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सर्वोच्च न्यायालय का एतिहासिक फैसला पूर्व मुख्य मंत्रियो के बंगलो के सन्दर्भ में

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम आजादी के बाद गांधीजी ने कहा था की कांग्रेस को भंग कर देना चाइये नहीं तो ये सब नेता देश को अंग्रेजो से भी ज्यादा लूटेंगे और उनकी भविष्यवाणी सच सावित हुई !फिर राजा महाराजो की को ख़तम कर पेंशन देना शुरू किया लेकिन इंदिरा जी ने उसे भी बंद कर दिया लेकिन जिस तरह नेता लोग जनता की सेवा के नाम पर देश की दौलत के बल पर राजाओ महाराजो की तरह रहने लगे.!हर एक मुख्या मंत्री को पद से हटने के बाद भी एक बंगला सरकारी सुविधाओ सहित जनता के खर्च पर मिलना शुरू हो गया चाहे  उन्हें किसी पद की वजह से अन्य आवास मिल रहा है. ये नियम केवल भारत में नेताओ ने बनाये रुतवा दिखने के लिए.ब्रिटेन में प्रधान मंत्री पदमुक्त हों के बाद २-३ दिन में बिना कहे अपना निवास कर बिना सरकारी गाडी लिए अपने निजी मकान में जाता.उत्तर प्रदेश में ६ पूर्व मुख्य मंत्रियो  मायावती,मुलायम सिंह यादव,राज नाथ सिंह जी,नारायण दत्त तिवारी ,राम नरेश यादव और कल्याण सिंह जी नाम आवंटित है जिसपर बहुत खेच होता.इसके अलावा बहुत से गैर सरकारी संगठनों (NGO) पत्रकारों विभिन्न सल्हाकारो के नाम भी गैर कानूनी तरह से आवास आवंटित है.उत्तर प्रदेश में २००३ में एक संस्था “लोक पहरी”की स्थापना हुई जिसमे मीडिया,विधयक,न्यायालय और कार्य पालिका के लोग शामिल थे जिनका धेय लोकतंत्र  को मजबूत करना और अनितिक कार्यो के किये अदालत का दरवाज़ा खटखटा कर रोकना था.इसके अध्यक्ष पूर्व आईएएस अधिकारी एन मजूमदार है ,सचिव पूर्व आईएएस अधिकारी  ऐ एन शुक्ल है सदस्य आई सी द्विवेदी है इन्होने २००४ में सर्वोच्च न्यायालय में एक “जन हितकारी याचिका”दी थी जिसमे इस तरह के सरकारी निवास पद से हटने के बाद मुख्या मंत्रियो को गलत तेरह था.अब २०१६ में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया की सभी पूर्व मुख्या मंत्री २ महीने के अन्दर सरकारी आवंटित आवास को खाली करे और उनसे बाकी किराये की वसूली की जाए,सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा की पद से हटने के बाद जीवन पर्यंत सरकारी आवास लेना गैर कानूनी है यह निर्णय निजी ट्रस्टो,संस्थानों और दुसरो के लिए भी है जो इसके अधिकारी नहीं है.अभी ये आदेश उत्तर प्रदेश के लिए है लेकिन जल्दी ही ये पुरे देश में लागू हो जाएगा.बिहार में नितीश कुमार के पास २ बंगले है एक वर्तमान मुख्या मंत्री के नाते और दूसरा पूर्व के नाते.छत्तीसगढ़ में जोगी सरकारी बंगले में काबिज है जबकि मध्य प्रदेश में  पूर्व मुख्या मंत्री सुन्दर लाल पटवा,उमा भारती,दिग विजय सिंह,मोती लाल वोहरा,बाबु लाल गौर कैलाश जोशी  और विधयक कैलाश  विजय वर्गीश ,सरदार सिंह और जगदीश देवड़ा भी काबिज है.!काएदे से सरकार को ये नियम खुद ही बनाने चाइये लेकिन अदालते तो तब ही हसक्षेप करती जब सरकार आँख मूड लेती.`उत्तर प्रदेश में परंपरा १९८० में शुरू हुई १९९० में विरोध हुआ लेकिन १९९७ में बसपा और बीजेपी की सरकार ने EX-CHIEF MINISTERRESIDENT ALLOTMENT कानून बना दिया जिससे पूर्व मुख्या मंत्रियो कको मिलने लगा.पूर्व सांसदों ने अपने ट्रस्ट के नाम भी मकान ले लिए जैसे काशी राम ट्रस्ट<बीजेपी संसद कुसुम राय का महातम ट्रस्ट ,राज नरेन ट्रस्ट,वीर बहदुर ट्रस्ट,और डॉ राम मनोहर लाल ट्रस्ट है.झारखण्ड २०००  में बिहार से अलग बनाया गया था उसमे ५ पूर्व मुख्य मंत्रियो बाबु लाल मरांडी,अर्जुन मुंडा,मधु कोड़ा,शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन को बंगले के साथ सुरक्षा कर्मी,निजी सहायक मिलते २०१० में राष्ट्रपति शासन पर बंद कर दिया गया लेकिन अर्जुन मिंडा ने फिर शुरू कर दी गयी.!दिल्ली भी अछूता नहीं यूपी ऐ सरकार ने मायावती को सरकार से सहयोग करने पर २ बड़े बंगले काशी राम के नाम पर दिए गए.!एक बंगले में  जम्मू कश्मीर  के पूर्व मुख्य  मंत्री  ओमर अब्दुल्ला की बीबी जिनसे उनका तलाक हो गया सुरक्षा के नाम पर अब भीरह रही है.ये सब कांग्रेस की गलत नीतिओ के कारन हुआ.अजित सिंह ने भी चरण सिंह के नाम पर बंगले की आवाज उठाई विरोध प्रदेशन भी किया लेकिन सरकार नहीं झुकी.कुछ चर्चा है की मुलायम सिंह एक  REVIEW याचिका दायर करने की सोच रहे या उत्तर प्रदेश सरकार १९८१ के कानून में संसोधन करने की सोच रही लेकिन ये चलेगा नहीं.लोक प्रहरी तो सांसदों को बिना नुनतम समय के पेंशन देने के खिलाफ भी याचिका दायर कर चुकी उनका कहना की सरकारी अफसर ३०-३५ साल के काम के बाद पेंशन मिलती जबकि संसद बिना एक दिन संसद गए इसका अधिकारी हो जाता जो प्राकर्तिक नियम के विरुद्ध है !वे सांसद विधयक विकास निधि ओ बंद करने की भी याचिका दे चुके है कुलदीप नैयर ने बताया था की जब वे संसद थे तो एक संसद ने पूरी विकास निधि उनके नाम ककरने पर आधा नगद देने को कहा इसलिए इसका बहुत दुर्प्रयोग हुआ है.वेंकट नायडू बंगले खाली करने में बहुत कठोद दिए जिससे उन्हें संसद में बहुत कठिनाई हुई.विधयक निधि अब मुख्या मंत्री दस्तक नहीं करते कोइ अफसर करता जो गलत कार्य ओ भी मंजूर करता.उत्तर प्रदेश में सम्पति विभाग ने ३०० लोगो को आवास खाली करने और किराये वसूली के लिखना शुरू कर दिया.और जल्दी ये कानून पुरे देश में लागू हो जाएगा,इससे इन नेताओ और गलत काम करने वालो को सबक मिलेगा जो लोकतंत्र के लिए बहुत शुभ है,”लोक प्रहरी और इसके अफसरों को धन्यवाद.                                     रमेश अग्रवाल,कानपुरimages (9)images (2)images (6)

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