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जय श्री राम कश्मीर की समस्या नेहरूजी के शेख अब्दुल्लाह की दोस्ती के कारण हुई.देश के गृह मंत्री होते ये काम पटेलजी का था लेकिन नेहरूजी ने अपने हाथ में लेकर एक शाम AIR जा करघोषणा की की कश्मीर में वे संयुक्त राष्ट्र संघ को लिख रहे और वहां जनमत उशी की निगरानी में होगा.संयुक्त राष्ट्र संघ ने पकिस्तान को कश्मीर अधिकृत क्षेत्र से अपनी सेना को हटाने के लिए कहा तभी जनमत हो सकता लेकिन ऐसा न होने पर कुछ नहीं हुआ और अब वह पर चुनाव हो चूले विधान सभा और देश की संसद प्रस्ताव पास कर चुली जीमे पकिस्तान अधिकृत कश्मीर को भारत में मिलाने की बात है और इसीलिये कश्मीर की विधान सभा में कुछ जगह POK के लिए आरक्षित है.!पकिस्तान इतने सालो से वह आतंकवाद को बढ़ाने के लिए तरह तरह के उपाय कर रहा चुपके आतंकवादियो की घुसपेठ करना,कश्मीर की जनता को भड़काना !लेकिन गलती हमारे नेताओ की है १९४८ में यदि पूरा ल्स्केत्र ले कर युद्ध विराम करते तो आज ये समस्या नहीं होती.इसके अलावा १९६५ में रूस के दवाब में गलती हो गयी लेकिन १९७१ में जब पकिस्तान के ९०००० सैनिक हमारे पास थे तो कश्मीर की समस्या हल करके ही छोड़ते लेकिन शिमला समझौते पर दस्तक कर बहुत गलती हो गयी जिसके कारन देश को बहुत धन खर्च करने के साथ कितने को बलदान करना पड़ा उसका वर्णन नहीं किया जा सकता इससे देश का विकास रुक गया.अलगाव वादी नेता चाहे भारत के या पकिस्तान के कोइ अपने बेटो रिश्तेदारों को आज़ादी की लडाई या आतंकवाद में नहीं भेजता केवल दुसरो को भड़का कर उनको शहीद बना देते.!कश्मीर में ३७० धारा सबसे खतरनाक है लेकिन भारत को अब डरने की कोइ जरूरत नहीं क्योंकि संयुक्तराष्ट्र ने कश्मीर समस्या अपने अजेंडे से हटा दी क्योंकि पकिस्तान ने शर्त नहीं माँगी और कोई बड़ा देश कश्मीर के मामले में पकिस्तान का समर्थन नहीं करेगा क्योंकि सबको मालूम हो गया की पकिस्तान विश्व में आतंकवादियो को भेजता और कश्मीर की समस्या के लिए वही जिम्मेदार है.सैयाद सलाउद्दीन पकिस्तान के हिजबुल मुजाहिदीन (HM)का नेता है जिसने कश्मीर के अलगाववादी नेता मीरवाज उम्रर के पिता को मारा लेकिन इन लोगो की उसके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं.!सऊदी अरब से कश्मीर में बहुत से सलाफी मदरसे और मज्सिदे बनाई गयी जहाँ युवको को जेहाद और हिन्दुओ और भारत के खिलाफ नफरत का पाठ पढ़ाया जाता और रु १०० करोड़ हवाला के जरिये आता है जो वहा तोड़फोड़ के लिए इस्तेमाल करा जाता है !हमारे देश में सेक्युलर नेता मुस्लिम वोटो के लिए इतने फिकरमंद की वे कश्मीर में होने वाली हरकतों के लिए सेना पर ज्यादती का आरोप लगते परन्तु पत्थरबाजों और उन लोगो का जो आतंवादियो का समर्थन करते और सेना पर पत्थर उस वक़्त भी मारते जब सेना घुसपैठ करने की कोशिश में लगे आतंकवादियो से लड़ रही होती.और क्यों उपद्रव शुक्रवार को नवाज़ के बाद ज्यादा होता.हमारे प्रधान मंत्री ने शरीफ से बात कर शांति की कोशिश की लेकिन धोखा मिला और साथ में पकिस्तान में सरकार का नहीं सेना का कहा चलता इसीलिये सेना को खोली छूट दे दी गयी और देश अब कोइ बात नहीं करेगा.!सेना अपने परिवार से दूर बहुर ही कठिन परिस्तिथ में जहां नेता पत्रकार लोग आधे घंटे नहीं रह सकते अपनी जान की फिकर न करके देश की रक्षा कर रहे ऐसे में संसद,और टीवी डिबेट में सेना की तारीफ न करते उनपर ज्यादती के आरोप लगाना शर्मनाक और राष्ट्र द्रोह है.कुछ मीडिया वाले मोदीजी की सरकार के खिलाफ विदेशी ताकतों के प्रभाव में ऐसा बोल रहे जो गलत है.!पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने १९ जुलाई को पकिस्तान में कश्मीर के खून्कार आतंकवादी बुरहान वाणी के मरने के शोक में किया और कहा की पकिस्तान कश्मीर के लोगो के लिए लड़ता रहेगा और कश्मीर को पकिस्तान में मिलाने तक चैन से नहीं रहेगा,जिसके जवाब में देश की विदेश मंत्री सुषमा जी ने कहा की जन्नत के अंत तक भी पकिस्तान की ये इच्छा पूरी नहीं होगी !पकिस्तान की सेना सरकार और आतंकवादी संगठन कश्मीर की समस्या के लिए ज़िम्मेदार है.!हमारे यहाँ के नेता बुरहानी को एक भटका युवक कहते लेकिन उसने कहा था की उसकी इच्छा दिल्ली के लाल किले में इस्लामी झंडे को फहराने की है.!वह एक खून्कार आतंकवादी के लिए कार्य कर रहा था.!जब सेना पर पत्थर और ग्रिनेड से हमला हो रहा तो सेना क्या करती उनको किसी तरह भगाना था और सबक सिखाना.इन १६ दिनों में सेना पुलिस के ३३२८ लोग घयल हुए जिसमे २० गंभीर रूप से २ मारे गए जबकि २२५९ नागरिक घयल हुए और करीब ४२ मारे गए.सेना पर आरोप लगाने वाले क्यों भूल जाते की ८-१० उम्र के बच्चो को सेना पर पत्थर मारने पर क्या माँ बाप दोषी नहीं क्यों उन्हें नहीं रोका गया.!इतनी बड़ी संख्या में घायल होने के बाद जो सेना को कोस रहे उनको वोटो से मतलब न की देश से.संसद और मीडिया में सेना पर हमले की न निंदा हुई न ही अफ़सोस प्रगट किया गया पर पैलेट बम की चर्चा होती रही.क्या ये संभव नहीं की इन युवको के साथ कुछ आतंकवादी मिल जाए तब क्या होगा.!कश्मीर के हालातों और देश के सेकुलर ब्रिगेड की मानसिकता के चलते देश में भी जेहादी उन्माद दिखाई दिया.!तमिनाडु में २० जुलाई को एक संगठन “तौहीद जमाद”ने धरने का आयोजन किया जिसमे तख्तियो में लिखा था “फ्री कश्मीर”, “कश्मीर को फलिस्तीन “मत बनाओ.!उत्तर प्रदेश के बिजनोर में मुस्लिम समुदाय ने काशमीर अवाम के उत्पीडन के विरोध में नारे लगाये इसके बाद राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन SDM के मार्फ़त राष्ट्रपति जी को भेजा.इस प्रदर्शन का न्रेतत्व वही मौलवी कर रहे थे जिन्होंने उत्तर प्रदेश में रासुका मोहमदजी के ऊपर टिप्पणी करने वाले कमलेश तिवारी के सर काटने पर ५१ लाख का ईनाम रखा था.न तो अधिकारिओ ने कार्यवाही की और ऐसे लोगो से ज्ञापन क्यों ले लिया.इसके पहले पटना और साहिबगंज में देश विरोधी नारे लगे.बिहार के नालंदा और उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद में पाकिस्तानी झंडा फहेराए गए.अभी तक कश्मीर में ही पाकिस्तान,इस्लाम और IS के झंडे देखे जाते थे,मीडिया और नेताओ की मानसिकता से पकिस्तान का हफीज सईद बहुत खुश है व तो खुले आम कश्मीर में जिहाद और मदद के बात कह रहा.उसने डाक्टरों की एक टीम भारत में भेजने की तैयारी की थी लेकिन भारत सरकार ने वीसा नहीं दिया,देश में कुछ लोग AFSPA हटाने की बात करते जो खतरनाक है.कश्मीर का जेहादीकरण करवा रहे है.जो लोग सेना की ज्यादती की बात कर रहे कश्मीर पंडितो के निस्क्राशन पर क्यों चुप? अमर नाथ यात्रिओ की बसों में हमले हुए,उनके लंगरों में आग लगा दी गयी कुछ से जबरदस्ती पकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगवाए गए राज्य सभा में कांग्रेस नेता गुलाम नवी आज़ाद ने भी सेना पर निशान साधा.परन्तु न उन्होंने न अन्य किसी ने न पंडितो की बात की न ही अमरनाथ यात्रिओ पर हमले की निंदा की.यदि हज यात्रिओ पर हमले होते या उनका जहाज मुम्बई में रोक दिया जाता तो यही सेक्युलर ब्रिगेड महीनो इस पर ही चर्चा करती या आंसू बहाती जैसे दादरी में हुआ था.देश के सेकुलर नेताओ को देश से ज्यादा कुर्सी से प्यार है .क्या ये सच नहीं की आतंकवादियो के नाम याद रहते लेकिन देश पर शीद होने वाले सेना के लोगो के नहीं.राजनाथ सिंह जी २ दिन के लिए गए थे और उन्होंने वहां सबसे बात की कांग्रेस कुछ व्यापारी संगठनो और कुछ लोगो ने मुलाकात की कुछ असर हुआ लेकिन जिस तरह PDP के कुछ मंत्रियो के व्यान आ रहे और जिस तरह मुख्य मंत्री महबूबा ने कहा की यदि बुरहानी की पहचान हो जाती तो शायद न मारते बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.ये वही सेना है जिसने बाढ़ के वक़्त लोगो को बचाया था.मुसलमानों की कमजोरी की बहुत से अपने को पहले मुसलमान समझते और कांग्रेस तो सत्ता जाने से इतना दुखी की हच भी करने को तैयार.पूर्व वित्त मंत्री चिदंम्बरन ने कह दिया की और ज्यादा स्वंतत्रता दी जाए हालाँकि कांग्रेस ने इससे अपने लो अलग कर लिया.रक जिन्दा आतंकवादी बहादुर अली के पकड़ने से पकिस्तान का सच सामने आ गया लेकिन उसपर लोई असर नहीं होगा हाँ विश्व समुदाय को बता सकते है.मोदीजी और इस सरकार पर भरोसा है की वे न तो सेना का मनोबल गिरायेगे न अफ्स्पा हठायेगे और पाकिस्तान को और उनके नेताओं को ऐसा सबक सिखायेंगे की वे देश की तरफ आँख उठाना भूल जाए.
रमेश अग्रवाल,कानपुर
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