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रक्षा बंधन का महत्व

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम श्रावन पूर्णिमा को रक्षा बंधन का त्यौहार पुरे देश में धूम धाम से मनाया जाता इसे श्रावणी भी कहते इसदिन नदी के किनारे ब्राहण आचार्य स्नानं कर नया जनेऊ पहनते.इस दिन बहने भाई के रोली दही से तिलक कर नारियल में तिलक कर मिठाई फल के साथ भाई को देती और कलाई में मौली बांधती जिसे राखी कहते है और भी बहन की रक्षा के लिए वचन देता.राखी को  रक्षा सूत्र भी कहते है जिसे ब्राण अपने  यजमानो के हाथो में बाँध कर आशीर्वाद देते है.!जब गुरुकुल में विद्यार्थी शिक्षा समाप्त करके चलने को होते तो आचार्य की प्रति श्रद्धा आदर दर्शाने और आशीर्वाद लेने के लिए रक्षा सूत्र बांधते थे और आचर्य इस कामना से बांधते थे की जो ज्ञान उसने प्राप्त किया वह अपने भावी जीवन में समुचित ढंग से प्रयोग करेगा ताकि वह अपने ज्ञान के साथ आचार्य की गरिमा की रक्षा करने में सफल होगा.यह पर्व सामाजिक और पारवारिक एकवद्धता का संस्कृतिक उपाय हो!व्याह के बाद जब बहन ससुराल चली जाती इस त्यौहार के जरिये दोनों मिल लेते है.!भावात्मक रिश्ते धर्म जाति देश की सीमओं से परे है.!राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री और नेताओ को भी बच्चे लोग राखी बांधते है.प्रक्रति संरक्षण के लिए पेड़ो को भी अब राखी बांधी जाती है.महिलाए और नागरिक सीमा में देश की रक्षा में लगे सैनिको ले लिए भी राखी भेजते और कुछ महिलाये मंत्री और अभिनेत्री सीमा में जा कर सैनिको के राखी बांधती है.!आरएसएस  में भाईचारे के लिए सदस्य एक दुसरे को राखी बांधते है !रवींद्रनाथ टैगोर ने “बंग भंग”के विरोध करते इस त्यौहार  को बंगलानिवासिओ के पारस्परिक भाईचारे तथा एकता का प्रतीक बनाकर राजनीतक उपयोग किया.था.! सुन्दर कविताएं रक्षा बंधन !”हर भाई करती है ईश्वर से दुआ ,भाई को मिली जिन्दगी खुशनुमा ,कभी न हो उसके माथे पर लकीरे ,जीवन की हो सुन्दर तस्बीरे.” “सावन के बौछारे के बीच सुन्दर पुष्प खिला,भाई बहन के रिश्ते की है ये पवन बेला ,घर में है ऐसी चहल पहल जैसे कोइ मेला,बहनों के लिए गीत गा रहा है भाई अलबेला “.!80ad029de1148a237e877f20bd05cca8_1440075303Chudarakhidownload (1)download (3)images (1)images (2)images (3)images (4)images (5)images (7)images (8)images (6)images (9)rakshaband_imp!महाराष्ट्र राज्य में यह त्यौहार “नारियल पूर्णिमा “के नाम से जाना जाता.नदी या समुद्र में जा कर जनेऊ बदल कर समुद्र नदी की पूजा करते और जल के देवता वरुण को प्रशन्न करने के लिए नारियल चढाते !राजस्थान में भगवान् को राम राखी और भाभियो के चूड़ी में चुडाराखी या लूम्बा बांधते !यहाँ गणपतिजी,अरुधन्तीजी ,दुर्गा माता,गोमिला !,सप्तऋषीओ का मंत्रोचारण करके पूजा की जाती उनका तर्पण कर पित्र ऋण चुकाया जाता है.फिर घर में हवन किया जाता है..!रक्षा बंधन में कई सुन्दर फिल्मे बनी और नाटक  लिखे गए.राखी (रक्षा सूत्र) से सम्बंधित कई कथाए प्रचलित है!उसमे से प्रमुख है !

१.सतयुग में एक बार असुरी ने देवताओं का राज्य छीन लिया तब देवताओ की प्राथना पर भगवान् वामन के रूप में असुरो के राजा वलि के पास गए और तीन पग धरती दान में मांग ली हां करने पर विराट रूप धारण कर एक पग से धरती और दुसरे पग से स्वर्ग ले लिया मागने पर तीसरे पग उसके मस्तक पर रख उसे सुतल लोक का राज्य दे दिया.राजा वाली के कहने पर की आपके दर्शन कैसे होंगे भगवान् उसके चौकीदार बन कर उसके महल के दरवाजे के बाहर खड़े रहे माता लक्ष्मी की फिक्र पर नारद जी कहने से माँ ने रजा वाली  के हाथो में रक्षा सूत्र बाँध कर विष्णु भगवान् को मांग  लिया इस दिन श्रावणी थी तबसे या प्रथा शुरू हुई.इसके लिए संस्कृत में एक सूत्र है”येनवद्धो वाली राजा दान वेन्दो महाबल:,तेन त्वांममिव्ध्नामि रक्षे मायल मायल “!इसके हिंदी में मायने है “जिस रक्षा सूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा वाली को बाँधा गया था ,उसी सूत्र में मै तुझे बांधता हूँ ,तू अपने  संकल्प में कभी भी विचलित न हो “

२.एक  बार देवासुर संग्राम में जब देवता हार गयेतो देव गुरु  ब्रस्पतिजी ने वाली  वाला मंत्र पढ़ कर इंद्रा के हाथ में रक्षा सूत्र  बाँधा जिसके बाद इंद्रा की जीत हुई.             ३. जब भगवान कृष्णा से शिशुपाल को सुदर्शन चक्र से मारा तो उसके लौटने पर उंगली पर लेते भगवान् की उंगली कट गयी जिससे खून बहने लगा द्रोपदी जी जो वही खडी थी उन्होंने अपनी साड़ी फाड़ कर एक खून बंद करने के लिए उंगली में बाँध दिया ये रक्षा सूत्र था और इसीलिए भगवान् कृष्णा और द्रौपदी  भाई बहन के रिश्ते में बांध गए और जब कौरव सभा में दुशासन उनकी साड़ी खींच रहा था तब द्रौपदी जी ने भगवान् कृष्णा को पुकारा और भगवान् कृष्णा ने साडी  इतनी बढ़ा दी की कौरव हार गए.

४.राजस्थान में जब युवक युद्ध के लिए जाते तो पत्निया /महिलाये तिलक करके  रक्षा सूत्र बांधती थी की वे विजय हो कर लौटेगे !                                                     ५.जब मुग़ल सम्राट हुमायु चित्तौड़ पर हमला करने जा रहा था तो राणा सांगा की विधवा कर्मवती ने हुमायु को राखी बाँध कर रक्षा का वचन ले लिया और हुमायु ने न ही आक्रमण बल्कि जब बहादुरशाह ने आक्रमण किया तो उससे भी रक्षा की.इसी पर सुभद्राकुमारी चौहान ने ये पंक्तिया लिखी है “मैंने पढ़ा शत्रुओ को भी जब जब राखी भिजवाई ,रक्षा करने दौड़ पड़े वे राखी बाँध शत्रु भाई “!                                                                                                                                                                ६.सिकंदर की पत्नी ने राजा पुरु को राखी बाँध कर सिकंदर को न मारने का वचन लिया था !पुरु ने सिकंदर को नहीं मारा .इस युद्ध में रक्षा सूत्रों की अदला बदली हुई थी इसीलिए सिकंदर ने भी राजा पुरु का मारा नहीं  बल्कि राज्य भी वापस कर दिया.!                                                                                                                          ७.शहीद चन्द्र शेखर आज़ाद एक बार एक बुढिया के घर ररत को अंग्रेजो से बचते घुस गए जहां विधवा अपनी लडकी के साथ रहती थी नाम सुनकर बुढिया ने जगह दे दी.रात को चंद्रशेखर को पता चला की बुढिया को ५००० रु लडकी की शादी के लिए जरूरत है.!आज़ाद जी ने बुढिया से कहा कि तुम अंग्रेजो को मेरी सूचना दे दो तुम्हे ५००० रु इन्नाम मिल जायेगे बुढिया सुनकर बहुत रोई बोली तुम देश की आजादी के लिए अपनी जान देने को तैयार कितनी बहु बेटियाँ की इज्ज़त तुम्हारे हाथ में है !इतना कहकर उसने आजादजी के हाथ में एक रक्षा सूत्र बाँध देश रक्षा का वचन ले लिया.सुबेरे जब बुढिया सो कर उठी थी तबतक आजाद जी जा चूके थे और तकया के नीचे उने ५०००रु रक्खे मिले.और एक छोटा सा नोट की प्यारी बहन के लिए छोटी सी भेट !                                                                                                                                                     आज आधुनिकता और बाजारीकरण के युग में त्यौहार की मूल भावना खतम हो गयी बहुत महंगी राखी बाजारों में आ गए भेट के लिए बहु  मुल्य पैकेट मिलने लगे और सम्पन्नता दिखने का त्यौहार बन गया.राखी धागे से लेकर सोने चांदी की बननी लगी.५ लाख तक की राखी मिलती है.इन्टरनेट /SMS से बधाई  भेजी जाती और ओंन  लाइन इन्टरनेट  से दुनिया के किसी भी कोने में राखी और मिठाई या अन्य भेटे भेजी जा सकती है और IPAD द्वारा एक दुसरे को देख कर बात भी कर सकते है !डाक घर रु १० के लिफ़ाफ़े इस अवसर पर तैयार करता जिसमे ५० ग्राम तक की रखिया भेजी जा सकती.जहां तकनीकी  ने बहुत सुविधाए दी वही त्यौहार की गरिमा और औचित्य पर भी चोट की. रक्षा बंधन की सार्कता तब होगी यदि देश में महिलाओ के प्रति अपराध कम हो इसके लिए बहनों को भाई को प्रेरित करना चाइये.इस त्यौहार में व्यापारी मिलवात कर बहुत नुक्सान करते.हमें त्योहारों की पवित्रता को ध्यान करते विदेशी चीजो का बहिस्कार करना चाइये.   रक्षा बंधन की  सब लोगो को हार्दिक बधाई !       रमेश अग्रवाल,कानपुर

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