बेटे के शिक्षक को अमेरिका के राष्ट्रपति लिंकन का पत्र (शिक्षक दिवस पर विशेष)
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम अमेरिका आज महान है क्योंकि उन्होंने मूल्यों की परवाह की राष्ट्रपति लिंकन ने अपने बेटे के बारे में उसके स्कूल को पत्र लिखा यदि भारत में होता तो शायद प्रिंसिपल को ही बुला लिया जाता है!ये पत्र राष्ट्रपति के मूल्यों और चिंता को दर्शाता है !ये पत्र हिंदी में अनुवाद करके लिखा गया है!पत्र ये था.! इस पत्र में लिंकन ने वे तमाम बाते लिखी ,जो वे अपने बेटे को सिखाना चाहते थे !
“मै जानता हूँ कि इस दुनिया में सारे लोग अच्छे और सच्चे नहीं है !यह बात मेरे बेटे को भी सीखनी होगी!पर मै चाहता हूँ कि आप उसे यह बताये कि हर बुरे आदमी के पास भी अच्छा हृदय होता है !हर स्वार्थी नेता अच्छा लीडर बनने की क्षमता होती है !मे चाहता हूँ कि आप उसे सिखाये कि हर दुश्मन के अन्दर एक दोस्त बनने की संभावना होती है !ये बाते सीखने में उसे समय लगेगा ,मै जानता हूँ ,पर आप उसे सिखाये कि मेहनत से कमाया एक डालर सड़क पर मिलने वाले ५ डालर से ज्यादा कीमती होता है !आप उसे बताइये कि दुसरो से जलन की भावना अपने मन में न लाये !साथ ही यह भी कि खुलकर हँसते हुए शालीनता बरतना कितना जरूरी है!मुझे उम्मीद है कि आप उसे बता पायेंगे कि दुसरो को धमकाना और डराना कोइ अच्छी बात नहीं है !ये काम करने से दूर रहना चाइये ! आप उसे किताबे पढने के लिए कहियेगा ही,पर साथ ही उसे आकाश में उड़ते पक्षिओ को धुप में हरे भरे मैदानों में खिले फूलो पर मडराती तितलियो को निहारने की याद भी दिलाये रहिएगा !मै समझता हूँ कि ये बाते उसके लिए ज्यादा काम की है !मै मानता हूँ कि स्कूल के दिनों में ही उसे ये बात भी सीखनी होगी कि नक़ल करके पास होने से फेल होना अच्छा है !किसी बात पर चाहे दुसरे उसे गलत कहे ,पर अपनी सच्ची बात पर कायम रहने का हुनर उसमे होना चाइहे!दयालु लोगो के साथ नम्रता से पेश आना और बुरे लोगो के साथ सख्ती से पेश आना चाइए!दुसरो की सारी बाते सुनने के बाद उसमे से काम की चीजो का चुनाव उसे इन्ही दिनों में सीखना होगा ! आप उसे बताना मत भूलिएगा कि उदासी को किस तरह प्रसन्नता में बदला जा सकता है और उसे यह भी बताइयेगा कि जब कभी रोने का मन करे तो रोने में शर्म बिलकुल न करे !मेरा सोचना है कि उसे खुद पर विशवास होना चाइये और दुसरो पर भी !तभी तो वह एक अच्छा इंसान बन पायेगा!ये बाते बड़ी है और लम्बी भी,पर आप इनमे से जितना भी उसे बता पाए उतना उसके लिए अच्छा होगा!फिर अभी मेरा बेटा बहुत छोटा है और बहुत प्यारा भी ! रमेश अग्रवाल,कानपुर – सौजन्य”-“युग निर्माण योजना पत्रिका सितम्बर २०१६ (गायत्री परिवार)
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