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गुरु पूर्णिमा का महत्व (१९ जुलाई )

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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download (12)hanumanji_2-1024x768 (1)जय श्री राम भारतीय संस्कृति में गुरु का बहुत ही महत्व होता है !गुरु दो प्रकार के होते है एक शिक्षा गुरु दुसरे दीक्षा गुरु.पहले जब गुरुकुल पद्दति थी शिक्षा ख़तम होने का बाद शिष्य गुरु के प्रति आभार प्रगट करते थे उनकी पूजा करते थे लेकिन जबसे गुल्कुल शिक्षा ख़तम हो गयी लोगो को अलग से दीक्षा किसी गुरु द्वारा लीdownload (8) जाती है.भगवान्भ को भी गुरु बनाया जा सकता है !       भगवान राम  और कृष्णा जी ने भी गुरु आश्रम में जा कर शिक्षा प्राप्त की !भगवान् राम के गुरु तो उनके राज्य के गुरु भी थे जबकि भगवान् कृष्णा जी ने उज्जैन में सन्दपी गुरु जी के शिक्षा ली और शिक्षा के बाद गुरु दीक्षा में गुरु के मृत्यु पुत्र को ला कर दी थी.ये पर्व असाढ़ माह की पूर्णिमा  को पुरे देश में धूम धाम और श्रद्धा  से मनाया जाता है.!महाभारत के रचियता कृष्ण द्वेपायन का जन्म दिन होता है चुकी उन्होंने चारो वेदो की रचना के साथ १८ पुराण लिखे उन्हें वेद व्यास के नाम से जाना जाता है.उन्हें आदि गुरु माना जाता और इसीलिये उनके सम्मान में व्यास पूर्णिमा भी कहते है.!इसके बाद ४ महीने का चातुर्मास शुरू हो जाता जिसमे मांगलिक कार्य नहीं होते साथ ही सब ऋषि मुनि,साधू संत एक ही जगह रुक कर शिष्यों को  ज्ञान,भक्ति और योग शक्ति के लिए मार्गदर्शन करते.जैसे देवता के लिए भक्ति जरूरी है उसी तरह गुरु के लिए भी .!गुरु पूर्णिमा भक्ति और कृतज्ञता  दोनों के उदित होने का उत्सव मनाने का अवसर प्रदान करता है!इस दिन नदियो में स्नान किया जाता,मंदिरों में पूजा और भंडारे लगाये जाते.!गुरु शब्द में गु -का अर्थ अन्धकार और रु का अर्थ हटाने वाला.इसलिए गुरु के माने होता जो अन्धकार से हटा कर प्रकाश की तरफ ले जाए.!गुरु जो धर्म का मार्ग सिखाता है.रामायण में भगवान् राम के पूछने पर वाल्मीकि जी कहते है आप वहां वास करे “तुमसे अधिक गुरुँही जिय जानी”शास्त्रों में भी गुरु तत्वके प्रशन पर कोइ मतभेद नहीं !गुरु जो नियम बनाये उन नियमो पर श्रद्धा से चलना उस सम्प्रदाय के शिष्यों का परम धर्म है.!राम कृष्णा सबसे बड़े उनहू ते गुरु कीन्ह ,तीन लोक लोग सब गुरु आज्ञा आधीन !सद्गुरु की कृपा से इश्वर का साक्षात्कार संभव है.गुरु को इश्वर से भी ऊंचा पद मिला है.!गुरु को ब्रह्मा,विष्णु और महेश माना  जाता ,गुरु साक्षात् परमब्रह्म ,इसीलिये गुरु को नमन!गुरु शिष्य को बनाता(ब्रहमा),शिष्य की रक्षा करता (विष्णु)-शिष्य के दोषों का संहार करता(शिव)!कबीर जी ने कहा था “हर रूठे गुरु ठौर है,गुरु रूठे नहीं ठौर “!गुरु की महिमा अपरम्पार जो शिष्य पर अनंत उपकार करते है दुनिया के समस्त गुरुओ को  मेरा नमन.!पुराने समय में राजा महाराजा अपने राज्य में एक गुरु रखते थे जो उनको राज्य कार्य में मार्गदर्शन करते थे.भगवान् कृष्णा ने अर्जुन को उस वक़्त गुरु का पद संभल के गीता का उपदेश दिया जब वह मोह में फंस गया.!जब उद्दव को अपने ज्ञान पर अहंकार हो गया तो कृष्णा जी ने उन्हें गोपिओ के पास भेज कर भक्ति और सम्पर्पण की शक्ति का महत्त्व समझायाक्योंकि वे जानते थे की अहंकार किसी को भी पतन के रास्ते ले सकता है. “गुरु गोविन्द दोनों खड़े काके लागू पाँव ,बलिहारी गुरु आपने गोविन्द दियो बताय !कबीर जी ने घाट की सीडियो पर लेट कर रामानंद जी के पैर लगने पर राम राम कहने से गुरु बनाया और सब जानते है क्या हुआ.स्वामी विवेकानंद जी को सही दिशा उनके ग स्वामी राम कृष्णा परमहंस ने दी थी जिनके बताये मार्ग पर चलने से ही विवेकानंदजी ने मानव और राष्ट्र धर्म के बारे में जन जन को बताया,कर्मयोग के माध्यम से संपूर्ण विश्व को वेदांत दर्शन से परिचित कराया.आचार्य चाणक्य के मार्गदर्शन ने ही चन्द्रगुप्त  मौर्या के शासन में भारत को एक  संप्रभु और शक्ति संपन्न देश बनाया.!माँ सबकी प्रथम गुरु होती है.अध्यात्म के लिए सद्गुरु की आवश्यकता होती है सद्गुरु ज्ञान के अलावा जीवन ज्योति भी जलाते है.आप और जीवंत हो जाते है.आप बुद्धि की पराकास्ठा को प्राप्त कर लेते है.उपनिषद के अनुसार गुरु के ५ लक्षण है -ज्ञान रक्षा,दुःख क्षय ,सुख आविर्भाव ,समृधि ,ऐश्वर्यवर्धन !यही गुण गुरु शिष्य को देते है.जीवन में समर्पण होती है तब कृतज्ञता का भाव उदित होता है!जीवन सागर को पार करने के लिए सद्गुरु रूपी सारथी का विशेष महत्व है.विचार,विवेक,ज्ञान,और इसका अभ्यास ही गुरु तत्व का प्रगट्य है इसलिए गुरुतत्व का अर्थ है ,जिसे नित्य विवेक,विचार,और अभ्यास के साथ अनुभव किया जा सके.आपके अन्दर की असीमित शक्तियों को उभारना सद्गुरु कर सकते है गुरु शिष्य मिलन के अवसर पर गुरु स्पर्श द्वारा,दृष्टि द्वारा और वाणी द्वारा शिष्य को दीक्षित कर देता है.गुरु अपनी मानसिक तरंगो को शिष्य से प्रतिस्थापित कर उसे साधना पथ पर अग्रसर करता है.!वैसे इस त्यौहार की भावना अब बहुत कम हो चुकी है !उन गुरुओ को सादर नमन जो देश विदेश में वैदिक धर्म और भारतीय संस्कृतिका सन्देश मानवता के हित के लिए पहुंचा कर राष्ट्र और मानवता की सेवा करते है.!हमारे आध्यात्मिक चैनल इस दिशा में बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं.

रमेश अग्रवाल ,कानपुर कुछ गुरुओ के नाम :भगवान् कृष्णा अर्जुन के साथ,भगवन शिवजी ,रामभक्त हनुमानजी  स्वामी विवेकानंदजी ,आचार्य चाणक्य ,download (10)आचार्य श्री राम शर्मा (गायत्री),डॉ प्रणव पंड्या (गायत्री),स्वामी रामदेव जी,मोरारी बापूजी ,स्वामी अवधेशानंदजी,अकार्य सुदर्शन जी,`श्री श्री रवि शंकर जी,कबीरजी,माँ अमृतानंदमयी,रमेश भाई ओझा जी 220px-Swami_Vivekananda-1893-09-signed225px-Kabir004Baba-Ramdev-Imagedownload (5)download (7)downloadimages (7)Ramesh_OzaMORARIBAPU31-300x195logooo1download (2)download (9)


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