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राष्ट्रीय संवेदना से खिलवाड़

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम उरी में आतंकवादी हमले के बाद जिसमे हमारे १८ जवान शहीद हो गए थे पुरे देश में आक्रोश है जिसको सोशल मीडिया और टीवी में होने वाली डिबेट से महसूस किया जा रहा है,!संयुक्त राष्ट्र संघ में हमारी विदेश मंत्री श्री मति सुषमा स्वराज जी ने पकिस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा आरोपों का बहुत अच्छी तरह जवाब दिया.उन्होंने कहा की जिनके माकन शीशे के होते वे दुसरो के घर में पत्थर नहीं फेंकते,कश्मीर भारत का अविन्न अंग है और कोइ ताकत हमसे इसे छीन नहीं सकता.उन्होंने यह भी कहा की एक देश आतंवादी पुरे विश्व में निर्यात करता है !प्रधान मंत्री ने खुले शब्दों में कहा की १८ सैनिको के बलिदान का बदला लेंगे.!उन्होंने विभिन्न तरीको पर उच्च स्तरीय विचार विमर्श शुरू कर दिया जिसमे सिन्धु नदी समझौता निरस्त करना,पाकिस्तान को आतंकवाद देश घोषित करना विशिस्ट दर्ज़ा ख़तम करना और सार्क सम्मलेन के लिए पकिस्तान न जाना और विश्व समुदाय से पकिस्तान को आतंकवादी राष्ट्र घोषित करने के लिए कूटनीतिक प्रयत्न करना.जहां सरकार और जनता पकिस्तान से बदला लेने की कोशिश कर रहे वही कुछ तत्व ऐसे कृत्य कर  रहे जो केवल पकिस्तान को खुश कर रहे.कांग्रेस जद(यू),केजरीवाल राष्ट्रीय जनता दल इसपर भी राजनीती कर रहे है और ये गलत सन्देश दे रहे.जिस तरह टीवी पर लोग युद्ध के लिए सरकार से पूँछ रहे की कब युद्ध कर रहे ये नादानी है.दोनों देशो के पास  परमाणु हथियारों है जिससे युद्ध में बहुत तबाही होगी दुसरे इसके लिए तैयारी के साथ बता कर नहीं किया जाता.!याद होगा दादरी के एक घटना को लेकर कैसे मोदीजी की सरकार को बदनाम करने के लिए कुछ मूर्ख लेखको,बॉलीवुड के लोगो और साहित्यकारों ने  असहिष्णुता के नाम पर कितना शोर मचाया और अवार्ड वापस कर पुरे विश्व में देश को बदनाम किया जो केवल राजनीतिक कारणों से लिया गया था लेकिन जब आतंकवादी घटनाएं होती,कश्मीर से हिन्दू पंडित निस्क्रषित किये जाते,१९८४ में सिख मारे जाते,पच्छिम बंगाल,केरल,कर्णाटक,उत्तर प्रदेश बिहार में हिन्दू मारे जाते या दुसरी राष्ट्र विरोधी घटनाएं होती तो ये सब चुप रहते जिससे गलत सन्देश जाता और पाकिस्तान खुश होता की उसकी भाषा में बोलने वाले देश में है!इससे  देशभक्त जनता को शर्मिंदगी और दुःख होता है!प्रसिद्ध उपन्यासकार मुंशी प्रेम चन्द्र जी ने प्रगतिशील लेखक संघ में बोलते कहा था “साहित्य देशभक्ति और राजनीती के पीछे चलने वाली सच्चाई नहीं बल्कि उसके आगे मशाल दिखाती हुई चलने वाली सच्चाई होती है “!साहित्यकार राम चन्द्र शुक्ल ने कहा था कि”साहित्यकार को राजनीती से ऊपर रहना चाइये और सदा उसके इशारे पर नाचना नहीं चाइये” लेकिन लगता की आजकल के लोगो पर इसका असर नहीं पड़ रहा और वे अवार्ड लेने और स्वार्थ के लिए राजनेताओ के पीछे भागते है!२३ सितम्बर को प्रसिद्ध साहित्यकार और कवि  अशोक वाजपई ने एक अपील निकली जिसमे साहित्य,पत्रकार  और फिल्मी क्षेत्र के ४३ लोगो ने हस्ताक्षर किये जिसमे लिखा की कश्मीर में जो हो रहा उससे बहुत दुखी है और जो हो रहा वो दुर्भाग्यपूर्ण,अनावश्यक और अन्यायसंगत ही!! कश्मीर के लिए बातचीत  की नीति निर्धारण हुई थी और  किसी सरकार ने इसे बदलने की कोशिश नहीं की !सवाल है बातचीत किस्से की जाए ?क्या उन देश के गद्दारों से जो भारत में रहते,सेना द्वारा सुरक्षित,रहते,भारतीय पापोर्ट होते हुए भी पकिस्तान की पैरोकारी करते,पाकिस्तानी और isis के झंडे फहराते,भारत विरोधी और पाकिस्तानी समर्थक नारे लगाते?जो छोटे बच्चो को सेना से लड़ने के लिए पत्थर फिक्वाते ,?क्या वे कश्मीर जनता की नुमिन्द्गी करते है?क्या इन्हें नहीं मालूम की किस तरह जब सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल कश्मीर गया और सीताराम येचुरी और्दुसरे इनसे मिलने गए तो इन्ही लोगो ने घाट के दरवाजे तक नहीं खोले?पिछली सरकार में दिलीप पड्गावंकर और राधा कुमार कश्मीर पर बातचीत करने गए थे क्या हुआ?क्या आतंकवाद और बातचीत साथ साथ चल सकते है?इन लोगो ने क्या कभी पकिस्तान की निंदा की?ये लोग केवल मोदीजी के विरोध में है और पिछली बार बिहार चुनाव के पहले ऐसा वातावरण पैदा कर के nda को हरवा  दिया.ये कांग्रेस के एजेंट है.!क्या बुरहान आतंकवादी नहीं था ,यदिन हाँ तो पकिस्तान ने उसे शहीद ह्यों कहा और उसके जनाज़े में लाखो लोग कैसे इकट्ठे हुए थे ?इन लोगो ने पत्थार्बजो पर तो दुःख जताया लेकिन सेना की कठिन परिस्तिथियो में काम करने पर तारीफ़ नहीं की.कुआ इनको या नहीं मालूम की पकिस्तान कुत्ते की दम की तरह है जो सीधी नहीं हो सकती और जो शांति की भाषा नहीं समझता.कश्मीर में संयम की बात करते परन्तु क्या नहीं मालूम की सविधान में राष्ट्र विरोध सबसे संगीन अपराध है ?                  दुसरी शर्मनाक व्यान लालू के दल राष्ट्रीय जनता दल के मीडिया प्रभारी “शिव नारायन यादव “का है जिसने फेसबुक में लिखा की १८ सैनिक जो उरी में मारे गए वे घूस दे कर सेना में भरती हुए थे वे भारतमाता पर बोझ थे अच्छा हुआ सालो को आतंकवादियो ने मार दिया.!इसपर इतनी हाय तोबा क्यों ?जब पत्रकारों ने पूंचा तो बहुत ही बेशर्मी से अपना बचाव करते कहा की अबतक देश के लिए होने वाले शहीद गद्दार कहा!इसका एक वीडिओ भी है और जब हो हल्ला मचा तब प्रकाश में आया लेकिन  लालू,नितीश,केजरीवाल,राहुल,मुलायम,ममता और मीडिया ने इसकी निंदा नहीं की.लालू ने कोइ कर्यवाही  नहीकी न ही   दोनों ने माफी माँगी.! इससे लगता की देश के विरोधी नेता और सेकुलर मीडिया राजनातिक कारणों से शहीदों का भी अपमान करने में परहेज़ नहीं करते!अभी हाल में उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद में कांग्रेस के एक जलूस में ३ बार पकिस्तान जिंदाबाद के नारे कगाये गए जिसपर २०० लोगो के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली गयी.!इस तरह की घटनाएं बिहार उत्तरप्रदेश,पच्छिम बंगाल में पहले भी हो चुकी है!अभी ममता के प्रदेश में एक जगह है वीरभूमि जहाँ एक गाव के लोगो को बहुत कोशिश करने के बाद भी दुर्गापूजा के लिए विगत कई सालो से इज़ाज़त नहीं मिलती और वे दुसरे गाव में जाकर मानत.प्रशासन का कहना है की इससे वहां के मुसलमान नाराज़ हो जायेंगे.!वैसे इस प्रदेश में बम फैक्टरी बहुत बार पकड़ी गयी.!जब देश के  अन्दर हमारे इतने दुश्मन है तो सरकार का काम कठिन हो जाता ऐसे में देशभक्त नागरिको को सरकार का खुला समर्थन करना चाइये.जय हिन्द जय भारत.

रमेश अग्रवाल -कानपुर

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