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जप की माला में १०८ दाने की महत्ता एवं रहस्य

भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम जप की माला में १०८ दाने होने के पीछे करी वैज्ञानिक,ज्योतिष और धार्मिक कारण हमारे पुराणों में  दिए है उसमे से कुछ ये है !                                       १.सीताराम शब्द पूर्ण है और सीताराम ही पूर्ण ब्रह्म है !इसको अक्षरों के हिसाब से ऐसे समझा जा सकता है!सीताराम शब्द में स,ई,त,आ अक्षर है !स वर्ना माला का  बत्तीसवा (32) वा अक्षर  है,ई चौथा (4),त सोलवाँ(16) और आ  दूसरा (2) है अत :सीता शब्द में 32+4+16+2=54 संख्या हुई.इसी तरह राम में र .आ और म अक्षर है र सत्ताईसवाँ(27),आ दूसरा (2) और म पच्चीसवा(२५) अक्षर हुए.इसतरह राम में भी 27+2+२५=54 अक्षर  हुए!इसतरह सीताराम शब्द में 54+54 =१०८ अल्षर हुए.!इसीतरह ब्रह्म शब्द में ब,र ,ह और म शब्द है !ब तेइसवा (२३),र सताईसवा (27),ह तेतीसवा(33) और म पच्चीसवा(२५) इस तरह ब्रह्म में २३+27+33+२५=१०८ इसीलिये मेल में १०८ दाने होते है !

2.एक स्वस्थ व्यक्ति दिन में २१६०० बार सांस लेता है १२ घंटे दिन में कार्यो में लग जाते तो ऐसा सोच गया की दिन में १०८०० बार भगवान् का नाम ले. चूंकि ऐसा सम्भव नहीं इसलिए इसमें से आखिर के 2 जीरो हटा कर १०८ दाने जाओ की मका में रक्खे जाते है.करता है !

3.ज्योतिष के अनुसार १२ राशियाँ और 9 गृह होते है जिनका गुना १२X9=१०८ .जो सम्पूर्ण  ब्रह्माण्ड का प्रतिनिधित्व करते है.

4.नक्षत्र 27 होते है और हर एक के 4 चरण होते है २७X४=१०८ .इस तरह माला का एक एक दाना नक्षत्र के एक एक चरण को प्रतिनिधित्व करता है.                                         यही सोच कर १०८ दाने जप की माला में होते है और रुद्राक्ष की माला सबसे सुद्ध मानी जाती क्योंकि रुद्राक्ष  शिव जी का प्रतीक मन जाता और इसमें सूक्ष्म कीड़ो लो मारने की क्षमता होती है और ये वातावरण की सकरात्मक उर्जा को ग्रहण कर सादक के पास पहुंचा देता है!                                                                           संकलनकर्ता :- रमेश अग्रवाल ,कानपुर

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