्रस्ताव वापिस लेना पड़ा,नेहरूजी खुद गोमांस खाते थे और एक होटल से उनके लिए आता था.१८५६ में उन्होंने सब प्रदेशो के मुख्या मंत्रियो को गोबध चालू रखने के लिए लिखा और कहा इससे विदेशी मुद्रा आती और विदेशी नहीं तो हमें १७ वी शताब्दी का समझेगे.!शास्त्री जी  बिलकुल सोचे थे की इस कानून को बनायेगे लेकिन ताशकंद में उनकी मृत्यु हो गयी.!१९६६ में इंदिरा गांधी अपने प्रधानमंत्री की जीत के लिए मुश्किल लग रहा था.करपात्रीजी के आशीर्वाद से जीत गयी और गोबध रोकने के कानून बनाने के लिए राजी हुई.जब करपात्रीजी याद दिलाया तो मना  कर दिया.करपात्रीजी को गुस्सा आ गयी और वे १०००० साधू अनु गो भक्तो लेकर संसद का घिराव के लिए निकले इंदिरा जी ने पुलिस से गोली चलवा दी जिसमे २५० के करीब मारे गए उनकी लाशो को ट्रक में भर कर आग लगवा दी उसमे कुछ अधमरे भी थे,ये काम गोपाष्टमी के दिन हुआ था करपात्रीजी ने श्राप दिया की तुम भी गोली लगने से मरोगी.!इंदिरा,संजय और राजीव तीनो की मृत्यु गोपाष्टमी के दिन हुई!.!इसके बाद मोरारजी देसी ने शराब बंदी के साथ विदेशी कंपनियों को बाहर कर गोबध के खिलाफ कानून बना रहे थे लेकिन शराब बंदी विदेशी 1379923_219905358171373_856894304_ndownload (4)कंपनीज और गोबध के पक्ष की lobby ने मिलकर उनकी सरकार गिरा दी. २००३ में वाजपई जी के समय सुबह प्रस्ताव लाया परन्तु शाम को वापस क्योंकि टीडीपी के नायडू और टीएमसी की ममता ने कहा की यदि ये बिल पास हो गया तो वे समर्थन वापस ले लेंगे वाजपई जी यदि सरकार गिरा देते तो शायद दुबारा वे पूर्ण बहुमत में आ जाते.ममता ने कहा था की गोमास खाना उनका निजी अधिकार है !२०१५ में सर्व धर्म सभा में धर्मगुरूओ ने गोहत्या बंद के लिए कानून का समर्थन किया था और २४ दिसंबर को विश्व शांति दिवस मानाने का फैसला किया लेकिन ये दिखावा था.!कांग्रेस ने और बढ़ावा दिया.कुछ प्रदेश में बहुत लचीले कानून बने जिससे लोग दुसरी जगह काटने लगे !एक कानून था की १६ साल से ऊपर के बेकार के गोधन को कटा जा सकता परन्तु गालर सर्टिफिकेट से गलत इस्तिमाल हुआ.मुसलमान कटे की क्या इससे हिन्दू राष्ट्र लाना चाहते लेकिन ये रामराज्य लेन का प्रयास था जहाँ सबको न्याय मिले.महाराष्ट्र ने जब इसे लागू किया तो कुछ सेक्युलर नेताओ ने आवाज़ उठाई की इससे गरीब मुसलमानों की तोती ख़तम हो जायेगी लेकिन बहुमत को दूध  मिलेगा उन्हें फिकर नहीं.हरयाणा ने भी बंद कर दिया और उम्मीद है की मोदीजी के चलते इस कानून को मान्यता मिल जायेगी.आज कल भारत विएतनाम,सऊदी अरबिया,मलेशिया,मिश्र ,गल्फ देशो सहित ६५ देशो में गोमास निर्यात करते में अग्रणी देश है.३१  मार्च २०१६को देश में १६३२ राजीस्तार्ड और ३०००० बिना रजिस्टर्ड कत्लखाने है.सबसे ज्यादा ३१६ महाराष्ट्र में है.

गाय के सींग से:- आभूषण,कान के झुमके,गले का हार,कंघी कोट के बटन और अग्निशमन प्रोडक्ट्स बनते है.चमड़ी से:-जूते,चप्पल और बेल्ट,हड्डी:-साबुन,टूथपेस्ट,बॉन चाएना के उत्पाद,और शक्कर को सफेद करने के काम में आती.आंते:-सर्जरी में सिलाई के लिए धागे के लिए.मांस को सिलने और आपस में जोड़ने के लिए बैडमिंटन टेनिस रैकेट के बनाने में और संगीत के यंत्रो के लिए.!पूँछ के बाल :-पेंट ब्रश और दस्तर चर्बी:-पपड़ी दार बिस्कुट और कुरकुरे  ग्रंथि :इन्सुलिन हेमोलिन,त्त्रिपतेन  !जिलेटिन एक byproduct है जिससे जेली,दुसरे खाद पदार्थ और कडवी दवाई की कोटिंग के लिए.खून:- आयरन तनिक,हीमोग्लोबिन के लिए और जानवरों के टीके बनाने के लिए.!

क्या स्वतंत्र भारत में गो हत्या चलनी चाइये क्या देशवाशियो और हमारी संस्कृत के लिए शर्मनाक नहीं है इस पर विचार करे.

रमेश अग्रवाल,कानपुर

गाय

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