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पति के प्रति प्रेम समर्पण का पर्व करवा चौथ

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम हमारा देश भारत अपनी परम्पराओ प्रक्रति प्रेम,आध्यामिकता,व्रहद संस्कृति उच्च विचार,और धार्मिक पुरजोरता के आधार पर विश्व में अपनी अलग पहचान बनाने में सक्षम हुआ है!हमारे ऋषि मुनिओ ने बहुत से पर्व और त्यौहार मनाने का विधान बताया जिसको  मानने की ज़िम्मेदारी हम लोगो की है!भारतीय महिलाओं की आस्था,परम्परा,धार्मिकता,अपने  पति के लिए प्यार,सम्मान,समर्पण,सब इस जिस व्रत में निहित है उसे करवा चौथ कहते है क्योंकि महिला की दुनिया पति के साथ शुरू हो कर उसी के साथ ख़तम हो जाती है.!ये पर्व कार्तिक कृष्णा पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता जो नवरात्रों और दशेहरा के बाद आता है !ये हरियाणा,उत्तर प्रदेश,मध्य प्रदेश,राजस्थान ,पंजाब ,हिमाचल प्रदेश,उत्तराखंड में बहुत प्रसिद्ध है लेकिन जहाँ भी इन प्रदेशो के लोग रहते उसे धूम धाम से मनाया  जाता है.अब टीवी के ज़रिये पुरे विश्व में प्रसिद्ध हो गया है.!इसको शादी शुदा सुहागिन महिलाए करती लेकिन यदि किसी लडकी की शादी तय हो गयी तो वह भी कर सकती है!ये त्यौहार १२-१६ वर्षो तक मना कर फिर उजवन कर के ख़तम किया जा सकता नहीं तो जब तक चाहे किया जाता है!!इस व्रत को आधुनिक महिलाये भी ग्रामीण और मध्यवर्गीय महिलाओं की तरह करती है.!इस दिन सुहागिन महिलाए पतिकी लम्बी उम्र के लिए निर्जल व्रत रखती शाम को पूजा करती कहानी सुनती और फिर रात को चंद्रमा को छलनी से  देख कर पानी का अर्क दे कर छलनी से पति को देखकर पति के हाथ पानी पीती !कुछ लोग शाम को कहानी सुन कर पानी पी लेती लेकिन विधान चंद्रमा  को देख कर व्रत तोड़ने का है.!ये पर्व विभिन्न तरीको से विभिन्न हिस्सों में मनाया जाता है.पर्व की आध्यात्मिकता में आधुनिकता समा गयी जिससे इसका बाजारीकरण हो गया और ये करोडो का व्यापार होने लगा.!महिलाए पहले घर में मेहंदी लगाकर श्रृंगार करके तैयार हो जाती दिनभर घर के काम करती रामायण गीता पढ़ती लेकिन आजकल ब्यूटी पार्लर में बुकिंग करा कर तैयार होने जाती जिसके लिए कानपूर में मेहंदी के लिए रु ५००- से रु  ५००० तक जबकि स्पेशल मेक अप के लिए रु ५०० से रु १०००० तक लेते है!पहले पति साडी गिफ्ट में दे देते थे अब तो हीरे के गहने रु ५० हज़ार से ५ लाख तक के आर्डर बुक हो रहे.इसी तरह रु १०००० तक के मोबाइल गिफ्ट में दिए जाते.इसके अलावा विभिन्न तरह की महंगी चूडिया,साड़िया,गहने की गिफ्ट में मांग हो गयी जिससे त्यौहार की गरिमा ख़तम हो गयी.बड़े शहरो में औरते ५ स्टार होटल में हौजी,रमी या गाने का प्रोग्राम कर दिन काटती फिर रात को व्रत खोलती.!ज्यादातर घरो में पहले दिन रात के १२बजे तक पति या सास रबडी,मलाई बहु को दे कर सुला देती थी क्योंकि १२ बजे बाद दूसरा दिन माना जाता जबकि पंजाबियो के यहा सुबेरे ४ बजे सास बहु को खाने फल और दुसरी भेज देती जिसे सरगी कहते है और सुबह बहु को खिला देते है !पूजा की विधि :- १.सबेरे उठा कर व्रत का संकल्प ले सास की सरगी ले नहा  कर तैयार हो.२.पूरा दिन उपवास करे निर्जला,फल युक्त या जल युक्त लेकिन निर्जला ही सबसे श्रेष्ठ माना जाता.!३.शाम को श्रृंगार करके चौथ माता की पूजा करे करवा मिटटी या शक्कर  या जो भी अन्य धातु का  मिले ले कर अन्दर गेहू भर दे और डक्कन पर शक्कर रक्खे और साथ दक्षिणा रक्खे.फिर गणेश जी माँ गौरी गणेश जी की मिट्टी की मूर्ती बनाये लेकिन आज तक बनी हुयी आती उसी को रख पूजा कर कहानी सुने या किसी को बुला का सुने.४.चाँद निकल आने पर पहले भगवान् शिव,माता पार्वती,भगवान् कार्तिकेय जी और गणेश जी की पूजा कर फिर चाँद की पूजा करे.फिर चन्द्रमा को अर्घ दे कर छलनी से पति का मूह देख कर  पति के हाथ पानी पी कर कर्वे आपस में आदान प्रदान करे पर ध्यान रहे की कर्वे आपस में ठकराये  नहीं क्योंकि ऐसा होना असगुन माना जाता है!इसके बाद  सास को फल,मिठाई,कपडे वैगरह भेट दे कर सब बड़ो सास,ससुर,जेठ जेठानी पति  और बड़ो के पैर छु कर सबको खाना खिलाये फिर खुद खाना खाए.इस तरह ये व्रत पूरा ही जाता है.!चंद्रमा शांति का प्रतीक है और शिवजी के जटा में रहने के कारन ही सुहागिन महिलाए चाँद को अर्घ देती है और प्राथना करती की उनके पति को दीघयु करे और आने वाले संकट का नाश करे!गणेश जी की पूजा की पीछे एक कहानी है जो इस प्रकार है !पुराने समय एक बुढ़िया भगवान् गणेश की बहुत भक्त थी.और उपासना करती थी जिससे प्रसन्न हो कर गणेश जी प्रगट हो कर वर मागने को कहा.!उसने कहा मै बहु बेटो से पूँछ कर बताऊंगी !गणेश जी ने कहा अच्छा हम कल आयेंगे.बहु के  पोते और बेटे ने धन मांगने को कहा!!पड़ोसिओ ने कहा की तुम आँख और स्वास्थ्य मांग लो.दुसरे दिन गणेश जी की आने पर बुढिया ने माँगा “आप मुझे धन-धान्य,निरोगी काया,अमर सुहाग,अमर वंश और अन्नंत मोक्ष प्रदान करे”गणेश जी ने कहा तूने मुझे ठग लिया और फिर हां कर अंतर्ध्यान हो गए.उस दिन करवा चौथ थी इसकिये उनकी पूजा की जाती और प्राथना करती की गणेश जी महाराज जैसे आपने उस बुढिया को सब कुछ दिया वैसा  सबको दे! करवा चौथ व्रत की वैसे कई कथा है लेकिन २ यहाँ दी जा रही है.!पहली कथा :-एक गाव में करवा नाम की पतिव्रता स्त्री रहती थी !एक दिन जब उसका पति नदी में गया स्नान करते वक़्त एक मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ कर नदी के अन्दर खीचने लगा तब उसने करवा को आवाज दी .करवा नदी आकर मगरमच्छ को एक कच्चे धागे से बाँध यमराज के पास गयी और मगरमच्छ को उसके पति का पैर पकड़ने के लिए नरक में भेजने को कहा.यमजी ने कहा की ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि उसकी उम्र पुरी नहीं हुई.तब करवा ने कहा की वो श्राप दे देगी ,तब डर के यमराज ने मगर को नरक भेज दिया और करवा के पति को दीघ्रायु का आशीर्वाद दिया !इसी लिए प्राथना की जाती की “करवा माता जैसे आपने पति की रक्षा की वैसे सबके पतियो की रक्षा करे.!  दुसरी कथा:-महाभारत के युद्ध में अर्जुन  की सकुलता के लिए द्रौपदी जी ने भगवान् कृष्ण को याद किया की उसे पति के प्राणों की चिंता सता रही है तब भगवान् ने लम्बी आयु के लिए इस व्रत को करने को कहा जिसके करने से अर्जुन सकुशल लौट आये.उसदिन कार्तिक कृष्णा पक्ष की चतुर्थी थी तबसे उसदिन ये व्रत शुरू कियागया,!भगवान् कृष्णा ने द्रौपदी जी को एक कहानी भी सुनाई जो इस प्रकार है !प्राचीन काल में एल ब्राहण के  ७ लड़के और करवा नाम की गुणवंती लडकी थी.!एक बार जब वह मइके में थी करवा चौथ का व्रत पड़ा उसने निर्जल व्रत किया!बहन की हालत  भाइओ से देखी नहीं गयी उन्होंने कहा लेकिन बहन राज़ी नहीं हुई .तब भाइओ ने पीपड के पेड़ में दिया जला कर छलनी रख बहन को रोशनी दिखाकर कहा की चाँद निकल आया भाभियो ने मना किया लेकिन बहन ने चाँद समझ पूजा कर भोजन कर लिया.इससे चन्द्र देव नाराज़ हो गए और उसके पति की मृत्यु हो गयी.!वह दुखी हो कर रोने लगी.उधर से इन्द्रानी जी जा रही थी करवा ने उनके पैर पकड़ मृत्यु का कारन पूंछा जिसपर बतया की बिना चन्द्र देखे भोजन करने से ऐसा हुआ.और कहा की यदि तू वर्ष भर चतुर्थी का व्रत करे तो तेरा पति जीवित हो जाएगा करवा ने ऐसा ही किया और उसका पति जिन्दा हो गया !इस के बाद महिलाये प्राथना करती “करवा माता जैसे आपने अपने पति की रक्षा की वैसे सबके पतियो की रक्षा करे.!वैसे कहानी और भी बहुत सी है!  कोशिश हो की स्वदेशी सामान खरीदा जाए और इसकी मान्यता और गरीमा रक्खी जाये ये प्यार  आपसी सद्भावना का व्रत  हैं इसलिए प्यार माने रखता न की पैसा इसलिए मूल्यवान चीजो के लिए पतिपर दवाव न डाले.देश में चौथ के कई मंदिर है लेकिन सबसे प्राचीन मंदिर राजस्थान के सवाईमाधोपुरके चौथ का बरवाडा गाव में स्थित है इस मंदिर के वजह से गाव का नाम चौथ का बरवाडा हो गया.इसे महाराज भीम सिंह चौहान ने बनवाया था !कुछ पति भी इस दिन पत्नी के लिए व्रत रख लेते है यदि व्रत न रख सके तो पत्नी के सामने जहा तक हो खाना न खाए और उसदिन ज्यादा फरमाईश न करे और हमदर्दी दिखाए.पति को भी अपना कर्त्तव्य  निभाना चाइये.!300px-Karva-Chauth-5Karva-Chauth-3

करवा चौथ के पावन पर्व पर सब उन महिलाओ को जिन्होंने व्रत रक्खा , हार्दिक शुभकामनाएं और कामना की उनका व्रत सफलता पूर्वक संपन्न  हो.!

रमेश अग्रवाल कानपुर

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