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स्वतंत्रता -क्या हम शहीदों की अपेक्षाओ पर खरे उतर रहे?

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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download (1)download (3)images (1)images (2)imagesजय श्री राम अंग्रेजो के आने के पहले हमारा राष्ट्र बहुत समृद्ध था इसीलिए विदेशी आक्रमण कर के लूट कर यहाँ की धन सम्पदा ले जाते थे.सोम नाथ मंदिर पर १७ बार हमला हुआ.पुर्तगीज ने ४०० साल अंग्रेजो ने २५० साल राज्य किया.देश के बारे में २ फरबरी १८३५ को लार्ड मैकाले ने ब्रिटिश संसद के विदेशी समिति के सामने जो कहा वह आँख खोले वाला था.”उसने कहा की उसने २ वर्ष तक पुरे देश का भ्रमण किया और पाया की देश में कोइ भीख नहीं मांगता,कोइ गरीब नहीं,बीमारी बहुत कम,मजदूरी सस्ती .वहां किसी चीज का आयत नहीं होता केवल निर्यात होता १!बेरोजगारी नहीं लोगो के घर सोने से भरे रहते लोग सूर्य चन्द्र ग्रहणऔर महीने के समय की सटीक गणना बहुत पहले कर लेते है.भारत को सोने का सागर कहने में अतिश्योक्ति नहीं है.ऐसे अमीर देश को न हम जीत सकते न  गुलाम बना सकते.इस सबका कारन यहाँ की शिक्षा पद्धति है जिसे बदलना बहुत ज़रूरी है और वहां से हामी के बाद इंग्लिश शिक्षा थोपी गयी और उस वक़्त मैकाले ने कहा था की अब इस शिक्षा  से ऐसे हिन्दुस्तानी पैदा होंगे जिंनका  दिल अंग्रेज़ी होगा ,जो हमारी नीतिओ पर हमारे जाने के बाद भी चलेंगे,जो अपनी संस्कृति इतिहास,महापुरूषो, धर्म और अतीत से घृणा करेंगे और हमारी संस्कृति से प्यार करेंगे, इससे हीन भावना पैदा होगी और काले अँगरेज़ बन जायेंगे..!अँगरेज़ व्यापार के बहाने देश में आये थे परन्तु धीरे धीरे उन्होंने यहाँ की रियासतों पर कब्ज़ा करते पुरे देश को ब्रिटिश राज्य के अंतर्गत ले लिया. उस वक़्त देश में १४००० कालेज और करीब ५२० विश्वविद्यालय थे. जब देश में शिक्षा इतनी विकसित थी इंग्लैंड में पहला स्कूल १८६८ में चर्च में जनता के बच्चो के लिए खोला गया था जहाँ धार्मिक शिक्षा दी जाती थी परंतु राजघरानों  और उच्च अधिकारिओ के बच्चो के लिए महलों में स्कूल होते थे.इंग्लैंड में उस वक़्त गरीबी थी और कलकत्ते से अमेरिका अफ्रीका जाने वाले जहाजो को लूटकर काम चलते थे.चूंकि जहाज कलकत्ते से आते थे इसलिए अपनी कंपनी का नाम “ईस्ट इंडिया कंपनी “रक्खा था.हमारी सम्पन्नता का पता इससे  चलता की जब लार्ड क्लाइव ६ साल के बाद ब्रिटेन लौटा तो ९०० पानी के जहाजो में सोना चांदी,हीरे  जवाहरात ले कर गया जिसकी कीमत १७-१८ लाख करोड़ रु थी इस तरह 8४ गवनर लूटते रहे और करीब ३०० लाख करोड़ लुटे.देश को बर्बाद करने के लिए विभिन्न टैक्स लगा कर व्यपारियो.किसानो उद्द्योगो की कमर तोड़ दी.इससे भारतीयों में अंग्रेजो के खिलाफ गुस्सा फूटा और १० मई १८५७ को मेरठ से प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की शुरू हुई जो पुरे देश में फ़ैल गया लेकिन आपसी सामंजस की  कमी  और जल्दीबाजी से अंग्रेजो ने इसको दबा दिया इसमें लाखो भारत वासी मारे गए लेकिन अंग्रेजो का भी बहुत हानि हुई.!१८५८ में भारत ब्रिटिश राज्य के अंतर्गत एक देश बन गया जिसका शासन लन्दन से होता था,१८८५ में भारतीय  कांग्रेस की स्थापना हुई और बाद में गाँधी ने न्रेतत्व में अहिंसात्मक  असहयोग आन्दोलन शुरू हुआ और १९२९ में पूर्ण स्वराज की मांग की गयी और १९३० -४६ तक २६ जनवरी को स्वतंत्रता दिवस मनाने लगे..इसके साथ भगत सिंह,राजगुरु,सुखदेव ,हंसी हंसी भारत माता की जय करके फांसी पर चढ़ गए चन्द्र शेखर जी,लाला लाजपत राइ,असफुलाखान  के साथ लाखो  देश्वशी शहीद हुए.नेताजी सुभाष बोसे ने अपनी सरकारी नौकरी छोड़  आजाद हिन्द फौज बना कर आजादी की लडाई लड़ी उनका नारा था तुम हमें खून दो हम तुम्हे आजादी देंगे उन्होंने कहा था की हमें एक ऐसी पार्टी की ज़रुरत है जो आज़ादी के बाद राष्ट्र पुनर्निर्माण का कार्य करे.!.वैसे कांग्रेस के लोग क्रांतिकारियों और नेताजी का समर्थन नहीं करते थे परन्तु देश की आज़ादी में उनका बड़ा योगदान है.लोकमान्य तिलक ने कहा था “स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है और हम इसे ले कर रहेंगे”८ अगस्त १९४२ को भारत छोडो आन्दोलन का नारा कांग्रेस ने दिया पुरे देश में आवाज उठी अंग्रेजो ने दमनकारी नीति अपनाई  !दुसरे विश्व युद्ध में भारत ने ब्रिटिश का सहयोग किया और इस युद्ध से ब्रिटिश सरकार का बहुत नुक्सान हुआ और भारत में गांधी जी के आन्दोलन को देखते ब्रिटिश प्रधान मंत्री एटली ने जून ४८ में भारत को स्वतंत्रता देने की घोषणा की लार्ड माउंटबेटन को गवर्नलजर्नल नियुक्त किया जिन्होंने १५ अगस्त ४७ को आजादी देने  की  घोषणा की परन्तु भारत के विभाजन की तैयारी कर पकिस्तान अलग राष्ट्र बनवाया.असल में एडविन माउंटबेटन जिस कॉलेज में ब्रिटेन में पढ़ती थी उसी में नेहरु और जिन्ना भी पढ़ते थे दोनों उससे प्रेम करते थे इसलिए दोनों में मनमुटाव रहता था !गांधीजी पकिस्तान के खिलाफ थे उन्होंने नेहरु को जिन्ना को उप प्रधानमंत्री बनाने के लिए कहा लेकिन नेहरु ने कहा की वे जिन्ना को क्लार्क तक नहीं बनायेगे बस जिन्ना ने अलग पकिस्तान के लिए १६ अगस्त १९४६ को कलकत्ते में दंगे करा दिए जिसमे लाखो लोग मारे गए और इस तरह पकिस्तान लाशो पर बना जबकि गांधीजी ने कहा था की ये हमारी लाश पर बनेगा.इसके लिए माउंटबेटन ने ३० जून ४७ को दो सीमा आयोग का गठन किया जिसके चेयरमैन रेड्क्लिफ्फ़ थे उन्होंने नक़्शे से वे हिस्से भी पकिस्तान में शामिल कर दिए जो न मुस्लिम बाहुल्य थे न पकिस्तान ने मांगे थे.विभाजन में करीब २.५ -१० लाख लोग मारे गए और १५० लाख लोग विस्थापित हुए इस त्रास्ती को देख कर रेड्क्लिफ्फ़ ने अपनी ४०००० पौंड फीस के नहीं लिए.तबसे हर साल १५ अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता जिसमे प्रधान मंत्री लाल किले पर झंडा फहराकर देश को संबोधित करते है दिल्ली में NCC स्कूल बच्चो राष्ट्रीय गान करते मार्च करते सरकारी इमारतो को सजा कर रोशनी की जाती प्रदेश की राजधानी में और सब देशो स्कूलों में धूम धाम से मनाया जाता है १४ अगस्त को राष्ट्रपति जी देश को सम्बोदित करते.पहली साल १६ अगस्त १९४७ को झंडा फहराया गया था क्योंकि १४ अगस्त को नेहरूजी  जो उस वक़्त प्रधान मंर्त्री नहीं थे मध्यरात्रि को अपना पहला भाषण त्रिस्त विथ डेस्टिनी (trist with destiny)वाइसराय लाज (अब राष्ट्रपति भवन) से दिया था १५ अगस्त को मंत्रिमंडल की सूची माउंटबेटन को दी !गांधीजी उस दिन बंगाल के नोहाखली में जहाँ हिन्दू मुस्लिम दंगे हुए थे उसको बंद करने की कोशिश में थे.असल में गांधीजी कांग्रेस को भंग करने के लिए कह रहे थे क्योकि उनका मानना था की  देश के नेता अंग्रेजो से ज्यादा  देश को लूटेंगे जो बिलकुल सही निकली.लेकिन नेहरु नहीं माने.असल में कांग्रेस अध्यक्षों ने सरदार पटेल को अपने नेता चुना और वे ही प्रधानमंत्री होते तब नेहरूजी ने गांधीजी से कहा की यदि वे प्रधानमंत्री नहीं बने तो वे कांग्रेस को  तोड़ देंगे और फिर अँगरेज़ आजादी नहीं देंगे.गाँधी से डर गए और पटेलजी को समझकर राजी कर लिया और इस तरह देश का दुर्भाग्य शुरू होगया,आज तक जो भी नेहरूजी या गाँधी परिवार  के रास्ते में आया उसको दरकिनार कर दिया  या मर गया.एडविन का बहुत इस्तेमाल किया अंग्रेजो ने पकिस्तान बनवाने में!.१५ अगस्त एक राष्ट्रीय त्यौहार की तरह मनाया जाता था लेकिन अब तो ये छुट्टी का दिन या मौज मस्ती का बन गया हमलोगों से बहुत गलती हुई.असल में ये आजादी नहीं सत्ता का हस्तारण था क्योंक अंग्रेजो के सब कानून नीतियाँ लागू रही मैकाले की शिक्षा  को बदल कर गुरुकुल पद्धति के साथ आधुनिक शिक्षा होनी चाइये जो मूल्य  आधारित हो और जिसमे बच्चो को अपनी संस्कृति,संस्कारों,अतीत इतिहास महपुरषो के बारे में जानकारी हो और गुलामी के चिन्हों को नष्ट कर दिए गए देश को एक स्वाभिमान राष्ट्र की तरह होना चाइये जो नेहरूजी की वजह से नहीं होपाया,आज़ादी के  समय देश में ५६० रियासते थी जिनको कांग्रेस जनमत से जबकि जिन्ना राजा के हिसाब से  विलय का फैसला  करना चाहती थी  अँगरेज़ चाहते थे की रियासते तय करे की वे भारत में रहना या पकिस्तान में मिलना चाहती है.सरदार पटेल  ने अपनी दूरदर्शिता से सब रियासतों को भारत में विलय के लिए राजी कर लिया केवल हैदराबाद में बल इस्तेमाल करना पड़ा कश्मीर के मामले को नेहरूजी ने पटेलजी से मामला  ले कर अपने पास रख लिया और उसवक्त युद्ध विराम की घोषणा के साथ संयुक्त राष्ट्र संघ में ले जाने की घोषणा रेडियो से बिना किसी को बताये कर दी जब भारतीय फौजे पाकिस्तानियो को खदेड़ रही थी. जिसका परिणाम देश आज भी भुक्त रहा है.सोमनाथ मंदिर को पटेलजी ने बनवा दिया जिसका नेहरूजी विरोध कर रहे थे नेहरूजी की  पटेल और राजेंद्र  बाबु से नहीं पटती थी !नेहरूजी ने इतिहास शिक्षा को वामदलों को दे दिया जिन्होंने मैकाले से भी ज्यादा बढ़ कर काम किया जिससे बच्चे देश के बारे में बहुत कम जानते है शिक्षा में परिवर्तन की ज़रुरत है जो मोदीजी कर रहे है.इस साल देश “याद करो कुर्बानी”के ७० साल मना रहे और पुरे देश में बीजेपी सांसद ७ दिन की तिरंगा यात्रा निकाल कर लोगो को देश के बारे में बताएँगे.इसके लिए टीवी समाचार और जन सभाओ का सहारा लिया जाएगा.पहली बार प्रधान मंत्री शहीद चन्द्र शेखर आज़ाद के पैत्रिक  गाव  मध्य प्रदेश के “भावरा”गए वहां उनको श्रधान्जकी दी.पहले राजनीती जनसेवा होती थी आजकल ये धन बल इकट्ठा करने का कारण हो गयी देश को नेताओ ने खूब लूटा .देश को सेकुलरिज्म ने सबसे ज्यादा नुक्सान पहुँचाया आज राजनीती वोट पाने का ज़रिया न की देश हित का! कुर्सी के लिए जाति,पाती,धरम,भाषा,क्षेत्र के नाम पर लोगो को बाट दिया !भ्रष्टाचार लोगो के खून में बस गया कोइ काम बिना पैसे नहीं होता जैसी  राजा वैसी प्रजा सच हो रही मोदीजी के आने से कुछ उम्मीद है की देश में राष्ट्रिय भावना आयेगी.और मैकाले संस्कृति ख़तम हो कर स्वदेशी भावना जागेगी.हम लोगो को इस मामले में पच्छिम देशो से राजनैतिक पारदर्शिता और ईमानदारी सीखना चाइये.शहीदों ने हमें देश दिया उनकी सच्ची श्रधांजलि होगी की हम देश को उनके आदर्शोपर चले कर देश को महान बनाये न की भ्रष्टाचार और अपराध युक्ता जहाँ किसी के इज्ज़त और जान सुरक्षित नहीं है.क्या इससे शहीद लोगो का अपमान नहीं है हमें सोचना पड़ेगा. जय हिन्द. वन्दे  मातरम                                       स्वन्तार्ता के ७० वी साल की सब लोगो  को  बधाई और शुभकामनाये.हम देश को महान  बनाने के लिए अपना अपना योगदान दे ये न पूछे की देश ने हमें क्या दिया पूंछे हम देश के लिए क्या कर सकते है !

रमेश अग्रवाल,कानपुरCpafRmlW8AALMejHappy-Independence-day-Wallpaper-with-gandhiji-nehru--300x283Jawaharlal_Nehru_delivering_his_-tryst_with_destiny-_speechNetaji-Subhas-Chandra-Bose-Reviewing-the-Troops-of-Azad-Hind-Fauj-1940s-300x212Red_Fort_01sarda-patelimages (1)imagesdownload (1)

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