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नवरात्रों का आगमन -माता ने बुलाया है

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम हमारे ऋषी मुनियों ने हमारे त्योहारों धार्मिक उस्तवो को मनाने के पीछे बहुत ही सोच विचार के और वैज्ञानिक तरीके से निर्णय लिया था.!नवरात्र हिन्दुओ का बहुत प्रसिद्ध धार्मिक उत्सव है जो  साल में २ बार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता  है!पहला चैत्र  शुक्ल पक्ष  की प्रतिपदा से नवमी तक और दूसरा अश्विन माह की  शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू हो कर नवमी तक चलता पहला चैत्रा नवरात्र और दूसरा   शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है उसमे शारदीय नवरात्र ज्यादा धूम धाम से मनाया जाता.इनमे ३ देविओ महा लक्ष्मी माँ सरसवती और  माँ दुर्गा के ९ विभिन्न रूपों की पूजा की जाती जिसमे ९ रात्री और १० दिनों तक पूजा होती है. दोनों भगवान् रामजी से जुड़े है पहले में रामनवमी का भगवान् राम का जन्म होता जबकि  दुसरे में दसमे  दिन भगवान् राम की रावण के ऊपर विजय का पर्व दशेह्ररा मनाया जाता है.!९ रात्री  की वजह से नवरात्र कहलाते है इनमे रात ही को पूजा करनी  चाइये लेकिन अब लोग ऐसा नहीं करते.हमारे हिन्दुओ के कुछ त्यौहार जैसे महाशिवरात्रि,होली,दीपावली भी रात के त्यौहार है.!नवरात्रि नव तिथि,नौ नक्षत्र ,९ शक्तियां और नवधा भक्ति के रूप में मनाया जाता है! दुर्गा का मतलब जीवन के दुखो को हटाने वाली होता है.1माता के ९ रूप है  :-शैलपुत्री ,ब्रह्मचारिणी ,चन्द्र घंटा (चाँद की तरह चमकने वाली),कुण्डमांडा(पूरा जगत उनके पैर में है ),स्कंदमाता (कार्तिक स्वामी की माँ),कात्यायनी (कत्यायन आश्रम में जन्मी),कालरात्रि(काल का नाश करने वाली),महागौरी (सफ़ेद रंग वाली माँ),सिद्धिदात्री (सर्व सिद्दी देने वाली )!इन २ के अलावा २ नवरात्रिया और होती जो आषढ और पौष माह में होती जिन्हें गुप्त नवरात्री  कहते है लेकिन वे केवल गुप्त शक्तिओ को सिद्धि के लिए मनाई  जाती.!सबसे पहले भगवान् राम ने समुन्द्र किनारे शारदीय नवरात्री की पूजा रावण पर विजय के लिए की थी और दशमी को विजय प्राप्त की थी.!तबसे असत्य,अधर्म पर सत्य धर्म की जीत का पर्व विजयादशमी मनाया जाता इसदिन शस्त्र पूजा की जाती.गुजरात में गरबा,डांडिया की धूम रहती है! गरबा कर माँ की आरती के बाद रात भर डंडिया नृत्य होता,बंगाल में दुर्गा पूजा और मैसूर  में दशेहरा  धूम धाम से मनाया जाता और महाराजा के महल में पूरे माह रोशनी की जाती,!माता लक्ष्मी की कृपा देव,दानव,गन्धर्व,राक्षस मनुष्य सब चाहते है.!ये दोनों नवरात्र मौसम बदलने के बाद आते है पहला सर्दी  के बाद और दूसरा वर्षा ऋतू के बाद होता है दुसरे में मौसम परिवर्तन,सर्दी शुरू होने लगती ऋतू परिवर्तन के प्रभाव से हानि न हो इसलिए ९ दिनों के उपवास की व्यवस्था है जिसमे सात्विक,थोडा भोजन कर  मन को ध्यान में लगाने से स्वयं को शक्तिशाली बनाया जा सकता है.इन दिनों अनाज ,मॉस,मदिरा,गेहू.प्याज,नहीं खाना चाइये क्योंकि अनाज नकारात्मक उर्जा को आकर्षित करता है!यह  समय आत्मनिरीक्षण शुद्धि का है और नए कार्य के लिए शुभ माना जाता है.जो लोग ९ दिन व्रत नहीं कर सकते उन्हें पहले और नौवे दिन व्रत कर सकते है!रात्री को मन में एकाग्र करना सरल होता है शांत वातावरण में मंत्रो का जाप विशेष लाभ होता,ऐसे में ध्यान भटकने की संभावनाए कम होती है जिससे आत्मशक्ति,मानसिक  और योगिक शक्तियां सरलता से प्राप्त की जा सकती है !दिन में सूर्य की किरने आवाज की तरंगो और रेडियो तरंगो को बाधित करती है ,इसीलिए कम शक्ति के रेडियो स्टेशनों को भी रात्रि में आसानी से सुन सकते है रात्रि में मंदिरोके घंटे और शंख की आवाज़ बहुत दूर तक सूनी जा सकती है !इसलिए यह समय कार्यसिद्धि और मनोकामना पूर्ति के लिए उपयुक्त होता है इन दिनों ग्रहों की शांति का समय विशेष लाभदायक होता है!पहले दिन कलश की स्थापना की जाती है!अपने अन्दर की भीतरी सफाई ले लिए ६ माह बाद अभियान चलाया  जाता है जिसमे सात्विक आहार के व्रत का पालन,करने से शरीर की शुद्धि ,शुद्धि बुद्धि उत्तम विचारो से ही उत्तम कर्म,कर्मो से सच्चारिता और क्रमश मन शुद्ध होता है स्वच्छ मन मंदिर में ही ईश्वर की शक्ति का स्थाई निवास है! ये पर्व वैदिक समय से मनाया जा रहा है पहले ३ दिन दुर्गा माँ को  उनकी उर्जा और शक्ति के लिए पूजा की जाती है!!४-८वे दिन माँ लक्ष्मी जो समृधि और शक्ति की देवी है पूजा की जाती.५वे दिन माँ सरस्वती की पूजा की जाती जब सारी पुस्तके और साहित्य सामग्री एक जगह रख कर एक दिया आवाहन और आशीर्वाद के लिए जलाया जाता है!८ वे दिन यज्ञ किया जाता जो माँ दुर्गा के सम्मान और विदाई के लिए लिया जाता है !९ वा  दिन महानवमी कहलाता है जिसदिन ९ लडकियों को बुला कर उनके पैर धो उनकी पूजा कर भोजन खिला उन्हें उपहार दिया जाता है! माँ के ९ रूपों के प्रतीक स्वरुप ९ कन्याओ की पूजा की जाती है!वैसे कुछ लोग सप्तमी या अष्टमी को भी कन्या पूजन कर लेते है.वैसे नव रात्र अब बहुत बड़े पैमाने पर मोहल्ले  मोहल्ले में मनाये  जाते  और ९ वे  दिन माँ का विसर्जन किया जाता है!जिसमे पर्यावरण का खास ख्याल रक्खा जाता है!

इस नवरात्रों के पीछे २ कथाये प्रचलित है.!१.ब्रह्माजी ने भगवान् राम को रावण पर विजय के लिए माँ चंडी की पूजा और हवन के लिए कहा जिसके लिए १०८ नीलकमल इकठा किये.उधर रावण ने भी विजय के लिए यज्ञ पूजा शुरू की!रावण ने माया से एक कमल का फूल गायब करवा दिया तब भगवान् राम अपनी एक आँख तीर से निकाल चढाने के लिए तैयार हुए क्योंकि भगवान् को कमलनयन भी कहा जाता और बिना पूरे  फूल के पूजा सफल नहीं होती!इसको देख माँ चंडी प्रगट हुई और भगवान् राम को विजय का आशीर्वाद दिया!उधर रावण के यज्ञ में हनुमानजी  ब्राह्रण बालक के रूप में गए और अपनी सेवा से यज्ञ करने वाले पंडितो को खुश कर दिया और उन्होंने एक वर मागने को कहा जिसपर हनुमानजी ने मंत्र में से एक शब्द बदलने को कहा और तथास्तु कह दिया!मंत्र था “जया देवी मूर्ती हरिणी में ह की जगह क उच्चारण करने को कहा १मूर्ति हरिणी माने होता है प्राणियों की पीड़ा हरने वाला की जगह मूर्ती करिणी जिसका माँने होता प्राणियों को पीड़ा देने वाली, इससे माँ रुष्ट हो गयी और रावण को श्राप दे दिया.!२.महिषासुर राक्षस की तपस्या से खुश हो कर ब्रह्मा जी ने शक्तिशाली होने का वरदान दे दिया तब उसने स्वर्ग पर कब्ज़ा कर लिया !तब देवताओं ने माँ दुर्गा का निर्माण कर उन्हें बल और शक्तियां प्रदान की जिससे माँ ने ९ दिन तक युद्ध कर राक्षस महीसासुर को मार दिया तबसे ९ दिन के नव रात्र मनाये जाते है.! नवरात्र के  पावन पर्व पर आप सबको  बहुत शुभकामनाये और बधाई!माँ दुर्गा राष्ट्र को सम्पन्नता और शांति प्रदान करते वाहरी और आतंरिक शत्रुओ का विनाश करे !

रमेश अग्रवाल,कानपुर

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